लखनऊ: अमेरिका से अपने माता-पिता की तलाश में लखनऊ पहुंची महागनी उर्फ राखी ने अपनी दर्द भरी दास्तां ईटीवी भारत के साथ शेयर की. उन्होंने कहा कि जब वो ढाई साल की थीं, तो चारबाग रेलवे स्टेशन पर जीआरपी को मिली थीं. जीआरपी ने उनको एनजीओ को सौंप दिया. फिर एनजीओ से एक अमेरिकी महिला ने उनको गोद ले लिया. वो अमेरिका चली गई. 16 वर्षों में ये समझ में आ चुका था कि वो महिला उन्हें अपनी बेटी नहीं, बल्कि एक नौकरानी बनाकर अमेरिका लाई थी. उनकी मौत के बाद मुझे पता चला कि मेरा असली घर तो भारत के लखनऊ में है. उन्होंने पांच साल पैसे जोड़े और वो लखनऊ आ गईं. अपने असली मां बाप की तलाश में है. अमेरिका में रहने वाली 26 वर्षीय महागनी उर्फ राखी (26 year old Mahagani in search of parents) ने अपना दर्द बताया.
माता-पिता की तलाश में 26 साल की महागनी 2002 में राखी को लिया था गोद: महागनी (Rakhi aka Mahagani reached Lucknow from America) ने बताया कि, वह अमेरिका के मिनेसोटा में रहती हैं. पांच वर्ष पहले तक वह मां क्रेयल के साथ रहती थीं, लेकिन उन्होंने कभी महागनी को अपनी बेटी समझा ही नहीं. उनको हमेशा लगा कि वो सिर्फ एक नौकरानी हैं. यही वजह है कि जब उसने हाई स्कूल पूरा कर लिया तो उसने अपना घर छोड़ दिया. हालांकि जब क्रेयल की वर्ष 2016 में मृत्यु हो गईं, तो वह फिर उसी घर में गई और पुरानी चीजों को देख रही थीं. इसी दौरान उसे एक पेपर मिला और जब उसने देखा तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई. उस पेपर के मुताबिक, वह इंडिया के लखनऊ शहर की रहने वाली है और उसका नाम राखी था. क्रेयल ने उसे वर्ष 2000 में गोद लिया था. इतना ही नहीं उस पेपर के साथ कुछ तस्वीरें भी थीं. महागनी ने अब ठान लिया था कि वह आपके असली मां बाप तक किसी भी हाल में पहुंचेंगी. लिहाजा 5 वर्षों तक पैसे जोड़े और फिर अपने एक दोस्त के साथ भारत आ गईं.अमेरिका में महागनी को मिला गोद लेने का दस्तावेज दोस्त के साथ अपनों को तलाशने आई राखी: महागनी उर्फ राखी लखनऊ तो आ चुकी थी, लेकिन मां बाप की तलाश कहां से शुरू करें, उनको ये समझ में नहीं आ रहा था. राखी ने बताया कि सबसे पहले वह चारबाग जीआरपी पहुंची. वह 23 साल पहले जीआरपी को लावारिस मिली थीं. जीआरपी के अधिकारियों ने उन्हें बताया कि वैसे तो कोई भी रिकॉर्ड उनके पास उपलब्ध नहीं है, लेकिन जितने भी बच्चे उन्हें मिलते हैं, वो लखनऊ के मोती नगर स्थित लीलावती मुंशी बालिका बालगृह में भेज दिये जाते हैं. वहीं से राखी को वर्ष 2000 में अमेरिका की रहने वाली क्रेयल ने गोद ले लिया था. राखी बालिका गृह पहुंची. वहां भी उसे निराशा ही हाथ लगी. उसे बताया गया कि वहां इतना पुराना रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है. राखी अपने दोस्त क्रिस्टोफर के साथ फिर वापस आ गईं.अमेरिका में महागनी को मिली फोटो वुमेन हेल्प लाइन में सुनाई फरियाद: महागनी ने बताया कि जब से वह लखनऊ आई हैं तब से वह, उसका दोस्त क्रिस्टोफर और कैब ड्राइवर रात को सिर्फ सोने के लिए ही जाते हैं. दिन भर वो सभी एक विभाग से दूसरे विभाग के चक्कर लगा रहे हैं. वो अब तक जीआरपी, बालगृह, सीडब्ल्यूसी, 1090 समेत अन्य कई जगहों पर अपनी फरियाद सुना चुकी हैं, लेकिन अब तक कहीं से भी उसे मदद नहीं मिल सकी है. वो कहती हैं कि जगह तो अलग-अलग होती है लेकिन जवाब एक ही मिलता है कि इसके बारे में कोई रिकार्ड नहीं है. 7 साल से पैसा कर रही इकट्ठा: महागनी ने बताया कि उसको गोद लेने वाली मां क्रेयल उसे मारती थीं. नौकरानी की तरह बर्ताव करती थीं, तो उसने घर छोड़ दिया और अमेरिका में कैफे मैनेजर की नौकरी की. हालांकि कभी कभी वह मॉडलिंग भी करती थी जिससे उसकी अच्छी खासी कमाई भी होती थी. 2016 को जब उसे यह पता चला कि उसका असली घर तो लखनऊ है, तो उसने सात तक पैसे इकट्ठे किए तब वह लखनऊ आ पाई. महागनी ने बताया कि उसे इंडिया आए 18 दिन बीत चुके है. 9 अक्टूबर को अमेरिका के लिए रिटर्न फ्लाइट हैं. महागनी ने बताया कि अगर इस बार उसके मां बाप नहीं मिलते हैं तो वह एक बार फिर पैसे जोड़ेगी और दोबारा लखनऊ आकर उनकी तलाश करेंगी. यह तलाश तब तक जारी रहेगी, जब तक वो मिलते नहीं है. (Crime News UP)ये भी पढ़ें- पत्नी की हत्या कर घर के आंगन में किया दफन, ऐसे खुला राज