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मोहाली हमला : पंजाब में 'काले' दिनों की वापसी से कांग्रेस चिंतित - amit agnihotri on dark days in punjab congress

पंजाब जैसे संवेदनशील राज्य में खुफिया विभाग के दफ्तर पर हमले की घटना ने पूरे राज्य को हिलाकर रख दिया है. पंजाब कांग्रेस इस घटना को लेकर विशेष रूप से चिंतित है. पार्टी आशंकित है कि पंजाब कहीं फिर से 1980 के दशक की ओर न बढ़ जाए. पार्टी नेता बताते हैं कि तब भी कुछ इसी तरह से शुरुआत हुई थी, और बाद में जो कुछ हुआ, वह तो इतिहास का हिस्सा है. पेश है वरिष्ठ पत्रकार अमित अग्निहोत्री का एक विश्लेषण.

attack on punjab ib office mohali
पंजाब खुफिया विभाग दफ्तर पर हमले की तस्वीर
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Published : May 10, 2022, 7:15 PM IST

नई दिल्ली : एक दिन पहले पंजाब खुफिया विभाग के मुख्यालय पर रॉकेट से हमला हुआ. इस घटना ने कांग्रेस पार्टी को फिर से उग्रवाद की पुरानी घटनाओं की याद दिला दी है. पार्टी ने इस पर अपनी चिंता व्यक्त की है.

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए पंजाब कांग्रेस के प्रभारी चेतन चौहान ने कहा, 'हम कानून और व्यवस्था को लेकर सवाल उठा रहे हैं. हाल ही में हमने पटियाला में दो गुटों यानी खालिस्तानी समर्थकों और विरोधियों के बीच संघर्षों को देखा. उसके बाद खुफिया विभाग के मुख्यालय पर हमले की घटना ने उग्रवाद के काले दिनों की याद ताजा कर दी है. यह बहुत ही डरावनी तस्वीर है.'

चौहान ने कहा कि पंजाब में पिछली सरकारों ने राज्य की सुरक्षा व्यवस्था से कभी भी समझौता नहीं किया. उन्होंने कहा कि इस बार लोगों ने बदलाव के लिए वोट दिया है, लेकिन अब पंजाब में शांति खतरे में दिख रही है.

उन्होंने कहा, 'जो राज्य के बाहर के लोग हैं, वे इन काले दिनों की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं. वर्तमान सत्ताधारी दल के पास अनुभव नहीं है. उनका फोकस दूसरे राज्यों में चुनाव जीतना है.'

पंजाब के उन काले दिनों की याद ताजा करते हुए आनंदपुर साहिब से कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि पंजाब सीमावर्ती राज्य है. उन्होंने कहा कि मेरे पिता भी आतंकवादी हमले में मारे गए थे. उन्होंने कहा कि 1980 में इसी तरह से समस्याएं शुरू हुईं थीं.

तिवारी ने ट्वीट में लिखा, '1980 में ऐसे ही शुरुआत हुई थी. धीरे-धीरे परिस्थितियां नियंत्रण के बाहर हो गईं. 40 महीनों के अंदर 6 अक्टूबर 1983 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी दरबारा सिंह की अगुआई वाली कांग्रेस सरकार को बर्खास्त करने पर मजबूर हो गईं थीं. बाद में जो कुछ हुआ, वह तो इतिहास का हिस्सा है.'

लुधियाना से लोकसभा सांसद रवनीत सिंह बिट्टू, जिनके दादा पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की आतंकियों ने हत्या कर दी थी, ने भी इन घटनाओं पर चिंता व्यक्त की है.

बिट्टू ने कहा, 'यह हमला दिखाता है कि पंजाब अभी किस तरह के हालात का सामना कर रहा है. लेकिन सरकार के स्तर पर बिल्कुल ही गंभीरता नहीं दिखती है. सरकार को जवाबदेही तय करनी चाहिए और जिम्मेदार लोगों को हटाया जाना चाहिए.'

पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वारिंग ने अधिकारियों से त्वरित कार्रवाई की उम्मीद की है. राजा ने ट्वीट किया, 'और अधिक देरी हो जाए, इससे पहले कार्रवाई कीजिए. पंजाब पर हमला हुआ है. आतंकियों का इतना दुस्साहस कि उन्होंने हमें फिर से चुनौती दी है. सोमवार को किया गया हमला एक वेक-अप कॉल है. कड़ी कार्रवाई प्रतीक्षित है. हम मिलकर आतंकियों को हराएंगे.'

पंजाब कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने कहा पंजाब के खुफिया विभाग पर हमला बहुत ही चिंता वाली बात है. उन्होंने ट्वीट किया, 'कुछ दिनों पहले तरनतारण में आरडीएक्स बरामद हुआ था. पंजाब में फिर से काले दिनों की शुरुआत हो चुकी है. हम जिस कुर्बानी से राज्य में शांति हासिल की है, उसे खोने नहीं दे सकते हैं.'

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, जिन्होंने पिछले साल कांग्रेस छोड़कर भाजपा के साथ गठबंधन कर लिया था, ने भी अपनी चिंता व्यक्त की है. उन्होंने कहा, 'पंजाब पुलिस के मोहाली स्थित खुफिया विभाग के मुख्यालय पर धमाके की खबर सुनकर मैं बहुत की चिंतित हूं. ये तो अच्छा हुआ कि कोई हताहत नहीं हुआ. पुलिस बल पर ये हमला खुली चुनौती है. मैं मुख्यमंत्री भगवंत मान से प्रार्थना करता हूं कि वे इस कृत्य के लिए दोषियों को ढूंढकर न्याय के कटघरे में खड़ा करें.'

नई दिल्ली : एक दिन पहले पंजाब खुफिया विभाग के मुख्यालय पर रॉकेट से हमला हुआ. इस घटना ने कांग्रेस पार्टी को फिर से उग्रवाद की पुरानी घटनाओं की याद दिला दी है. पार्टी ने इस पर अपनी चिंता व्यक्त की है.

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए पंजाब कांग्रेस के प्रभारी चेतन चौहान ने कहा, 'हम कानून और व्यवस्था को लेकर सवाल उठा रहे हैं. हाल ही में हमने पटियाला में दो गुटों यानी खालिस्तानी समर्थकों और विरोधियों के बीच संघर्षों को देखा. उसके बाद खुफिया विभाग के मुख्यालय पर हमले की घटना ने उग्रवाद के काले दिनों की याद ताजा कर दी है. यह बहुत ही डरावनी तस्वीर है.'

चौहान ने कहा कि पंजाब में पिछली सरकारों ने राज्य की सुरक्षा व्यवस्था से कभी भी समझौता नहीं किया. उन्होंने कहा कि इस बार लोगों ने बदलाव के लिए वोट दिया है, लेकिन अब पंजाब में शांति खतरे में दिख रही है.

उन्होंने कहा, 'जो राज्य के बाहर के लोग हैं, वे इन काले दिनों की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं. वर्तमान सत्ताधारी दल के पास अनुभव नहीं है. उनका फोकस दूसरे राज्यों में चुनाव जीतना है.'

पंजाब के उन काले दिनों की याद ताजा करते हुए आनंदपुर साहिब से कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि पंजाब सीमावर्ती राज्य है. उन्होंने कहा कि मेरे पिता भी आतंकवादी हमले में मारे गए थे. उन्होंने कहा कि 1980 में इसी तरह से समस्याएं शुरू हुईं थीं.

तिवारी ने ट्वीट में लिखा, '1980 में ऐसे ही शुरुआत हुई थी. धीरे-धीरे परिस्थितियां नियंत्रण के बाहर हो गईं. 40 महीनों के अंदर 6 अक्टूबर 1983 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी दरबारा सिंह की अगुआई वाली कांग्रेस सरकार को बर्खास्त करने पर मजबूर हो गईं थीं. बाद में जो कुछ हुआ, वह तो इतिहास का हिस्सा है.'

लुधियाना से लोकसभा सांसद रवनीत सिंह बिट्टू, जिनके दादा पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की आतंकियों ने हत्या कर दी थी, ने भी इन घटनाओं पर चिंता व्यक्त की है.

बिट्टू ने कहा, 'यह हमला दिखाता है कि पंजाब अभी किस तरह के हालात का सामना कर रहा है. लेकिन सरकार के स्तर पर बिल्कुल ही गंभीरता नहीं दिखती है. सरकार को जवाबदेही तय करनी चाहिए और जिम्मेदार लोगों को हटाया जाना चाहिए.'

पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वारिंग ने अधिकारियों से त्वरित कार्रवाई की उम्मीद की है. राजा ने ट्वीट किया, 'और अधिक देरी हो जाए, इससे पहले कार्रवाई कीजिए. पंजाब पर हमला हुआ है. आतंकियों का इतना दुस्साहस कि उन्होंने हमें फिर से चुनौती दी है. सोमवार को किया गया हमला एक वेक-अप कॉल है. कड़ी कार्रवाई प्रतीक्षित है. हम मिलकर आतंकियों को हराएंगे.'

पंजाब कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने कहा पंजाब के खुफिया विभाग पर हमला बहुत ही चिंता वाली बात है. उन्होंने ट्वीट किया, 'कुछ दिनों पहले तरनतारण में आरडीएक्स बरामद हुआ था. पंजाब में फिर से काले दिनों की शुरुआत हो चुकी है. हम जिस कुर्बानी से राज्य में शांति हासिल की है, उसे खोने नहीं दे सकते हैं.'

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, जिन्होंने पिछले साल कांग्रेस छोड़कर भाजपा के साथ गठबंधन कर लिया था, ने भी अपनी चिंता व्यक्त की है. उन्होंने कहा, 'पंजाब पुलिस के मोहाली स्थित खुफिया विभाग के मुख्यालय पर धमाके की खबर सुनकर मैं बहुत की चिंतित हूं. ये तो अच्छा हुआ कि कोई हताहत नहीं हुआ. पुलिस बल पर ये हमला खुली चुनौती है. मैं मुख्यमंत्री भगवंत मान से प्रार्थना करता हूं कि वे इस कृत्य के लिए दोषियों को ढूंढकर न्याय के कटघरे में खड़ा करें.'

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