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गुर्जर आंदोलन के सूत्रधार किरोड़ी सिंह बैंसला का निधन

गुर्जर नेता किरोड़ी सिंह बैंसला का गुरुवार को निधन (Colonel Kirori Singh Bainsla passed away) हो गया. बैंसला ने जयपुर स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली. वो कई दिनों से बीमार चल रहे थे.

गुर्जर नेता किरोड़ी सिंह बैंसला का निधन
गुर्जर नेता किरोड़ी सिंह बैंसला का निधन
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Published : Mar 31, 2022, 8:38 AM IST

Updated : Mar 31, 2022, 10:53 AM IST

जयपुर. गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक और गुर्जर नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला नहीं रहे (Colonel Kirori Singh Bainsla passed away). जयपुर के एक निजी अस्पताल में उपचार के दौरान बैंसला ने अंतिम सांस ली. कर्नल बैंसला पिछले लंबे समय से बीमार चल रहे थे. राजस्थान में गुर्जर आरक्षण आंदोलन की अगुवाई के चलते बैंसला देशभर में चर्चाओं में आए थे. कर्नल बैंसला के निधन की पुष्टि उनके पुत्र विजय बैंसला ने की. फिलहाल कर्नल बैंसला का शव अस्पताल से जयपुर स्थित उनके निवास पर लाया जाएगा जहां से ये पार्थिव देह उनके पैतृक गांव में अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जाएगा. कर्नल बैंसला के निधन के बाद गुर्जर समाज ही नहीं बल्कि उनके प्रशंसक और सम्पूर्ण एमबीसी समाज में शोक की लहर छा गई है. बैंसला के निधन पर विभिन्न राजनेताओं और प्रमुख लोगों ने शोक संवेदना व्यक्त की है.

अजमेर से भाजपा सांसद भगीरथ चौधरी ने ट्वीट कर कहा कि कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के निधन का समाचार दुःखद है. समाज सुधार एवं समाज को संगठित करने में उनका योगदान अविस्मरणीय रहेगा. ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दे. परिजनों को यह दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें. जयपुर नगर निगम की मेयर सौम्या गुर्जर ने भी श्रद्धांजलि दी. कैबिनेट मंत्री राजेंद्र सिंह यादव ने लिखा कि कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के निधन का समाचार सुनकर मन व्यथित है. सामाजिक एकता के लिए समर्पित उनका जीवन सदैव प्रेरणा देता रहेगा. ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान प्रदान करें. विनम्र श्रद्धांजलि!.

पढ़ें- Rajasthan Politics: आरक्षण के बाद सियासी जमीन पर हक की लड़ाई को 'धार' दे रहे बैंसला

कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का परिचय: कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का जन्म राजस्थान के करौली जिले के मुंडिया गांव में हुआ. गुर्जर समुदाय से आने वाले किरोड़ी सिंह ने अपने करियर की शुरुआत शिक्षक के तौर पर ही थी, लेकिन पिता के फौज में होने के कारण उनका रुझान फौज की तरफ थी. उन्होंने भी सेना में जाने का मन बना लिया. वह सेना में सिपाही के रूप में भर्ती हो गए. बैंसला सेना की राजपूताना राइफल्स में भर्ती हुए थे और सेना में रहते हुए 1962 के भारत-चीन और 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में बहादुरी से वतन के लिए जौहर दिखाया.

रिटायर होने के बाद शुरू किया गुर्जर आंदोलन: सेना से रिटायर होने के बाद किरोड़ी सिंह राजस्थान लौट आए और गुर्जर समुदाय के लिए अपनी लड़ाई शुरू की. आंदोलन के दौरा कई बार उन्होंने रेल रोकी, पटरियों पर धरना दिया. आंदोलन को लेकर उन पर कई आरोप भी लगे. उनके आंदोलन में अब तक 70 से अधिक लोगों की मौत हुई थी. उन्होंने गुर्जरों के हक के लिए लड़ाई लड़ी. दरअसल तब गुर्जर समाज ओबीसी में आरक्षण का लाभ ले रहे थे लेकिन समाज की मांग थी कि उनके लिए विशेष कैटेगरी में आरक्षण दिया जाए. ये आंदोलन करीब 2 साल लंबा चला था. तत्कालीन वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल में गुर्जर आरक्षण आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने गोलियां भी चलाई थीं.

राजनीति में हाथ अजमा चुके थे बैंसला: कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला यू तो गुर्जर आरक्षण आंदोलन के चलते सुर्खियों में आए थे लेकिन उसके बाद उन्होंने राजनीति में भी अपने हाथ आजमाएं. कर्नल बैंसला साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर टोंक सवाई माधोपुर से चुनाव लड़े और बहुत कम अंतर से कांग्रेस के नमो नारायण मीणा से चुनाव हार गए. इसके बाद सामाजिक मांगों के चलते उनकी भाजपा से दूरियां बढ़ी लेकिन साल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने अपने बेटे विजय बैंसला के साथ दिल्ली में भाजपा की सदस्यता भी ग्रहण की थी. भाजपा में शामिल होने के बाद भी वे राजनीति में ज्यादा सक्रिय ना रहकर समाज से जुड़े मसलों और समाज के कार्यों में ही सक्रिय रहे.

जयपुर. गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक और गुर्जर नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला नहीं रहे (Colonel Kirori Singh Bainsla passed away). जयपुर के एक निजी अस्पताल में उपचार के दौरान बैंसला ने अंतिम सांस ली. कर्नल बैंसला पिछले लंबे समय से बीमार चल रहे थे. राजस्थान में गुर्जर आरक्षण आंदोलन की अगुवाई के चलते बैंसला देशभर में चर्चाओं में आए थे. कर्नल बैंसला के निधन की पुष्टि उनके पुत्र विजय बैंसला ने की. फिलहाल कर्नल बैंसला का शव अस्पताल से जयपुर स्थित उनके निवास पर लाया जाएगा जहां से ये पार्थिव देह उनके पैतृक गांव में अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जाएगा. कर्नल बैंसला के निधन के बाद गुर्जर समाज ही नहीं बल्कि उनके प्रशंसक और सम्पूर्ण एमबीसी समाज में शोक की लहर छा गई है. बैंसला के निधन पर विभिन्न राजनेताओं और प्रमुख लोगों ने शोक संवेदना व्यक्त की है.

अजमेर से भाजपा सांसद भगीरथ चौधरी ने ट्वीट कर कहा कि कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के निधन का समाचार दुःखद है. समाज सुधार एवं समाज को संगठित करने में उनका योगदान अविस्मरणीय रहेगा. ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दे. परिजनों को यह दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें. जयपुर नगर निगम की मेयर सौम्या गुर्जर ने भी श्रद्धांजलि दी. कैबिनेट मंत्री राजेंद्र सिंह यादव ने लिखा कि कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के निधन का समाचार सुनकर मन व्यथित है. सामाजिक एकता के लिए समर्पित उनका जीवन सदैव प्रेरणा देता रहेगा. ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान प्रदान करें. विनम्र श्रद्धांजलि!.

पढ़ें- Rajasthan Politics: आरक्षण के बाद सियासी जमीन पर हक की लड़ाई को 'धार' दे रहे बैंसला

कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का परिचय: कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का जन्म राजस्थान के करौली जिले के मुंडिया गांव में हुआ. गुर्जर समुदाय से आने वाले किरोड़ी सिंह ने अपने करियर की शुरुआत शिक्षक के तौर पर ही थी, लेकिन पिता के फौज में होने के कारण उनका रुझान फौज की तरफ थी. उन्होंने भी सेना में जाने का मन बना लिया. वह सेना में सिपाही के रूप में भर्ती हो गए. बैंसला सेना की राजपूताना राइफल्स में भर्ती हुए थे और सेना में रहते हुए 1962 के भारत-चीन और 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में बहादुरी से वतन के लिए जौहर दिखाया.

रिटायर होने के बाद शुरू किया गुर्जर आंदोलन: सेना से रिटायर होने के बाद किरोड़ी सिंह राजस्थान लौट आए और गुर्जर समुदाय के लिए अपनी लड़ाई शुरू की. आंदोलन के दौरा कई बार उन्होंने रेल रोकी, पटरियों पर धरना दिया. आंदोलन को लेकर उन पर कई आरोप भी लगे. उनके आंदोलन में अब तक 70 से अधिक लोगों की मौत हुई थी. उन्होंने गुर्जरों के हक के लिए लड़ाई लड़ी. दरअसल तब गुर्जर समाज ओबीसी में आरक्षण का लाभ ले रहे थे लेकिन समाज की मांग थी कि उनके लिए विशेष कैटेगरी में आरक्षण दिया जाए. ये आंदोलन करीब 2 साल लंबा चला था. तत्कालीन वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल में गुर्जर आरक्षण आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने गोलियां भी चलाई थीं.

राजनीति में हाथ अजमा चुके थे बैंसला: कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला यू तो गुर्जर आरक्षण आंदोलन के चलते सुर्खियों में आए थे लेकिन उसके बाद उन्होंने राजनीति में भी अपने हाथ आजमाएं. कर्नल बैंसला साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर टोंक सवाई माधोपुर से चुनाव लड़े और बहुत कम अंतर से कांग्रेस के नमो नारायण मीणा से चुनाव हार गए. इसके बाद सामाजिक मांगों के चलते उनकी भाजपा से दूरियां बढ़ी लेकिन साल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने अपने बेटे विजय बैंसला के साथ दिल्ली में भाजपा की सदस्यता भी ग्रहण की थी. भाजपा में शामिल होने के बाद भी वे राजनीति में ज्यादा सक्रिय ना रहकर समाज से जुड़े मसलों और समाज के कार्यों में ही सक्रिय रहे.

Last Updated : Mar 31, 2022, 10:53 AM IST
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