नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल के बीरभूम में हाल ही में हुई हिंसा (Violence in Birbhum, West Bengal) में आठ लोगों के जिंदा जला दिए जाने के बाद मामला तूल पकड़ता जा रहा है. वहीं घटना को लेकर भाजपा ने टीएमसी और ममता बनर्जी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. मामले पर केंद्रीय गृह मंत्रालय भी गंभीर नजर आ रहा है. साथ ही भाजपा पश्चिम बंगाल में एक बार फिर भाजपा समर्थकों की हत्या के लिए राज्य की कानून व्यवस्था को दोषी ठहरा रही है.
हालांकि पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा का यह कोई पहला मामला नहीं है. 2021 के विधान सभा चुनाव से पहले और चुनाव जीतने के तुरंत बाद सरकार बनने से पहले ही वहां पर राजनीतिक हिंसा की घटनाओं की शुरुआत हो चुकी थी. वहीं भारतीय जनता पार्टी बार-बार यह दावा कर रही है कि विधानसभा चुनाव के दौरान लगभग 200 भाजपा कार्यकर्ताओं को मौत के घाट उतार दिया गया, लेकिन बीरभूम की घटना जिसमें महिला और बच्चों तक को राजनीतिक विद्वेष का शिकार बनाया गया यह मानवता को शर्मसार करने वाली घटना है. बीजेपी ने इस मामले पर ममता के खिलाफ एक बार फिर से मोर्चा खोल दिया है.
राजनीतिक पटल पर भारतीय जनता पार्टी ने इस मुद्दे को संसद से लेकर पश्चिम बंगाल की सड़क तक उठाने के साथ-साथ राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (West Bengal CM Mamata Banerjee) को मजबूर कर दिया जिसकी वजह से वह गुरुवार को बीरभूम में मारे गए लोगों के परिजनों से मिलने पहुंची. दूसरी तरफ भाजपा का दावा है कि इससे पहले जितने भी पार्टी के समर्थक मारे गए हैं उन्हें सरकार की तरफ से आज तक कोई सांत्वना तक नहीं मिली थी. वहीं बीरभूम की घटना पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य सरकार से रिपोर्ट तलब करने के साथ ही भाजपा की एक कमेटी भी बनाई है. यह कमेटी बीरभूम का दौरा भी करेगी और जल्द ही वह केंद्रीय नेताओं को अपनी रिपोर्ट भी सौंपेगी.
इस मामले में टीएमसी के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने घटना की जानकारी पार्टी की तरफ से संसद में दी थी और टीएमसी पर लगाए जा रहे आरोपों का जवाब देते हुए कहा था कि बीरभूम की घटना का राजनीतिक संघर्ष से कोई लेना देना नहीं है. बंदोपाध्याय ने बताया कि इस घटना के सिलसिले में पुलिस ने अब तक 20 लोगों को गिरफ्तार किया है. इसी क्रम में भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा (Bjp National spokesperson Sambit Patra) ने केंद्रीय कार्यालय में एक प्रेस कांफ्रेंस के आरोप लगाते हुए कहा कि ममता बनर्जी को अपना नाम बदल कर निर्मम बनर्जी कर देना चाहिए. उन्होंने कहा कि बीरभूम की घटना ने पूरे हिंदुस्तान को झकझोर कर रख दिया है. संबित पात्रा ने कहा कि यह मुद्दा सिर्फ बंगाल का मुद्दा नहीं है बल्कि यह देश का मुद्दा बन गया है और कल प्रधानमंत्री ने भी इस पर खेद जताया था. उन्होंने कहा कि यह बदले की कार्रवाई की गई है और यह राजनीतिक विद्वेष का मामला है जो देश के लिए बहुत ही चिंताजनक है. उन्होंने कहा कि महिलाओं को कमरे में बंद करके मार दिया जाता है, यह उनकी निर्मम हत्या है और ममता बनर्जी आपका नाम तो ममता है लेकिन आपका काम निर्मम है.
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यही नहीं भारतीय जनता पार्टी के कुछ नेता इस घटना में कई अन्य लोगों के लापता होने का भी दावा कर रहे हैं. संबित पात्रा ने दावा किया कि पिछले एक हफ्ते में पश्चिम बंगाल में 26 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया है. उन्होंने कहा कि 2021 में जब ममता बनर्जी चुनाव जीती थीं और उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ भी नहीं ली थी उससे पहले ही बंगाल में राजनीतिक हिंसा की शुरुआत हो चुकी थी और बीजेपी के कार्यकर्ताओं को चुन-चुन कर मारा जा रहा था. पात्रा ने कहा कि अभी भारतीय जनता पार्टी ने 4 राज्यों में जीत हासिल की है लेकिन ऐसी कोई घटना कहीं से भी सुनाई नहीं पड़ी. उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस के शासन में कानून व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है.
बहरहाल यह मामला थमता हुआ नजर नहीं आ रहा है. भाजपा सूत्रों की मानें तो आने वाले दिनों में इस मुद्दे का विरोध करते हुए पार्टी के कुछ केंद्रीय वरिष्ठ नेता भी पश्चिम बंगाल का दौरा कर सकते हैं. भाजपा इस बात पर तूल देने की कोशिश करेगी कि पश्चिम बंगाल में कानून व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है और वहां पर कानून के शासन नाम की कोई चीज नहीं है. सूत्रों की मानें तो भारतीय जनता पार्टी यह भी आरोप लगा रही है कि पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन का माहौल बन रहा है. हालांकि केंद्र की ऐसी कोई मंशा नजर नहीं आ रही लेकिन यह माहौल 2024 के लिए पार्टी के लिए अनुकूल हो सकता है और शायद यही वजह है कि इस मामले पर बाकी पार्टियां भी जोर-शोर से टीएमसी शासन का विरोध कर रहे हैं.