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बॉम्बे हाई कोर्ट ने नर्मदा अक्का को धर्मशाला में शिफ्ट करने का दिया निर्देश - Bombay High Court

गढ़चिरौली नक्सली हमला मामले में गिरफ्तार महिला नक्सली नेता निर्मला उप्पगंती को बॉम्बे हाई कोर्ट से राहत मिली है. हाई कोर्ट ने कैंसर के कारण उन्हें एक धर्मशाला में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया है.

नर्मदा अक्का
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Published : Sep 9, 2021, 1:18 PM IST

मुंबई : बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को नक्सली नेता निर्मला उप्पगंती (Nirmala Uppuganti) उर्फ नर्मदा अक्का को अंतिम चरण के कैंसर के कारण मन की शांति के लिए 15 सितंबर, 2021 तक एक धर्मशाला में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया है.

जस्टिस एसएस शिंदे और जस्टिस एनजे जमादार की बेंच ने गुरुवार को यह आदेश पारित किया.

उप्पगंती को 2019 में गढ़चिरौली हुए नक्सली हमले में कथित संलिप्तता के लिए गिरफ्तार किया गया था. इस हमले में 15 पुलिस कर्मियों और एक नागरिक की मौत हुई थी. उप्पगंती अपने पति के साथ कथित तौर पर प्रतिबंधित संगठन, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की वरिष्ठ सदस्य थीं.

उप्पगंती की याचिका में कहा गया है कि उन्हें 2018 में स्तन कैंसर का पता चला था.

महाराष्ट्र पुलिस ने जून 2019 में उन्हें हिरासत में लिया था. उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि पुलिस ने उन्हें कीमोथेरेपी कराने का मौका नहीं दिया, जिससे उनकी तबीयत और खराब हो गई.

निर्मला उप्पगंती ने तत्काल राहत की मांग करते हुए अदालत का रुख किया ताकि अंतिम दिनों में उनकी ठीक से देखभाल की जा सके. साथ ही उन्होंने अनुरोध किया है कि उन्हें अपने पति से मिलने की अनुमति दी जाए, जो इस मामले में सह-आरोपी भी हैं.

उप्पुगंती की वकील पयोशी रॉय ने अदालत को बताया कि उनके मुवक्क्लि को चौथे चरण का कैंसर है. साथ ही वह कई अन्य बीमारियों से पीड़ित हैं.

रॉय ने तर्क दिया कि भायखला महिला जेल में बंद उप्पुगंती को एक भीड़-भाड़ वाली जेल की कोठरी में रखा गया था, जहां उन्हें शौचालय, गर्म पानी आदि जैसी बुनियादी सुविधाओं तक पहुंच नहीं है और उन्हें फर्श पर सोना पड़ता है.

यह भी पढ़ें- स्टेन स्वामी की मृत्यु की जांच अदालत की देखरेख में हो: मिहिर देसाई

मुंबई : बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को नक्सली नेता निर्मला उप्पगंती (Nirmala Uppuganti) उर्फ नर्मदा अक्का को अंतिम चरण के कैंसर के कारण मन की शांति के लिए 15 सितंबर, 2021 तक एक धर्मशाला में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया है.

जस्टिस एसएस शिंदे और जस्टिस एनजे जमादार की बेंच ने गुरुवार को यह आदेश पारित किया.

उप्पगंती को 2019 में गढ़चिरौली हुए नक्सली हमले में कथित संलिप्तता के लिए गिरफ्तार किया गया था. इस हमले में 15 पुलिस कर्मियों और एक नागरिक की मौत हुई थी. उप्पगंती अपने पति के साथ कथित तौर पर प्रतिबंधित संगठन, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की वरिष्ठ सदस्य थीं.

उप्पगंती की याचिका में कहा गया है कि उन्हें 2018 में स्तन कैंसर का पता चला था.

महाराष्ट्र पुलिस ने जून 2019 में उन्हें हिरासत में लिया था. उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि पुलिस ने उन्हें कीमोथेरेपी कराने का मौका नहीं दिया, जिससे उनकी तबीयत और खराब हो गई.

निर्मला उप्पगंती ने तत्काल राहत की मांग करते हुए अदालत का रुख किया ताकि अंतिम दिनों में उनकी ठीक से देखभाल की जा सके. साथ ही उन्होंने अनुरोध किया है कि उन्हें अपने पति से मिलने की अनुमति दी जाए, जो इस मामले में सह-आरोपी भी हैं.

उप्पुगंती की वकील पयोशी रॉय ने अदालत को बताया कि उनके मुवक्क्लि को चौथे चरण का कैंसर है. साथ ही वह कई अन्य बीमारियों से पीड़ित हैं.

रॉय ने तर्क दिया कि भायखला महिला जेल में बंद उप्पुगंती को एक भीड़-भाड़ वाली जेल की कोठरी में रखा गया था, जहां उन्हें शौचालय, गर्म पानी आदि जैसी बुनियादी सुविधाओं तक पहुंच नहीं है और उन्हें फर्श पर सोना पड़ता है.

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