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जय जवान किसान : सेना से रिटायर हुए हैं या होने वाले हैं तो ये खबर है खास - रिटायर जवानों को सिखाएंगे खेती

सरहद पर देश की रक्षा करने वाले जवान जब रिटायर होते हैं तो उनके सामने नई नौकरी का संकट होता है. इसका हल हैदराबाद में नेशनल एजेंसी फॉर एग्रीकल्चरल एक्सटेंशन एंड मैनेजमेंट (MANAZ) ने निकाला है. रक्षा मंत्रालय की ओर से नई योजना 'जय जवान किसान' शुरू की जा रही है. इसके तहत 'मैनेज' उन्हें खेती से जुड़ा हर प्रशिक्षण देगी, जिससे वह इसे ही अपनी आमदनी का जरिया बना सकें.

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जय जवान किसान
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Published : Apr 4, 2022, 3:26 PM IST

हैदराबाद : सेना से रिटायर हो चुके सैनिकों और महिला कर्मियों के लिए रक्षा मंत्रालय जल्द नई योजना शुरू करेगा. हैदराबाद में नेशनल एजेंसी फॉर एग्रीकल्चरल एक्सटेंशन एंड मैनेजमेंट (MANAZ) ने इसकी रूपरेखा तय की है. इसका नाम 'जय जवान किसान' (JAI JAWAN KISAN ) रखा गया. इस योजना को केंद्रीय रक्षा मंत्रालय ने मंजूरी दे दी है. इसके तहत सेना से रिटायर जवानों और महिला कर्मियों को खेती से जुड़ी हर चीज की जानकारी देने के लिए प्रशिक्षण शुरू किया जाएगा.

देश भर में लगभग 60,000 कर्मचारी हर साल रक्षा विभाग से सेवानिवृत्त होते हैं. सेवानिवृत्ति के समय इनकी आयु 34 से 48 वर्ष के बीच होती है. ऐसे में ज्यादातर लोग फिर नौकरी की तलाश करते हैं. नौकरी तलाशने वालों में 90 से 99 फीसदी ग्रामीण इलाकों से हैं. एक अध्ययन में ये भी सामने आया है कि इनमें से 80.60 प्रतिशत लोग गांवों में रहते हैं. हालांकि, मैनेज (राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान) के अध्ययन में यह भी सामने आया है कि उनमें से अधिकांश फसल उगाना नहीं जानते हैं यही वजह है कि खेती को नहीं अपनाते हैं.

कृषि संबंधी प्रशिक्षण दिया जाएगा : इसी कमी को दूर करने और उनका रुझान खेती की ओर करने के लिए 'मैनेज' (MANAGE) ने एक रिपोर्ट तैयार की है. सरकार की ओर से इस संबंध में रक्षा मंत्रालय को पत्र लिखा गया है. मैनेज ने प्रस्ताव दिया था कि यदि रक्षा मंत्रालय सहयोग करता है तो वह सैनिकों को सेवानिवृत्ति से पहले या सेवानिवृत्ति के बाद कृषि, विपणन, कृषि उद्यमिता आदि के क्षेत्र में आधुनिक तकनीक के उपयोग पर प्रशिक्षण देगा. केंद्र सरकार ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है.

'मैनेज' ने सुझाव दिया कि पूर्व सैनिकों को कृषि की ओर मोड़ने से अधिक पैदावार होगी और गांवों को अच्छी तरह से प्रशिक्षित मानव संसाधन उपलब्ध होंगे. उन्हें प्रशिक्षण देने के अलावा कृषि और उससे जुड़े उद्योगों के विशेषज्ञों से भी जोड़ा जाएगा. रक्षा मंत्रालय ने 'मैनेज' से सिफारिश की है कि प्रशिक्षण में रुचि रखने वाले सैनिकों का पता लगाएं. उन्हें ट्रेनिंग के लिए हैदराबाद स्थित 'मैनेज' आना होगा.

30 जुलाई से शुरू होगा पहला बैच : पहला बैच 30 जुलाई से शुरू होगा, जिसमें 30 पूर्व सैनिकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा. 'मैनेज' का लक्ष्य पहले साल कम से कम 4 टीमों को प्रशिक्षित करना है. हमारे देश में कृषि सबसे बड़ा क्षेत्र है. 'मैनेज' के अध्ययन में सामने आया है कि रक्षा कर्मी अत्यधिक अनुशासित व्यक्ति होते हैं. उनके कृषि क्षेत्र में आने से निश्चित रूप से पैदावार बढ़ेगी.

मैनेज के महानिदेशक डॉ. चंद्रशेखर का कहना है कि 'कृषि वह नहीं है जिसे आज इस देश के अधिकांश लोग समझते हैं. अगर अनुशासित सैनिकों को इस क्षेत्र में लाया जाएगा, तो वे कड़ी मेहनत करेंगे और अच्छी पैदावार हासिल करेंगे. यदि सेवानिवृत्त सैनिक केवल फसलों की कटाई में ही नहीं बल्कि विपणन, मूल्य वर्धित उत्पादों, ब्रांडिंग और उन्हें बेचने में भी सफल होते हैं, तो इससे उनकी बेहतर आय का रास्ता खुलेगा. हमने इस योजना को पहले ही इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए तैयार किया है कि देश भर में कुछ लोग इस तरह के अनुशासन के साथ खेती कर रहे हैं और लाभ कमा रहे हैं.'

पढ़ें- Jharkhand: कभी गूंजती थी नक्सलियों की गोली, आज फूलों की खेती से गुलजार है गांव की फिजां

हैदराबाद : सेना से रिटायर हो चुके सैनिकों और महिला कर्मियों के लिए रक्षा मंत्रालय जल्द नई योजना शुरू करेगा. हैदराबाद में नेशनल एजेंसी फॉर एग्रीकल्चरल एक्सटेंशन एंड मैनेजमेंट (MANAZ) ने इसकी रूपरेखा तय की है. इसका नाम 'जय जवान किसान' (JAI JAWAN KISAN ) रखा गया. इस योजना को केंद्रीय रक्षा मंत्रालय ने मंजूरी दे दी है. इसके तहत सेना से रिटायर जवानों और महिला कर्मियों को खेती से जुड़ी हर चीज की जानकारी देने के लिए प्रशिक्षण शुरू किया जाएगा.

देश भर में लगभग 60,000 कर्मचारी हर साल रक्षा विभाग से सेवानिवृत्त होते हैं. सेवानिवृत्ति के समय इनकी आयु 34 से 48 वर्ष के बीच होती है. ऐसे में ज्यादातर लोग फिर नौकरी की तलाश करते हैं. नौकरी तलाशने वालों में 90 से 99 फीसदी ग्रामीण इलाकों से हैं. एक अध्ययन में ये भी सामने आया है कि इनमें से 80.60 प्रतिशत लोग गांवों में रहते हैं. हालांकि, मैनेज (राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान) के अध्ययन में यह भी सामने आया है कि उनमें से अधिकांश फसल उगाना नहीं जानते हैं यही वजह है कि खेती को नहीं अपनाते हैं.

कृषि संबंधी प्रशिक्षण दिया जाएगा : इसी कमी को दूर करने और उनका रुझान खेती की ओर करने के लिए 'मैनेज' (MANAGE) ने एक रिपोर्ट तैयार की है. सरकार की ओर से इस संबंध में रक्षा मंत्रालय को पत्र लिखा गया है. मैनेज ने प्रस्ताव दिया था कि यदि रक्षा मंत्रालय सहयोग करता है तो वह सैनिकों को सेवानिवृत्ति से पहले या सेवानिवृत्ति के बाद कृषि, विपणन, कृषि उद्यमिता आदि के क्षेत्र में आधुनिक तकनीक के उपयोग पर प्रशिक्षण देगा. केंद्र सरकार ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है.

'मैनेज' ने सुझाव दिया कि पूर्व सैनिकों को कृषि की ओर मोड़ने से अधिक पैदावार होगी और गांवों को अच्छी तरह से प्रशिक्षित मानव संसाधन उपलब्ध होंगे. उन्हें प्रशिक्षण देने के अलावा कृषि और उससे जुड़े उद्योगों के विशेषज्ञों से भी जोड़ा जाएगा. रक्षा मंत्रालय ने 'मैनेज' से सिफारिश की है कि प्रशिक्षण में रुचि रखने वाले सैनिकों का पता लगाएं. उन्हें ट्रेनिंग के लिए हैदराबाद स्थित 'मैनेज' आना होगा.

30 जुलाई से शुरू होगा पहला बैच : पहला बैच 30 जुलाई से शुरू होगा, जिसमें 30 पूर्व सैनिकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा. 'मैनेज' का लक्ष्य पहले साल कम से कम 4 टीमों को प्रशिक्षित करना है. हमारे देश में कृषि सबसे बड़ा क्षेत्र है. 'मैनेज' के अध्ययन में सामने आया है कि रक्षा कर्मी अत्यधिक अनुशासित व्यक्ति होते हैं. उनके कृषि क्षेत्र में आने से निश्चित रूप से पैदावार बढ़ेगी.

मैनेज के महानिदेशक डॉ. चंद्रशेखर का कहना है कि 'कृषि वह नहीं है जिसे आज इस देश के अधिकांश लोग समझते हैं. अगर अनुशासित सैनिकों को इस क्षेत्र में लाया जाएगा, तो वे कड़ी मेहनत करेंगे और अच्छी पैदावार हासिल करेंगे. यदि सेवानिवृत्त सैनिक केवल फसलों की कटाई में ही नहीं बल्कि विपणन, मूल्य वर्धित उत्पादों, ब्रांडिंग और उन्हें बेचने में भी सफल होते हैं, तो इससे उनकी बेहतर आय का रास्ता खुलेगा. हमने इस योजना को पहले ही इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए तैयार किया है कि देश भर में कुछ लोग इस तरह के अनुशासन के साथ खेती कर रहे हैं और लाभ कमा रहे हैं.'

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