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Champaran Mutton Movie : ऑस्कर की रेस में शामिल हुई फिल्म 'चंपारण मटन', सेमीफाइनल राउंड में पहुंची मूवी - फलक के माता पिता

बिहार की बेटी फलक ने चंपारण मटन फिल्म में अपने अभिनय का कमाल दिखाया. अब ये फिल्म ऑस्कर की रेस में शामिल हो चुकी है. इस कैटेगरी में यह भारत की पहली फिल्म है, जो कि सेमीफाइनल राउंड में प्रवेश कर चुकी है.

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Published : Jul 27, 2023, 4:36 PM IST

पटना : भारतीय सिनेमा जगत से एकमात्र फिल्म चंपारण मटन ऑस्कर की दौड़ में न सिर्फ शामिल हुई बल्कि सेमीफाइनल की रेस में है. बिहार के मुजफ्फरपुर की बेटी 'फलक' द्वारा अभिनीत ये फिल्म ऑस्कर में नैरेटिव श्रेणी में जगह बना चुकी है. अगले राउंड में इस फिल्म का मुकाबला जर्मनी, अर्जेंटीना, बेल्जियम की मूवी से होगा.

ये भी पढ़ें- Documentary Elephant Whisperers: फिल्म की नायिका ने कहा- मुझे ऑस्कर के बारे में नहीं पता, मैं सिर्फ हाथियों को जानती हूं

विश्व के फलक पर छा गईं 'फलक' : नैरिटव श्रेणी के अलावा भी इस फिल्म ने तीन अन्य श्रेणियों में अपना मुकाम बनाया हुआ है. अमेरिका, फ्रांस, ऑस्ट्रिया जैसे देशों को पछाड़कर इस फिल्म ने ऑस्कर के स्टूडेंट अकादमी अवार्ड के सेमीफाइनल में अपनी जगह बना लिया है. इस अवॉर्ड के लिए भी विश्वभर के फिल्म प्रशिक्षण संस्थानों का सलेक्शन किया गया था.

अपनी कैटेगरी में यह पहली भारतीय मूवी : चंपारण मटन फिल्म आधे घंटे की मूवी है. इसका निर्देशन फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया पुणे के रंजन कुमार ने किया है. गौरतलब है कि ऑस्कर अवॉर्ड चार स्तर पर दिया जाता है. चंपारण मटन का सलेक्शन नैरेटिव कैटेगरी में हुआ है. इस कैटेगरी में शामिल होने वाली यह पहली भारतीय मूवी है.

किसे दिया जाता है ये अवॉर्ड ? : स्टूडेंट अकादमी अवार्ड फिल्म मेकिंग से जुड़े संस्थानों और यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स को दिया जाता है. ये ऑस्कर की ही एक ब्रांच होती है. 1972 से ही इसे अच्छी फिल्म मेकिंग के लिए दिया जाता है.

दर्शकों को जल्दी कनेक्ट करती है 'चंपारण मटन' : चंपारण मटन फिल्म की एक्ट्रेस फलक ने बताया कि यह फिल्म लॉकडाउन की परिस्थिति विशेषकर जब नौकरी छूट जाने के बाद के हालात पर आधारित है. यह कहानी बेहद ही संवेदनशील है और मात्र आधे घंटे में ही दर्शक के हृदय को छू लेती है. यही वजह है कि इस मूवी को ऑस्कर में स्टूडेंट अकादमी अवॉर्ड के लिए चुना गया.

फलक के माता पिता को बेटी पर गर्व : फलक के माता पिता पटना के ललित नारायण मिश्रा मैनेजमेंट कॉलजे में प्रोफेसर के पद पर काम कर रहे हैं. जब से ये फिल्म ऑस्कर की इस श्रेणी के लिए चुनी गई है तब से माता-पिता को अपनी बेटी की इस उपलब्धि पर गर्व हो रहा है.

पटना : भारतीय सिनेमा जगत से एकमात्र फिल्म चंपारण मटन ऑस्कर की दौड़ में न सिर्फ शामिल हुई बल्कि सेमीफाइनल की रेस में है. बिहार के मुजफ्फरपुर की बेटी 'फलक' द्वारा अभिनीत ये फिल्म ऑस्कर में नैरेटिव श्रेणी में जगह बना चुकी है. अगले राउंड में इस फिल्म का मुकाबला जर्मनी, अर्जेंटीना, बेल्जियम की मूवी से होगा.

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विश्व के फलक पर छा गईं 'फलक' : नैरिटव श्रेणी के अलावा भी इस फिल्म ने तीन अन्य श्रेणियों में अपना मुकाम बनाया हुआ है. अमेरिका, फ्रांस, ऑस्ट्रिया जैसे देशों को पछाड़कर इस फिल्म ने ऑस्कर के स्टूडेंट अकादमी अवार्ड के सेमीफाइनल में अपनी जगह बना लिया है. इस अवॉर्ड के लिए भी विश्वभर के फिल्म प्रशिक्षण संस्थानों का सलेक्शन किया गया था.

अपनी कैटेगरी में यह पहली भारतीय मूवी : चंपारण मटन फिल्म आधे घंटे की मूवी है. इसका निर्देशन फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया पुणे के रंजन कुमार ने किया है. गौरतलब है कि ऑस्कर अवॉर्ड चार स्तर पर दिया जाता है. चंपारण मटन का सलेक्शन नैरेटिव कैटेगरी में हुआ है. इस कैटेगरी में शामिल होने वाली यह पहली भारतीय मूवी है.

किसे दिया जाता है ये अवॉर्ड ? : स्टूडेंट अकादमी अवार्ड फिल्म मेकिंग से जुड़े संस्थानों और यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स को दिया जाता है. ये ऑस्कर की ही एक ब्रांच होती है. 1972 से ही इसे अच्छी फिल्म मेकिंग के लिए दिया जाता है.

दर्शकों को जल्दी कनेक्ट करती है 'चंपारण मटन' : चंपारण मटन फिल्म की एक्ट्रेस फलक ने बताया कि यह फिल्म लॉकडाउन की परिस्थिति विशेषकर जब नौकरी छूट जाने के बाद के हालात पर आधारित है. यह कहानी बेहद ही संवेदनशील है और मात्र आधे घंटे में ही दर्शक के हृदय को छू लेती है. यही वजह है कि इस मूवी को ऑस्कर में स्टूडेंट अकादमी अवॉर्ड के लिए चुना गया.

फलक के माता पिता को बेटी पर गर्व : फलक के माता पिता पटना के ललित नारायण मिश्रा मैनेजमेंट कॉलजे में प्रोफेसर के पद पर काम कर रहे हैं. जब से ये फिल्म ऑस्कर की इस श्रेणी के लिए चुनी गई है तब से माता-पिता को अपनी बेटी की इस उपलब्धि पर गर्व हो रहा है.

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