नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुई मुठभेड़ की जांच के लिए राज्य सरकार की जांच समिति में सर्वोच्च न्यायालय के एक पूर्व न्यायाधीश और एक सेवानिवृत्त पुलिस ऑफिसर भी शामिल हो सकते हैं. इस मामले में सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने जांच समिति के प्रारूप को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार की खिंचाई की.
बता दें कि कुख्यात हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के एनकाउंटर में मारे जाने के बाद उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने कमेटी बनाई थी. सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार कमेटी में शीर्ष अदालत के रिटायर्ड न्यायाधीश और एक पुलिस अधिकारी को शामिल करने पर विचार करे.
उत्तर प्रदेश सरकार ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि वह जांच समिति के बारे में दिये गये सुझावों को शामिल करके नयी अधिसूचना का मसौदा 22 जुलाई को पेश कर देगी.
शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि एक अपराधी के खिलाफ इतने मामले दर्ज होने के बावजूद उसे जमानत मिलने से वह 'स्तब्ध' है.
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी जिनमें दुबे और उसके कथित सहयोगियों की मुठभेड़ों की अदालत की निगरानी में जांच कराने का अनुरोध किया गया है. पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि उसे 'कानून का शासन बनाये रखना होगा.'
शीर्ष अदालत ने कहा, 'एक राज्य के तौर पर आपको कानून का शासन बरकरार रखना होगा. ऐसा करना आपका कर्तव्य है.' पीठ ने कहा कि वह शीर्ष अदालत के किसी पीठासीन न्यायाधीश को जांच समिति का हिस्सा बनने के लिए उपलब्ध नहीं करा सकती.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां :
- आपको यह बताने की जरूरत नहीं कि विकास दुबे क्या था ?
- क्या सरकार सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट के जज की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग नियुक्त करने के लिए तैयार है ?
- पूछताछ पैनल में एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी होना चाहिए.
- विकास दुबे पर इतने मुकदमे दर्ज होने के बाद भी उसे जमानत क्यों दी गई ?
- विकास दुबे पर गंभीर आपराधिक मुकदमे दर्ज होने के बाद भी उसका जेल से बाहर होना सिस्टम की विफलता है.
- एक राज्य के तौर पर आपको (यूपी सरकार) कानून के शासन को बनाए रखना होगा, ऐसा करना आपका कर्तव्य है.
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि उन्हें इस मुद्दे पर आवश्यक निर्देश प्राप्त करने और उससे न्यायालय को अवगत कराने के लिये कुछ वक्त चाहिए.
पीठ ने सॉलीसीटर जनरल से कहा कि अगर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री कोई बयान देते है और इसके बाद कुछ होता है तो आपको इस पर गौर करना होगा.
पीठ ने कहा, 'हम इस बात से चकित हैं कि विकास दुबे जैसे व्यक्ति को इतने सारे मामलों के बावजूद जमानत मिल गई.'
पीठ ने कहा, 'यह संस्थान की विफलता है कि जिस व्यक्ति को जेल की सलाखों के पीछे होना चाहिए, उसे जमानत मिली.'
क्या है पूरा मामला-
वांटेड गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर मामले में यूपी पुलिस के मुताबिक दुबे की 10 जुलाई की सुबह हुई मुठभेड़ में मौत हो गई थी. पुलिस के मुताबिक विकास दुबे को उज्जैन से कानपुर ले जा रहा पुलिस वाहन भौती इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था और उसने मौके से भागने की कोशिश की थी. पुलिसकर्मियों पर विकास ने फायरिंग भी की थी.
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इस घटना के संबंध में कानपुर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक मोहित अग्रवाल ने बताया था कि विकास दुबे ने भागने की कोशिश के दौरान गोलियां चलाईं थी, जिसमें चार पुलिसकर्मी भी जख्मी हुए. पुलिस का कहना था कि मुठभेड़ में घायल दुबे को तुरंत अस्पताल ले जाया गया जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया. इस मुठभेड़ से पहले यूपी पुलिस ने विकास दुबे के पांच सहयोगियों को भी मुठभेड़ में मार गिराया था.
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इससे पहले बीते दो-तीन जुलाई को कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरू गांव में विकास दुबे को गिरफ्तार करने गयी पुलिस की टुकड़ी पर तीन जुलाई को घात लगाकर हुए हमले में पुलिस उपाधीक्षक देवेन्द्र मिश्रा सहित आठ पुलिसकर्मियों की जान गयी थी. पुलिस टुकड़ी पर तीन जुलाई को आधी रात के बाद दुबे के मकान की छत से गोलियां बरसाई गयीं थीं.