नई दिल्ली : सरकार ने गुरुवार को कहा कि कर्नाटक, महाराष्ट्र और तमिलनाडु सहित 34 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कोविड-19 के मामलों और संक्रमण दर में कमी दर्ज की जा रही है, जबकि केरल और मिजोरम में मामलों और संक्रमण दर में अभी भी वृद्धि हो रही है.
सरकार ने यह भी कहा कि महामारी की स्थिति में सुधार हुआ है और कोविड संक्रमण का प्रसार घटा है. देश के 268 जिलों में, संक्रमण दर पांच प्रतिशत से नीचे है. टीके की खुराक में वृद्धि के साथ कोविड-19 से मृत्यु दर में कमी दर्ज की गई है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव, लव अग्रवाल ( Luv Aggarwal Joint Secretary Union Health Ministry) ने कहा कि कोविड-19 के उपचाराधीन मामलों, दैनिक संक्रमण दर में लगातार गिरावट संक्रमण के प्रसार में कमी का संकेत देती है. यह भी उल्लेख किया गया कि कोरोना वायरस के वर्तमान स्वरूप से संक्रमित कोविड रोगियों में सर्जरी सुरक्षित है और जटिलताओं या मृत्यु की उच्च संभावना से जुड़ी नहीं है.
सरकार ने कहा कि औसतन 44 वर्ष आयु वाले लोग पिछली लहरों की तुलना में कोविड-19 की इस लहर में अधिक संक्रमित हुए और पिछली बार यह औसत आयु 55 वर्ष थी. इस लहर में, रोगियों में गले में खराश अधिक देखी गई और इलाज के लिए दवाओं का इस्तेमाल काफी कम हुआ.
स्कूलों को खोलने पर ये कहा
स्कूलों को फिर से खोलने पर सरकार ने कहा कि 11 राज्यों में स्कूल पूरी तरह से खुल गए हैं, 16 राज्यों में उच्च कक्षाओं को आंशिक रूप से खोला गया है और नौ राज्यों में स्कूल बंद हैं. सरकार ने उल्लेख किया कि स्कूलों में 95 प्रतिशत शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों का टीकाकरण हो चुका है और कुछ राज्यों ने 100 प्रतिशत टीकाकरण कवरेज हासिल कर लिया है.
युवा आबादी अधिक संक्रमित हुई
औसतन 44 वर्ष की आयु की युवा आबादी कोविड-19 की इस लहर में तुलनात्मक रूप से अधिक संक्रमित हुई, साथ ही, रेखांकित किया कि इस बार इलाज के लिए दवाओं का इस्तेमाल बहुत कम हुआ. भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के महानिदेशक बलराम भार्गव ने कहा कि कोविड की इस लहर में मरीजों में गले में खराश की समस्या ज्यादा देखने को मिली. उन्होंने कहा कि पिछली लहर की तुलना में औसतन 44 वर्ष की आयु वाली थोड़ी कम उम्र की आबादी इस लहर में अधिक संक्रमित हुई. भार्गव ने कहा कि पहले की लहरों में संक्रमित आबादी के वर्ग की औसत आयु 55 वर्ष थी.
यह निष्कर्ष कोविड-19 की 'नेशनल क्लिनिकल रजिस्ट्री' से निकला है, जिसमें 37 चिकित्सा केंद्रों में भर्ती मरीजों के बारे में डेटा एकत्र किया गया था. भार्गव ने कहा, 'दो समय अवधि थी, जिनका हमने अध्ययन किया. एक अवधि 15 नवंबर से 15 दिसंबर तक की थी, जब माना जाता है कि डेल्टा स्वरूप हावी था. दूसरी अवधि 16 दिसंबर से 17 जनवरी तक की थी, जब समझा जाता है कि ओमीक्रोन के ज्यादा मामले आ रहे थे.'
भार्गव ने कहा कि 1,520 अस्पताल में भर्ती व्यक्तियों का विश्लेषण किया गया और इस तीसरे लहर के दौरान उनकी औसत आयु लगभग 44 वर्ष थी. उन्होंने कहा, 'हमने यह भी पाया कि इस लहर के दौरान दवाओं का उपयोग काफी कम हुआ. गुर्दे की विफलता, श्वसन संबंधी गंभीर रोग (एआरडीएस) और अन्य रोगों के संबंध में कम जटिलताएं देखने को मिलीं.'
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भार्गव ने कहा कि आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर टीकाकरण वाले लोगों में मृत्यु दर 10 प्रतिशत और बिना टीकाकरण वाले लोगों में 22 प्रतिशत थी. उन्होंने कहा, 'वास्तव में इस युवा आबादी में टीकाकरण करा चुके 10 में से नौ लोग पहले से कई रोगों से ग्रस्त थे, जिनकी मृत्यु हुई. बिना टीकाकरण वाले मामले में 83 प्रतिशत लोग पहले से विभिन्न रोगों से ग्रस्त थे. इसलिए टीकाकरण नहीं कराने और पहले से कई रोग से ग्रस्त होने पर किसी मरीज का भविष्य तय होता है.'