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SC का बड़ा फैसला : एससी-एसटी संशोधन एक्ट को मंजूरी, केंद्र ने ली राहत की सांस

एससी-एसटी संशोधन कानून के मामले पर केंद्र सरकार को बड़ी राहत मिली. सुप्रीम कोर्ट ने इसे चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. कानून के तहत तुरंत गिरफ्तारी का प्रावधान जारी रहेगा. बिना शुरुआती जांच के लिए एफआईआर दर्ज होगी.

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Published : Feb 10, 2020, 10:46 AM IST

Updated : Feb 29, 2020, 8:23 PM IST

supreme court on sc st act
एससी एसटी कानून पर सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली : अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन कानून, 2018 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने आज फैसला सुनाया. जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस विनीत सरण और जस्टिस रवींद्र भट की पीठ इन याचिकाओं पर फैसला सुनाया.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले की जानकारी देते अधिवक्ता

यह कानून एससी-एसटी एक्ट के तहत गिरफ्तार किसी आरोपी को अग्रिम जमानत देने के प्रावधानों पर रोक लगाता है.

सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च 2018 को अपने फैसले में कहा था कि एस एसटी कानून के तहत बिना जांच के गिरफ्तारी नहीं हो सकती है. इस फैसले पर विवाद बढ़ गया था.

इसके बाद केंद्र सरकार ने इस कानून में संशोधन पारित किया. कोर्ट के फैसले पर केंद्र ने असहमति जताते हुए इसे चुनौती दी थी.

आपको बता दें कि एस एसटी कानून 1989 के दुरुपयोग को लेकर याचिका लगाई गई थी. याचिका में कहा गया था कि कई ऐसे मामले आते हैं, जिसमें उन्हें जबरन फंसा दिया जाता है, जबकि अंतिम फैसला कुछ और आता है. सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए शिकायत पर स्वतः एफआईआर और गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी.

नई दिल्ली : अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन कानून, 2018 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने आज फैसला सुनाया. जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस विनीत सरण और जस्टिस रवींद्र भट की पीठ इन याचिकाओं पर फैसला सुनाया.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले की जानकारी देते अधिवक्ता

यह कानून एससी-एसटी एक्ट के तहत गिरफ्तार किसी आरोपी को अग्रिम जमानत देने के प्रावधानों पर रोक लगाता है.

सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च 2018 को अपने फैसले में कहा था कि एस एसटी कानून के तहत बिना जांच के गिरफ्तारी नहीं हो सकती है. इस फैसले पर विवाद बढ़ गया था.

इसके बाद केंद्र सरकार ने इस कानून में संशोधन पारित किया. कोर्ट के फैसले पर केंद्र ने असहमति जताते हुए इसे चुनौती दी थी.

आपको बता दें कि एस एसटी कानून 1989 के दुरुपयोग को लेकर याचिका लगाई गई थी. याचिका में कहा गया था कि कई ऐसे मामले आते हैं, जिसमें उन्हें जबरन फंसा दिया जाता है, जबकि अंतिम फैसला कुछ और आता है. सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए शिकायत पर स्वतः एफआईआर और गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी.

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Last Updated : Feb 29, 2020, 8:23 PM IST
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