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स्थायी नियुक्ति की याचिका पर आदेश देने से पहले कार्यवाहक डीजीपी का पक्ष सुनेगा मुंबई HC

अदालत शहर के वकील दत्ता माने की जनहित याचिका पर सुनवाई (PIL filed by advocate Datta Mane) कर रही थी, जिसमें राज्य सरकार को डीजीपी के पद पर स्थायी नियुक्ति करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है. माने के वकील अभिनव चंद्रचूड़ ने दलील दी थी कि उच्चतम न्यायालय के फैसले के अनुसार राज्य के शीर्ष पुलिस अधिकारी के पद को कार्यवाहक नहीं रखा जा सकता और 2006 की व्यवस्था के अनुसार न्यूनतम कार्यकाल संबंधी अर्हताएं पूरी करने वाले अधिकारी को नियुक्त किया जाना चाहिए.

बंबई उच्च न्यायालय
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Published : Jan 28, 2022, 6:14 PM IST

मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक (DGP) के पद पर किसी अधिकारी की स्थायी नियुक्ति के अनुरोध वाली याचिका पर आदेश जारी करने से पहले वह भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के वरिष्ठ अधिकारी और मौजूदा कार्यवाहक डीजीपी संजय पांडेय का पक्ष सुनेगा. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपंकर दत्ता और जस्टिस एम एस कर्णिक की खंडपीठ ने यह बात कही.

इस सप्ताह की शुरुआत में पीठ ने मामले को समाप्त कर दिया था और कहा था कि पांडेय का पक्ष सुनने की कोई जरूरत नहीं है. हालांकि, बाद में अदालत के संज्ञान में यह बात आई कि याचिका में आईपीएस अधिकारी के खिलाफ सीधे आरोप (direct allegations against the IPS officer Pandey) लगाये गये हैं. अदालत ने कहा कि मामले में हमारे फैसले को पढ़ने के दौरान याचिका के कुछ तथ्य सामने आए जहां संजय पांडेय के खिलाफ सीधे-सीधे आरोप हैं. इसके मद्देनजर हम याचिका में प्रतिवादी के तौर पर संजय पांडेय को पक्ष बनाना (implead Sanjay Pandey as a party respondent) उचित और जरूरी समझते हैं. हम पहले उनका पक्ष सुनेंगे और फिर हमारा फैसला सुनाएंगे.

अदालत ने फैसले के लिए मामले को सुरक्षित रखने के अपने 25 जनवरी के आदेश को दोहराया. पीठ ने शुक्रवार को पांडेय को निर्देश दिया था कि याचिका पर चार फरवरी तक अपना हलफनामा दायर करें. पीठ ने मामले को अगली सुनवाई तक स्थगित करते हुए कहा कि महाराष्ट्र सरकार और संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) भी चाहें तो हलफनामा दाखिल करें.

अदालत शहर के वकील दत्ता माने की जनहित याचिका पर सुनवाई (PIL filed by advocate Datta Mane) कर रही थी, जिसमें राज्य सरकार को डीजीपी के पद पर स्थायी नियुक्ति करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है. माने के वकील अभिनव चंद्रचूड़ ने दलील दी थी कि उच्चतम न्यायालय के फैसले के अनुसार राज्य के शीर्ष पुलिस अधिकारी के पद को कार्यवाहक नहीं रखा जा सकता और 2006 की व्यवस्था के अनुसार न्यूनतम कार्यकाल संबंधी अर्हताएं पूरी करने वाले अधिकारी को नियुक्त किया जाना चाहिए.

याचिका में मांग की गई है कि नवंबर 2021 में UPSC की चयन समिति द्वारा की गई सिफारिश के अनुसार, राज्य सरकार को एक डीजीपी नियुक्त करना चाहिए. राज्य सरकार की ओर से पेश हुए एडवोकेट जनरल आशुतोष कुंभकोनी ने अदालत को बताया था कि पांडे, वर्तमान में सबसे वरिष्ठ आईपीएस हैं. राज्य में अधिकारी को पिछले साल तत्कालीन डीजीपी सुबोध जायसवाल के सीबीआई में स्थानांतरण के बाद पांडे को कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त किया गया था.

(पीटीआई-भाषा)

मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक (DGP) के पद पर किसी अधिकारी की स्थायी नियुक्ति के अनुरोध वाली याचिका पर आदेश जारी करने से पहले वह भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के वरिष्ठ अधिकारी और मौजूदा कार्यवाहक डीजीपी संजय पांडेय का पक्ष सुनेगा. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपंकर दत्ता और जस्टिस एम एस कर्णिक की खंडपीठ ने यह बात कही.

इस सप्ताह की शुरुआत में पीठ ने मामले को समाप्त कर दिया था और कहा था कि पांडेय का पक्ष सुनने की कोई जरूरत नहीं है. हालांकि, बाद में अदालत के संज्ञान में यह बात आई कि याचिका में आईपीएस अधिकारी के खिलाफ सीधे आरोप (direct allegations against the IPS officer Pandey) लगाये गये हैं. अदालत ने कहा कि मामले में हमारे फैसले को पढ़ने के दौरान याचिका के कुछ तथ्य सामने आए जहां संजय पांडेय के खिलाफ सीधे-सीधे आरोप हैं. इसके मद्देनजर हम याचिका में प्रतिवादी के तौर पर संजय पांडेय को पक्ष बनाना (implead Sanjay Pandey as a party respondent) उचित और जरूरी समझते हैं. हम पहले उनका पक्ष सुनेंगे और फिर हमारा फैसला सुनाएंगे.

अदालत ने फैसले के लिए मामले को सुरक्षित रखने के अपने 25 जनवरी के आदेश को दोहराया. पीठ ने शुक्रवार को पांडेय को निर्देश दिया था कि याचिका पर चार फरवरी तक अपना हलफनामा दायर करें. पीठ ने मामले को अगली सुनवाई तक स्थगित करते हुए कहा कि महाराष्ट्र सरकार और संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) भी चाहें तो हलफनामा दाखिल करें.

अदालत शहर के वकील दत्ता माने की जनहित याचिका पर सुनवाई (PIL filed by advocate Datta Mane) कर रही थी, जिसमें राज्य सरकार को डीजीपी के पद पर स्थायी नियुक्ति करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है. माने के वकील अभिनव चंद्रचूड़ ने दलील दी थी कि उच्चतम न्यायालय के फैसले के अनुसार राज्य के शीर्ष पुलिस अधिकारी के पद को कार्यवाहक नहीं रखा जा सकता और 2006 की व्यवस्था के अनुसार न्यूनतम कार्यकाल संबंधी अर्हताएं पूरी करने वाले अधिकारी को नियुक्त किया जाना चाहिए.

याचिका में मांग की गई है कि नवंबर 2021 में UPSC की चयन समिति द्वारा की गई सिफारिश के अनुसार, राज्य सरकार को एक डीजीपी नियुक्त करना चाहिए. राज्य सरकार की ओर से पेश हुए एडवोकेट जनरल आशुतोष कुंभकोनी ने अदालत को बताया था कि पांडे, वर्तमान में सबसे वरिष्ठ आईपीएस हैं. राज्य में अधिकारी को पिछले साल तत्कालीन डीजीपी सुबोध जायसवाल के सीबीआई में स्थानांतरण के बाद पांडे को कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त किया गया था.

(पीटीआई-भाषा)

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