जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से खालिस्तान को लेकर दिए गए बयान पर भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. जयपुर में नवोन्मेष फाउंडेशन के कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे सुधांशु त्रिवेदी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि यह बड़े दुख की बात है कि ये उस पार्टी के लोग है जिन्होंने खुद उस कालखंड में इस आतंकवाद के स्वरूप को देखा है और अब फिर उसी आग में घी डालने का काम कर रहे हैं. यह भारतीय संस्कृति और सिख धर्म का अपमान है.
आप की सरकार में पंजाब की स्थिति बदतर हो रही
गुरु गोविंद सिंह ने जब खालसा पंथ की स्थापना की थी तो उसमें केवल पंजाब के लोग नहीं थे. उसमें देश के अलग-अलग स्थानों से जुड़े लोग शामिल थे और उन्होंने हिंदू धर्म की रक्षा के लिए इसका गठन किया था. लेकिन अफसोस है कि कांग्रेस की यह 'फूट डालो राज करो' की नीति बहुत खतरनाक है और उससे ज्यादा खतरनाक है कि पंजाब की स्थिति जो लगातार खराब होती जा रही है. जब से आम आदमी पार्टी की सरकार आई है पंजाब में परिस्थितियां बद से बदतर होती जा रही हैं. पंजाब सरकार की अक्षमता से राष्ट्रविरोधी ताकतों को बल मिला है.
पढ़ें. CM Gehlot warns BJP: भाजपा ने रचा राहुल गांधी के निष्कासन का षड्यंत्र, भुगतने होंगे नतीजेः गहलोत
चुनौतियों और संभावनाओं के साथ देश बढ़ रहा
कार्यक्रम में त्रिवेदी कहा कि वर्तमान समय में देश पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नए उन्मेष की तरफ आगे बढ़ रहा है. चुनौतियों के साथ-साथ संभावनाएं भी हैं और संभावनाओं के द्वार खुलते हुए भी दिख रहे हैं. आज हम विश्व के सबसे बड़ी पांचवी अर्थव्यवस्था हैं. संसद भवन नया स्वरूप धारण कर रहा है और भगवान श्रीराम का मंदिर भी बन रहा है. भविष्य की नई संभावनाओं के साथ अतीत का स्वर्णिम प्रभाव दोनों एक साथ दिख रहा है.
भारत का तिरस्कार और सार्वभौमिकता का अपमान सहन नहीं
राहुल गांधी प्रकरण को लेकर सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि हमारा बहुत स्पष्ट कहना है कि आप भाजपा की आलोचना करना चाहें तो कीजिए. सरकार की आलोचना करना चाहते हैं तो कीजिए. पीएम मोदी को लेकर भी कटु, विषैले और घटिया शब्दों का प्रयोग किया गया. हमने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन यदि आप भारत की छवि पर आघात करेंगे तो ठीक नहीं होगा. यदि आप कहेंगे कि लोकतंत्र भारत में खत्म हो रहा है. विदेश की धरती पर जाकर आप कहेंगे कि अमेरिका और यूरोप इस पर खामोश क्यों है.
पढ़ें. गहलोत बोले- षड्यंत्र कर खत्म की गई राहुल गांधी की सदस्यता, केंद्र के मंत्रियों को बताया नकारा
इसका मतलब यह है कि आप विदेश से सीधे हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं. यह क्षमा योग्य नहीं है. भारत का तिरस्कार और सार्वभौमिकता का अपमान स्वीकार नहीं होगा. राजस्थान में कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति पर उन्होंने कहा कि यहां एक ही जहाज के दो पायलट हैं. जो अलग-अलग जहाज उड़ाना चाहते हैं. यहां तो ऐसी सरकार है जिसने देशद्रोह के कानून का प्रयोग अपने ही विधायकों पर किया. अपराधियों या आतंकियों के खिलाफ नहीं. ऐसा विचित्र उदाहरण भी केवल राजस्थान की सरकार में ही मिलता है कि जो व्यक्ति राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने जा रहा था वह बागी हो गया.
अन्य धर्मों में धार्मिक ग्रंथों पर डिस्कशन की अनुमति नहीं
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि लोकतंत्र का मतलब है कि सबको अपनी बात कहने का अधिकार है. लेकिन जो देश अपने आप को लोकतांत्रिक कहते हैं वहां भी धर्म ग्रन्थ पर डिस्कशन की अनुमति नहीं है. जबकि हमारे यहां धर्म ग्रंथों पर शास्त्रार्थ की परंपरा है. रामानुजाचार्य और शंकराचार्य इसके उदहारण हैं. महमूद गजनी ने सोमनाथ मंदिर तोड़ा लेकिन पंडित नेहरू ने डिस्कवरी ऑफ इंडिया में उसकी तारीफ की है.
हमारे समाज की एकता और अखंडता को तोड़ने का प्रयास
सुधांशु त्रिवेदी बोले कि हिंदू समाज में 6500 जातियां होने की बात की जाती है लेकिन यह कहीं पर लिखा नहीं मिलता है. यह सब ब्रिटिश काल की मनगढ़ंत बातें हैं. सामाजिक ऊंच-नीच की बात भी ब्रिटिशकाल की जनगणना के समय ही की गई थी. यह हमारे समाज की एकता को तोड़ने का प्रयास है. इनको मजबूत नहीं मजबूर समाज चाहिए.
पढ़ें. RTDC चेयरमैन का केंद्र पर निशाना, बोले- जवाब देने के बजाय बीजेपी षड्यंत्र और तानाशाही पर उतर आई है
राम ने सबको एकत्र कर सामाजिक एकता का संदेश दिया
सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि भगवान राम राज परिवार में जन्मे थे. इसलिए उन्हें केवल रावण का ही वध करना होता तो कभी भी सेना ले जाकर रावण का वध कर देते, लेकिन पहले वे राजा राम से वनवासी राम बने. निषादराज से लेकर वानरराज सुग्रीव सबको एक किया और फिर रावण का वध किया. उन्होंने उस समय भी सामाजिक एकता का संदेश दिया था. समाज के हर वर्ग का सम्मान आज भी दिखाई दे रहा है. जब राम मंदिर का निर्माण शुरू हुआ तो रामनाथ कोविंद राष्ट्रपति थे. आज द्रौपदी मुर्मू देश की राष्ट्रपति हैं. राम मंदिर भी सामाजिक एकता का प्रतिनिधित्व कर रहा है.
मैकाले की नई शिक्षा नीति ने बनाया अनपढ़
सुधांशु त्रिवेदी बोले कि आज कहा जाता है कि भारत में सबको पढ़ाई का हक नहीं था. लेकिन हकीकत यह है कि 200 साल पहले भारत की साक्षरता दर 97 फीसदी से ज्यादा थी. उस समय हिंदी और संस्कृत में पढ़ाई होती थी. लेकिन मैकाले जब नई शिक्षा नीति लेकर आया तो हिंदी-संस्कृत में पढ़े लोगों को शिक्षित नहीं माना गया. गुरुकुल को स्कूल नहीं माना. तब कहा गया कि हम जो स्कूल खोलेंगे, उसमें पढ़ने वालों को ही शिक्षित माना जाएगा. इस तरह से उन्होंने पढ़े-लिखे लोगों को भी अनपढ़ माना और प्रचारित किया कि तब देश की साक्षरता दर बहुत कम थी.