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संस्कृत पर बोले उपराष्ट्रपति - 10वीं तक शिक्षा का माध्यम हो मातृभाषा

हमारे देश की सबसे प्राचीन भाषा संस्कृत है, जिसका अस्तित्व आज सभी को खतरे में नजर आता दिख रहा है. भाषा की आवश्यकता को लेकर संस्कृत भारती द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने बयान दिया है. उन्होंने भाषा की जरूरत से लेकर महत्व तक पर जोर देकर कहा है कि पढ़ाई का माध्यम मातृभाषा होना चाहिए. पढ़ें विस्तार से...

संस्कृत पर बोले उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू
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Published : Nov 10, 2019, 9:54 PM IST

Updated : Nov 10, 2019, 10:04 PM IST

नई दिल्ली : उप राष्ट्रपति वेंकेया नायडू ने संस्कृत को लेकर बयान दिया है. उन्होंने कहा कि दसवीं कक्षा तक पढ़ाई का माध्यम छात्र की मातृभाषा होनी चाहिए. नायडू ने इस मामले में सरकार से कदम उठाने का आह्वान भी किया है.

नायडू राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ी संस्कृत भारती द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि अगर अंग्रेजी सिखाई जाती है तो कोई समस्या नहीं है , लेकिन पढ़ाई का आधार मातृभाषा होना चाहिए.

उन्होंने कहा, 'हम सभी को संस्कृत सीखने के लिए इसे एक बिंदु बनाना चाहिए ताकि हम अपने बीते समय के साथ जुड़ सकें. साथ ही सही तरह से भारतीय होने का मतलब समझ सकें.'

उप राष्ट्रपति ने कहा कि सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों को संस्कृत भाषा और साहित्य के संरक्षण, प्रचार और प्रसार के लिए साथ काम करना चाहिए.

पढ़ेंः भारत में संस्कृत का विश्व सम्मेलन, जुटेंगे 18 देशों के विद्वान

नायडू ने कहा कि भारतीय भाषाओं की शब्दावली की बात की जाए तो उनमें संस्कृत का एक अहम जुड़ाव रहा है. ज्यादातर भाषाओं की उत्पत्ति संस्कृत से ही हुई है और यह भारत की यह अनदेखी ताकत है.

नायडू बोले - 'हम संस्कृत के बारे में सोचे बिना भारत के बारे में नहीं सोच सकते. पानी की कमी, स्वास्थ्य और पर्यावरण जैसे मुद्दों पर संस्कृत का खजाना है. यही कारण है कि कई देशों में संस्कृत पर शोध होता है.'

गौरतलब है कि भारत में विदेशी आक्रमण से पहले संस्कृत ही शिक्षा का माध्यम थी.

नायडू ने नालंदा और तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालयों का जिक्र करते हुए कहा कि यहां लगभग सभी विषयों को संस्कृत में पढ़ाया जाता था, जिनमें अर्थशास्त्र, खगोल विज्ञान, युद्धकला (धनुर्वेद और भौतिकी) शामिल हैं.

नई दिल्ली : उप राष्ट्रपति वेंकेया नायडू ने संस्कृत को लेकर बयान दिया है. उन्होंने कहा कि दसवीं कक्षा तक पढ़ाई का माध्यम छात्र की मातृभाषा होनी चाहिए. नायडू ने इस मामले में सरकार से कदम उठाने का आह्वान भी किया है.

नायडू राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ी संस्कृत भारती द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि अगर अंग्रेजी सिखाई जाती है तो कोई समस्या नहीं है , लेकिन पढ़ाई का आधार मातृभाषा होना चाहिए.

उन्होंने कहा, 'हम सभी को संस्कृत सीखने के लिए इसे एक बिंदु बनाना चाहिए ताकि हम अपने बीते समय के साथ जुड़ सकें. साथ ही सही तरह से भारतीय होने का मतलब समझ सकें.'

उप राष्ट्रपति ने कहा कि सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों को संस्कृत भाषा और साहित्य के संरक्षण, प्रचार और प्रसार के लिए साथ काम करना चाहिए.

पढ़ेंः भारत में संस्कृत का विश्व सम्मेलन, जुटेंगे 18 देशों के विद्वान

नायडू ने कहा कि भारतीय भाषाओं की शब्दावली की बात की जाए तो उनमें संस्कृत का एक अहम जुड़ाव रहा है. ज्यादातर भाषाओं की उत्पत्ति संस्कृत से ही हुई है और यह भारत की यह अनदेखी ताकत है.

नायडू बोले - 'हम संस्कृत के बारे में सोचे बिना भारत के बारे में नहीं सोच सकते. पानी की कमी, स्वास्थ्य और पर्यावरण जैसे मुद्दों पर संस्कृत का खजाना है. यही कारण है कि कई देशों में संस्कृत पर शोध होता है.'

गौरतलब है कि भारत में विदेशी आक्रमण से पहले संस्कृत ही शिक्षा का माध्यम थी.

नायडू ने नालंदा और तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालयों का जिक्र करते हुए कहा कि यहां लगभग सभी विषयों को संस्कृत में पढ़ाया जाता था, जिनमें अर्थशास्त्र, खगोल विज्ञान, युद्धकला (धनुर्वेद और भौतिकी) शामिल हैं.

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PRI GEN NAT
.NEWDELHI DEL29
VP-SANSKRIT
Vice Prez pitches for teaching up to class 10 in mother tongue
         New Delhi, Nov 10 (PTI) Vice President M Venkaiah Naidu on Sunday said the medium of teaching up to class X should be the mother tongue of the student and urged the government to take steps in this regard.
         He said there is no problem if English is taught but the foundation should be in the mother tongue.
         Naidu was addressing an event organised by the RSS-linked Sanskrit Bharati here.
         "We should all make it a point to learn Sanskrit so that we maintain a living link with our rich past and truly understand what it means to be an Indian," he told the gathering.
         The government and non-governmental organisations should join hands to preserve, promote and propagate Sanskrit language and literature, he said.
         Sanskrit, Naidu said, has been a vital link between Indian languages in terms of vocabulary.
         Most of the Indian languages have originated from Sanskrit and it has been India's unseen unifying force, he said, adding that "we cannot think of India without thinking of Sanskrit".
         Naidu also said that Sanskrit has a treasure trove on issues such as water shortage, health and environment. "That is why research takes place on Sanskrit in several countries," he said.
         Before the advent of foreign invasion in India, Sanskrit was the
medium of education, he said, adding that universities such as Nalanda and Takshashila were teaching almost all the subjects, including economics (arthasasthram), astronomy (surya siddhatham), warfare (dhanur veda), and physics (bouthikam) in that language. PTI NAB NAB
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Last Updated : Nov 10, 2019, 10:04 PM IST
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