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चंबल में बाढ़ ने तोड़ा 26 साल का रिकॉर्ड, चारों तरफ सिर्फ पानी ही पानी - चंबल की बाढ़

उत्तर प्रदेश में आगरा के पिनाहट में बाढ़ ने 26 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. चंबल नदी शाम को खतरे के निशान से सात मीटर (करीब 21 फुट) ऊपर 137.20 मीटर पर पहुंच गई. नदी में 26.48 लाख क्यूसेक पानी की आवक है, जिससे शुक्रवार को हालात और बिगड़ने की आशंका है.

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आगरा के पिनाहट में बाढ़
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Published : Aug 26, 2022, 9:54 AM IST

आगरा: आगरा के पिनाहट में बाढ़ ने 26 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. चंबल नदी शाम को खतरे के निशान से सात मीटर (करीब 21 फुट) ऊपर 137.20 मीटर पर पहुंच गई. नदी में 26.48 लाख क्यूसेक पानी की आवक है, जिससे शुक्रवार को हालात और बिगड़ने की आशंका है. तटवर्ती इलाकों के गांव में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं. चंबल नदी में आई बाढ़ ने 26 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया है. 24 से अधिक गांव में बाढ़ का संकट है. 12 से अधिक गांवों का संपर्क टूट गया है. प्रशासन की व्यवस्था, ज्यादातर फेल दिख रही है.

बाढ़ की वजह से लोगों को परेशानी
आपको बता दें कि राजस्थान और मध्य प्रदेश में भारी बारिश के चलते चंबल नदी के गांधी सागर बांध, राणा सागर बांध, जवाहर सागर बांधों में पानी बढ़ने के बाद भारी मात्रा में पानी डिस्चार्ज होने से राजस्थान के कोटा बैराज का जलस्तर एकदम बढ़ने से बैराज के 16 गेट खोल कर चंबल नदी में करीब 21 लाख 13 हजार क्यूसेक पानी छोड़े जाने से नदी में उफान है.
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आगरा के पिनाहट में बाढ़

वहीं, गुरुवार तक धीरे-धीरे जलस्तर बढ़कर पिनाहट चंबल नदी घाट पर खतरे का निशान 130 मीटर को पार कर 7 मीटर ऊपर 137.20 मीटर तक पहुंच गयी है. प्रशासन ने हाई अलर्ट जारी किया है. चंबल में उफान के चलते तटवर्ती इलाकों के गांव के लोगों की परेशानी बढ़ गई है. वहीं, चंबल नदी के तटवर्ती इलाके के 24 से अधिक गांवों में बाढ़ की स्थिति बन गई है.

12 के करीब गांव के मार्गों पर पानी भरने से संपर्क टूट गया है. कई गांव टापू बन गए हैं, तो कई गांव में पानी अंदर घुस गया है. ग्रामीणों के घर डूब गए हैं. ग्रामीण अपने परिवार के साथ सामान को लेकर ऊंचे स्थानों के लिए पलायन कर गए हैं. खेतों में पानी भर जाने के कारण हजारों बीघा फसल बर्बाद हो चुकी है.

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आगरा में बाढ़ के कारण बेघर हुए लोग

इसे भी पढ़ेंः Bhind Chambal Flood चंबल में तबाही की बाढ़, आशियाना छोड़ने को मजबूर ग्रामीण, ETV भारत की ग्राउंड रिपोर्ट

चारों तरफ पानी ही पानी है. बर्बादी पर तबाही का मंजर देखने को मिल रहा है, जिससे लोगों की रुह कांप जाएगी. वहीं, जिन गांव के संपर्क मार्गों पर पानी भरने पर ग्रामीणों के आवागमन के लिए प्रशासन द्वारा स्ट्रीमर संचालन कराया जा रहा है. बाढ़ चौकियों पर प्रशासनिक कर्मचारियों की तैनाती की गई है. अधिकारी लगातार मॉनिटरिंग कर रहे हैं. गुरुवार को आगरा कमिश्नर अमित गुप्ता सहित जिलाधिकारी आगरा प्रभु एन सिंह और एसएसपी आगरा प्रभाकर चौधरी ने अपने अधीनस्थों के साथ चंबल की तटवर्ती इलाकों के गांव का दौरा कर जायजा लिया और अधीनस्थों को समस्याओं से निपटने के लिए जरूरी दिशा-निर्देश दिए.

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खतरे के निशान से ऊपर बह रही चंबल नदीं
चंबल नदी में बाढ़ के चलते कई गांव में पानी घुसने से तटवर्ती इलाके के गांव रानीपुरा, भटपुरा, गोहरा, उमरैठापुरा, भगवानपुरा, सिमराही, कछियारा, रेहा, डालपुरा में स्कूलों और घरों में पानी भर जाने के कारण स्थिति खराब हो गई है लोग छतों पर पनाह ले रहे हैं.चंबल के तटवर्ती इलाकों के गांव की काटी बिजलीचंबल नदी में बाढ़ के चलते कई गांव में पानी भर गया है. गांव पूरी तरह से टापू बन गए हैं. बिजली के विद्युत पोल पानी में डूबे हुए हैं. जिसके चलते कोई हादसा न हो जिसे लेकर रानीपुरा, भटपुरा, गोहरा, उमरैठापुरा, भगवानपुरा, गुढा, रेहा, कछियारा, आदि गांव की बिजली काटी गई है. बिजली कटने से गांव में अंधेरा छाया हुआ है.

ग्रामीणों ने स्ट्रीमर संचालन की उठाई मांग, प्रशासन की व्यवस्था फेल
कोटा बैराज से छोड़े गए पानी से चंबल नदी में बाढ़ के हालात है जिसके चलते रानीपुरा, भटपुरा, गुड़ा,गोहरा, भगवानपुरा, डालपुरा झरनापुरा, रेहा टापू बन गए हैं. ग्रामीणों के आवागमन के लिए प्रशासन की ओर से स्ट्रीमर संचालन शुरू कराया गया है. वहीं, रेहा, बरेण्डा ग्राम पंचायतों के ग्राम प्रधानों ने स्ट्रीमर संचालन की प्रशासन से मांग की है. आरोप है कि फिलहाल खाने-पीने की व्यवस्था उन तक नहीं पहुंची है. ग्रामीणों का कहना है कि उनके पास खाने की सामग्री है, स्थिति खराब होने पर गुहार लगाई जाएगी.

चंबल के जलस्तर का अभी तक का रिकॉर्ड टूटा

वर्ष जल स्तर (मीटर में)
1996 136.60
2019 136.10
2021 135.70
2022 फिलहाल 137.20 मीटर
जब प्रशासन से कोई मदद मिलती नहीं दिखी और बाढ़ का पानी जानलेवा होता दिखा तो जिंदगी पर रिस्क ले लिया. गुरुवार को जब स्टीमर नाव की कोई व्यवस्था नहीं दिखी तो उमरैठा पुरा में बाहर निकलने के लिए लोगों ने ट्यूब का सहारा लिया. लोगों ने छोटे -छोटे बच्चों को जान जोखिम में डालकर बाढ़ के पानी से ट्यूब पर बिठाकर बाहर निकाला.

बाढ़ के हालात का जायजा लेने गुरुवार को कमिश्नर अमित गुप्ता सहित डीएम आगरा प्रभु एमसिंह एवं एसएसपी आगरा प्रभाकर चौधरी अपने अधीनस्थों के साथ बाढ़ प्रभावित गांवों में जायजा लेने पहुंचे और अधीनस्थों को बाढ़ से निपटने को जरूरी दिशा -निर्देश दिए. वहीं, बाढ़ प्रभावित गांव में कोई परेशानी न हो और हर संभव सहायता मिले जिसके लिए एनडीआरएफ की टीम को बुलाया गया है.

इसे भी पढ़ेंः प्रयागराज में उफान पर गंगा यमुना, गलियों में पानी भरने से लोगों को हो रही परेशानी

आगरा: आगरा के पिनाहट में बाढ़ ने 26 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. चंबल नदी शाम को खतरे के निशान से सात मीटर (करीब 21 फुट) ऊपर 137.20 मीटर पर पहुंच गई. नदी में 26.48 लाख क्यूसेक पानी की आवक है, जिससे शुक्रवार को हालात और बिगड़ने की आशंका है. तटवर्ती इलाकों के गांव में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं. चंबल नदी में आई बाढ़ ने 26 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया है. 24 से अधिक गांव में बाढ़ का संकट है. 12 से अधिक गांवों का संपर्क टूट गया है. प्रशासन की व्यवस्था, ज्यादातर फेल दिख रही है.

बाढ़ की वजह से लोगों को परेशानी
आपको बता दें कि राजस्थान और मध्य प्रदेश में भारी बारिश के चलते चंबल नदी के गांधी सागर बांध, राणा सागर बांध, जवाहर सागर बांधों में पानी बढ़ने के बाद भारी मात्रा में पानी डिस्चार्ज होने से राजस्थान के कोटा बैराज का जलस्तर एकदम बढ़ने से बैराज के 16 गेट खोल कर चंबल नदी में करीब 21 लाख 13 हजार क्यूसेक पानी छोड़े जाने से नदी में उफान है.
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आगरा के पिनाहट में बाढ़

वहीं, गुरुवार तक धीरे-धीरे जलस्तर बढ़कर पिनाहट चंबल नदी घाट पर खतरे का निशान 130 मीटर को पार कर 7 मीटर ऊपर 137.20 मीटर तक पहुंच गयी है. प्रशासन ने हाई अलर्ट जारी किया है. चंबल में उफान के चलते तटवर्ती इलाकों के गांव के लोगों की परेशानी बढ़ गई है. वहीं, चंबल नदी के तटवर्ती इलाके के 24 से अधिक गांवों में बाढ़ की स्थिति बन गई है.

12 के करीब गांव के मार्गों पर पानी भरने से संपर्क टूट गया है. कई गांव टापू बन गए हैं, तो कई गांव में पानी अंदर घुस गया है. ग्रामीणों के घर डूब गए हैं. ग्रामीण अपने परिवार के साथ सामान को लेकर ऊंचे स्थानों के लिए पलायन कर गए हैं. खेतों में पानी भर जाने के कारण हजारों बीघा फसल बर्बाद हो चुकी है.

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आगरा में बाढ़ के कारण बेघर हुए लोग

इसे भी पढ़ेंः Bhind Chambal Flood चंबल में तबाही की बाढ़, आशियाना छोड़ने को मजबूर ग्रामीण, ETV भारत की ग्राउंड रिपोर्ट

चारों तरफ पानी ही पानी है. बर्बादी पर तबाही का मंजर देखने को मिल रहा है, जिससे लोगों की रुह कांप जाएगी. वहीं, जिन गांव के संपर्क मार्गों पर पानी भरने पर ग्रामीणों के आवागमन के लिए प्रशासन द्वारा स्ट्रीमर संचालन कराया जा रहा है. बाढ़ चौकियों पर प्रशासनिक कर्मचारियों की तैनाती की गई है. अधिकारी लगातार मॉनिटरिंग कर रहे हैं. गुरुवार को आगरा कमिश्नर अमित गुप्ता सहित जिलाधिकारी आगरा प्रभु एन सिंह और एसएसपी आगरा प्रभाकर चौधरी ने अपने अधीनस्थों के साथ चंबल की तटवर्ती इलाकों के गांव का दौरा कर जायजा लिया और अधीनस्थों को समस्याओं से निपटने के लिए जरूरी दिशा-निर्देश दिए.

etv bharat
खतरे के निशान से ऊपर बह रही चंबल नदीं
चंबल नदी में बाढ़ के चलते कई गांव में पानी घुसने से तटवर्ती इलाके के गांव रानीपुरा, भटपुरा, गोहरा, उमरैठापुरा, भगवानपुरा, सिमराही, कछियारा, रेहा, डालपुरा में स्कूलों और घरों में पानी भर जाने के कारण स्थिति खराब हो गई है लोग छतों पर पनाह ले रहे हैं.चंबल के तटवर्ती इलाकों के गांव की काटी बिजलीचंबल नदी में बाढ़ के चलते कई गांव में पानी भर गया है. गांव पूरी तरह से टापू बन गए हैं. बिजली के विद्युत पोल पानी में डूबे हुए हैं. जिसके चलते कोई हादसा न हो जिसे लेकर रानीपुरा, भटपुरा, गोहरा, उमरैठापुरा, भगवानपुरा, गुढा, रेहा, कछियारा, आदि गांव की बिजली काटी गई है. बिजली कटने से गांव में अंधेरा छाया हुआ है.

ग्रामीणों ने स्ट्रीमर संचालन की उठाई मांग, प्रशासन की व्यवस्था फेल
कोटा बैराज से छोड़े गए पानी से चंबल नदी में बाढ़ के हालात है जिसके चलते रानीपुरा, भटपुरा, गुड़ा,गोहरा, भगवानपुरा, डालपुरा झरनापुरा, रेहा टापू बन गए हैं. ग्रामीणों के आवागमन के लिए प्रशासन की ओर से स्ट्रीमर संचालन शुरू कराया गया है. वहीं, रेहा, बरेण्डा ग्राम पंचायतों के ग्राम प्रधानों ने स्ट्रीमर संचालन की प्रशासन से मांग की है. आरोप है कि फिलहाल खाने-पीने की व्यवस्था उन तक नहीं पहुंची है. ग्रामीणों का कहना है कि उनके पास खाने की सामग्री है, स्थिति खराब होने पर गुहार लगाई जाएगी.

चंबल के जलस्तर का अभी तक का रिकॉर्ड टूटा

वर्ष जल स्तर (मीटर में)
1996 136.60
2019 136.10
2021 135.70
2022 फिलहाल 137.20 मीटर
जब प्रशासन से कोई मदद मिलती नहीं दिखी और बाढ़ का पानी जानलेवा होता दिखा तो जिंदगी पर रिस्क ले लिया. गुरुवार को जब स्टीमर नाव की कोई व्यवस्था नहीं दिखी तो उमरैठा पुरा में बाहर निकलने के लिए लोगों ने ट्यूब का सहारा लिया. लोगों ने छोटे -छोटे बच्चों को जान जोखिम में डालकर बाढ़ के पानी से ट्यूब पर बिठाकर बाहर निकाला.

बाढ़ के हालात का जायजा लेने गुरुवार को कमिश्नर अमित गुप्ता सहित डीएम आगरा प्रभु एमसिंह एवं एसएसपी आगरा प्रभाकर चौधरी अपने अधीनस्थों के साथ बाढ़ प्रभावित गांवों में जायजा लेने पहुंचे और अधीनस्थों को बाढ़ से निपटने को जरूरी दिशा -निर्देश दिए. वहीं, बाढ़ प्रभावित गांव में कोई परेशानी न हो और हर संभव सहायता मिले जिसके लिए एनडीआरएफ की टीम को बुलाया गया है.

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