हैदराबाद : भारत में हर साल सितंबर के चौथे रविवार को बेटी दिवस (Daughters' Day) मनाया जाता है. अलग-अलग देश इसे अलग-अलग दिनों में मनाते हैं. यह दिन आपकी बेटी को विशेष महसूस कराने के लिए मनाया जाता है. यह ही दिन है जब बेटियों को शुभकामनाएं, उपहार और फूल भेजकर उन पर स्नेह दिखाया जाता है. भारत में दुनिया भर में लगभग 132 मिलियन लड़कियां स्कूल छोड़ देती हैं और लगभग 40 प्रतिशत किशोर लड़कियां स्कूल नहीं जाती हैं. इसे परिप्रेक्ष्य में यदि स्कूल न जाने वाली लड़कियों की कुल संख्या से एक पूरा देश बनता है, तो यह दुनिया में 10वां सबसे बड़ा देश होगा.
बालिका शिक्षा और आर्थिक विकास
आर्थिक विकास में लड़कियों की शिक्षा (Girl's education) एक महत्वपूर्ण कारक है- कई अध्ययनों से पता चला है कि महिला शिक्षा (female education) से सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि होती है. महिलाओं की शिक्षा, घरेलू काम, डिजिटल और वित्तीय समावेशन में निवेश करने से 2030 तक भारत की जीडीपी (India’s GDP) में $700 बिलियन का इजाफा हो सकता है.
सिटी की ग्लोबल इनसाइट्स टीम (Citi’s Global Insights team) के अनुसार, यह सुनिश्चित करना कि 2030 तक सभी लड़कियां माध्यमिक शिक्षा पूरी कर रही हैं, विकासशील देशों के सकल घरेलू उत्पाद (gross domestic product ) को अगले दशक में औसतन 10% तक बढ़ा सकती हैं.
अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार लड़कियों के अधिकारों और शिक्षा (rights and education) पर खर्च किए गए प्रत्येक 1 डॉलर से 2.80 डॉलर का रिटर्न मिलेगा.
लड़कियों की शिक्षा
उच्च प्राथमिक स्तर पर लड़कियों में ड्रॉप आउट दर (Drop out rates) उच्च शिक्षा के लिए एकीकृत जिला सूचना प्रणाली (Unified District Information System) 2013-'14 की रिपोर्ट के अनुसार प्राथमिक स्तर पर 6 करोड़ से अधिक लड़कियों का नामांकन किया गया था. छह साल बाद, 2019-'20 में, लगभग इतनी ही संख्या में उच्च प्राथमिक स्तर पर नामांकित होना चाहिए था. हालांकि, 2019-'20 की रिपोर्ट में कहा गया है कि केवल 35 लाख नामांकित हैं.
स्कूल ड्रॉप आउट
भारत में दुनिया भर में लगभग 132 मिलियन लड़कियां स्कूल छोड़ देती हैं और लगभग 40 प्रतिशत किशोर लड़कियां स्कूल नहीं जाती हैं. इसे परिप्रेक्ष्य में यदि स्कूल न जाने वाली लड़कियों की कुल संख्या से एक पूरा देश बनता है, तो यह दुनिया में 10वां सबसे बड़ा देश होगा. यह संख्या मैक्सिको की कुल आबादी से ज्यादा है, जहां की आबादी लगभग 12 करोड़ है.
लापता महिलाएं
यूएनएफपीए रिपोर्ट 2020 के अनुसार वर्ष भारतीय जनसांख्यिकी में लगभग 4.6 करोड़ (45.8 मिलियन) महिलाएं 'लापता' हैं, जिसका मुख्य कारण बेटे की वरीयता और लिंग असमानता से जन्म के पूर्व और बाद के लिंग चयन पर्थाएं हैं.
भारतीय राज्यों में लिंगानुपात में सुधार
2019 में जन्म और मृत्यु पंजीकरण के आंकड़ों के अनुसार जन्म के समय लिंगानुपात (SRB) को लेकर जिन राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों के लिए डेटा उपलब्ध है, उनमें से किसी ने भी एसआरबी दर्ज नहीं किया है.
जन्म लेने वाले प्रत्येक 1,000 लड़कों के लिए पैदा हुई लड़कियों की संख्या - 900 से कम है. बुरी खबर यह है कि कई ने 2018 या 2017 की तुलना में कम अनुपात दर्ज किया है.
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बाल विवाह
यूनिसेफ के अनुसार आज जीवित 65 करोड़ महिलाओं की शादी 18 साल की उम्र से पहले कर दी गई थी. भारत सहित पांच देशों में, दुनिया की लगभग आधी लड़कियों की शादी 18 साल की उम्र से पहले हो गई थी. इस संख्या के आधे से थोड़ा कम लड़कियों की शादी 15 साल की उम्र से पहले कर दी गई थी.
उत्तर प्रदेश में बाल वधू की सबसे बड़ी संख्या है, उसके बाद बिहार, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश का स्थान है.
एनसीआरबी 2020 की रिपोर्ट के अनुसार देश में सबसे ज्यादा बाल विवाह कर्नाटक में होते हैं, इसके बाद असम और पश्चिम बंगाल का नंबर आता है.
ग्लोबल गर्लहुड रिपोर्ट 2020 कहती है कि अगले पांच वर्षों में महामारी के कारण 25 लाख लड़कियों की जल्दी शादी हो सकती है.