नई दिल्ली : दिल्ली में आयोजित संविधान दिवस समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आजादी के लिए जीने-मरने वाले लोगों ने जो सपने देखे थे, उन सपनों के प्रकाश में और हज़ारों साल की भारत की महान परंपरा को संजोए हुए, हमारे संविधान निर्माताओं ने हमें संविधान दिया.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जो देश लगभग भारत के साथ आज़ाद हुए वो आज हमसे काफी आगे हैं, मतलब अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है. हमारे संविधान में समावेश पर कितना जोर दिया गया है, लेकिन आज़ादी के इतने दशकों बाद भी बड़ी संख्या में देश के लोग बहिष्करण(एक्सक्लूजन) को भोगने के लिए मजबूर रहे हैं.
कोरोना काल में पिछले कई महीनों से 80 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त अनाज सुनिश्चचित किया जा रहा है. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना पर सरकार 2 लाख 60 हजार करोड़ रुपये से अधिक खर्च करके गरीबों को मुफ्त अनाज दे रही है. अभी कल ही हमने इस योजना को अगले वर्ष मार्च तक के लिए बढ़ा दिया है.
पीएम ने कहा कि जब देश का सामान्य मानवी, देश का गरीब विकास की मुख्यधारा से जुड़ता है, जब उसे समान मौके मिलते हैं, तो उसकी दुनिया पूरी तरह बदल जाती है. जब रेहड़ी, पटरी वाले भी बैंक क्रेडिट की व्यवस्था से जुड़ता है, तो उसे राष्ट्र निर्माण में भागीदारी का एहसास होता है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि सबका साथ-सबका विकास, सबका विश्वास-सबका प्रयास, ये संविधान की भावना का सबसे सशक्त प्रकटीकरण है. संविधान के लिए समर्पित सरकार, विकास में भेद नहीं करती और ये हमने करके दिखाया है.
पीएम मोदी ने कहा कि लैंगिक समानता (Gender Equality) की बात करें तो अब पुरुषों की तुलना में बेटियों की संख्या बढ़ रही है. गर्भवती महिलाओं को अस्पताल में डिलिवरी के ज्यादा अवसर उपलब्ध हो रहे हैं. इस वजह से माता मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर कम हो रही है.
पीएम ने कहा कि पूरे विश्व में कोई भी देश ऐसा नहीं है जो प्रकट रूप से किसी अन्य देश के उपनिवेश के रूप में exist करता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उपनिवेशवादी मानसिकता, औपनिवेशिक मानसिकता (Colonial Mindset) समाप्त हो गया है. हम देख रहे हैं कि यह मानसिकता अनेक विकृतियों को जन्म दे रही है.
उन्होंने कहा कि इसका सबसे स्पष्ट उदाहरण हमें विकासशील देशों की विकास यात्राओं में आ रही बाधाओं में दिखाई देता है.जिन साधनों से, जिन मार्गों पर चलते हुए, विकसित विश्व आज के मुकाम पर पहुंचा है, आज वही साधन, वही मार्ग, विकासशील देशों के लिए बंद करने के प्रयास किए जाते हैं.
पीएम मोदी ने कहा कि सरदार पटेल ने मां नर्मदा पर सरदार सरोवर डैम जैसे एक डैम का सपना देखा था, पंडित नेहरु ने इसका शिलान्यास किया था. लेकिन ये परियोजना दर्शकों तक अप-प्रचार में फंसी रही. पर्यावरण के नाम पर चले आंदोलन में फंसी रही.न्यायालय तक इसमें निर्णय लेने से हिचकते रहे. लेकिन उसी नर्मदा के पानी से कच्छ का जो विकास हुआ, उससे कच्छ हिंदुस्तान में तेज गति से आगे बढ़ रहे जिलों में से एक बन गया है. लेकिन दुर्भाग्य यह है कि हमारे देश में भी ऐसी ही मानसिकता के चलते अपने ही देश के विकास में रोड़े अटकाए जाते है. कभी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (freedom of expression) के नाम पर तो कभी किसी और चीज़ का सहारा लेकर.
पीएम मोदी ने कहा कि आजादी के आंदोलन में जो संकल्पशक्ति पैदा हुई, उसे और अधिक मजबूत करने में ये औपनिवेशिक मानसिकता (Colonial Mindset) बहुत बड़ी बाधा है. हमें इसे दूर करना ही होगा. इसके लिए, हमारी सबसे बड़ी शक्ति, हमारा सबसे बड़ा प्रेरणा स्रोत, हमारा संविधान ही है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार और न्यायपालिका, दोनों का ही जन्म संविधान की कोख से हुआ है. इसलिए, दोनों ही जुड़वां संतानें हैं. संविधान की वजह से ही ये दोनों अस्तित्व में आए हैं. इसलिए, व्यापक दृष्टिकोण से देखें तो अलग-अलग होने के बाद भी दोनों एक दूसरे के पूरक हैं.