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शरद पवार ने पीएम को लिखा पत्र, राज्यपाल की भाषा पर जताई आपत्ति

शरद पवार ने पीएम मोदी को पत्र लिखा है. उन्होंने महाराष्ट्र में मंदिरों को दोबारा खोले जाने के संबंध में यह पत्र लिखा है. पवार ने राज्यपाल की भाषा पर आपत्ति जताई है. गौरतलब है कि सीएम को लिखे दो पन्नों के पत्र के एक अंश में राज्यपाल ने उद्धव से कहा, 'क्या आप अचानक धर्मनिरपेक्ष हो गये?'

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Published : Oct 13, 2020, 7:14 PM IST

Updated : Oct 13, 2020, 7:37 PM IST

मुंबई : महाराष्ट्र के पूर्व सीएम शरद पवार ने पीएम मोदी को पत्र लिखा है. उन्होंने महाराष्ट्र में धार्मिक स्थलों को खोले जाने का मुद्दा सुर्खियों में आने के बाद यह पत्र लिखा है. शरद पवार ने राज्यपाल द्वारा लिखे गए पत्र की भाषा को लेकर आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा है कि राज्यपाल को ऐसी भाषा शोभा नहीं देती.

पवार ने लिखा की पूरा देश कोरोना महामारी से एकजुट होकर लड़ रहा है. उन्होंने कहा कि कोरोना का प्रसार रोकने के मद्देनजर आपने 'दो गज की दूरी' का नारा दिया था. उन्होंने

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शरद पवार का पत्र पेज- 1

पवार ने कहा कि महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में 'मेरा परिवार मेरी जिम्मेदारी' कार्यक्रम चला रही है. महाराष्ट्र सरकार दो गज की दूरी को लेकर भी एक मुहिम चलाने की योजना बना रही है.

गौरतलब है कि इससे पहले राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा पत्र लिखे जाने को लेकर महाराष्ट्र में धार्मिक स्थल खोले जाने का विषय सुर्खियों में आ गया है. इस संबंध में शरद पवार ने पीएम मोदी से कहा कि राज्यपाल की भाषा अशोभनीय है.

पवार ने राज्यपाल के पत्र के अंश को उद्धृत करते हुए लिखा, 'आप हिंदुत्व के मुखर समर्थक रहे हैं. आपने मुख्यमंत्री बनने के बाद अयोध्या जाकर सार्वजनिक रूप से भगवान राम के प्रति अपनी श्रद्धा दिखाई है. आपने पंढरपुर जाकर विट्ठल रुक्मिणी मंदिर जाकर आषाढ़ी एकादशी के दिन पूजा की.'

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शरद पवार का पत्र पेज- 2

दरअसल, कोश्यारी ने उद्धव को लिखे पत्र में कहा कि उन्हें प्रतिनिधिमंडलों से तीन प्रतिवेदन मिले हैं जिनमें धर्मस्थलों को खोले जाने की मांग की गयी है. उन्होंने पत्र में लिखा है, 'क्या आप अचानक धर्मनिरपेक्ष हो गये?'

सीएम उद्धव ठाकरे को संबोधित राज्यपाल के पत्र को लेकर मुख्यमंत्री ने भी बयान दिया. उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार फैसले के लिए उचित समय का इंतजार कर रही है. उद्धव ने कहा है कि हिंदुत्व मंदिरों को खोलने से सिद्ध नहीं होता.

इस संबंध में शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा, 'कोश्यारी राज्य के संवैधानिक प्रमुख हैं. उन्हें यह देखना है कि राज्य में शासन संविधान के अनुसार चल रहा है या नहीं. बाकी बातों के लिए लोगों द्वारा निर्वाचित सरकार है. वह निर्णय लेती है.' उन्होंने कहा कि कि शिवेसना का हिंदुत्व दृढ़ है और मजबूत बुनियाद पर टिका है. राउत ने कहा कि शिवसेना को हिंदुत्व पर किसी से पाठ की जरूरत नहीं है.

इससे पहले सीएम उद्धव की मौजूदगी में पीएम मोदी ने महाराष्ट्र में कोरोना की स्थिति पर चिंता जताते हुए लोगों से बचाव के हर उपाय अपनाने का आग्रह किया. उन्होंने कहा, 'अपनी बात समाप्त करने से पहले मैं आप लोगों से एक बात कहना चाहूंगा. विशेषकर महाराष्ट्र के लोगों से तो जरूर कहना चाहूंगा. कोरोना का खतरा अभी भी बना हुआ है. महाराष्ट्र में यह चिंता जरा ज्यादा है.'

उन्होंने महाराष्ट्र के सभी नागरिकों से कोरोना के बचने के सारे उपायों को अपनाने की प्रार्थना की और कहा कि चेहरे पर मास्क, बार-बार हाथ धोना, साफ सफाई और दो गज की दूरी, इन नियमों में बिल्कुल लापरवाही नहीं करनी है.

उन्होंने कहा, 'हमें हमेशा याद रखना है कि जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं। हमें यह लड़ाई जरूर जीतनी है और हम जीतेंगे.'

वैसे तो प्रधानमंत्री इन दिनों अपने हर संबोधन के आखिर में लोगों से कोरोना से बचने और तमाम सुरक्षा उपायों का अनुसरण करने का आग्रह करते हैं लेकिन ठाकरे की मौजूदगी में महाराष्ट्र में कोरोना की स्थिति पर उनकी चिंता ने सबका ध्यान आकर्षित किया.

यह सब कुछ ऐसे समय में हुआ है जब महाराष्ट्र में धार्मिक स्थलों को खोले जाने की मांग को लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं ने मुंबई में सिद्धिविनायक मंदिर के बाहर प्रदर्शन किया.

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री पूर्व केंद्रीय मंत्री बालासाहेब विखे पाटिल की आत्मकथा के विमोचन के अवसर पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए आयोजित एक कार्यक्रम में यह बात कही. इस कार्यक्रम में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के अलावा, पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस सहित विखे पाटिल परिवार के सदस्य भी मौजूद थे.

अपने संबोधन के अंत में प्रधानमंत्री ने कहा, 'बालासाहेब के पूरे परिवार को बहुत आदर के साथ... क्‍योंकि चार पीढ़ी समाज सेवा में लगे रहे. ये छोटी बात नहीं है जी और खुशी की बात यह है कि हर पीढ़ी ज्‍यादा कर रही है, अच्‍छा कर रही है.'

उन्होंने किसी का नाम लिए बिना कटाक्ष किया, 'वरना हम जानते हैं, कुछ पीढि़यां ऐसी हैं, एक पीढ़ी के बाद दूसरी पीढ़ी थोड़ी कम ताकतवर नज़र आती है, तीसरी पीढ़ी और कमजोर नजर आती है और धीरे-धीरे 'डिटारिएशन (क्षरण)' दिखता है। जबकि बालासाहेब (विखे पाटिल) के संस्‍कार ऐसे रहे हैं कि उनकी सब पीढ़ी उत्‍तरोत्‍तर अधिक शक्तिशाली, संस्‍कारों के साथ जनसेवा में लगी रहती है, ऐसे परिवार को भी आज प्रणाम करने का अवसर है.'

मुंबई : महाराष्ट्र के पूर्व सीएम शरद पवार ने पीएम मोदी को पत्र लिखा है. उन्होंने महाराष्ट्र में धार्मिक स्थलों को खोले जाने का मुद्दा सुर्खियों में आने के बाद यह पत्र लिखा है. शरद पवार ने राज्यपाल द्वारा लिखे गए पत्र की भाषा को लेकर आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा है कि राज्यपाल को ऐसी भाषा शोभा नहीं देती.

पवार ने लिखा की पूरा देश कोरोना महामारी से एकजुट होकर लड़ रहा है. उन्होंने कहा कि कोरोना का प्रसार रोकने के मद्देनजर आपने 'दो गज की दूरी' का नारा दिया था. उन्होंने

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शरद पवार का पत्र पेज- 1

पवार ने कहा कि महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में 'मेरा परिवार मेरी जिम्मेदारी' कार्यक्रम चला रही है. महाराष्ट्र सरकार दो गज की दूरी को लेकर भी एक मुहिम चलाने की योजना बना रही है.

गौरतलब है कि इससे पहले राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा पत्र लिखे जाने को लेकर महाराष्ट्र में धार्मिक स्थल खोले जाने का विषय सुर्खियों में आ गया है. इस संबंध में शरद पवार ने पीएम मोदी से कहा कि राज्यपाल की भाषा अशोभनीय है.

पवार ने राज्यपाल के पत्र के अंश को उद्धृत करते हुए लिखा, 'आप हिंदुत्व के मुखर समर्थक रहे हैं. आपने मुख्यमंत्री बनने के बाद अयोध्या जाकर सार्वजनिक रूप से भगवान राम के प्रति अपनी श्रद्धा दिखाई है. आपने पंढरपुर जाकर विट्ठल रुक्मिणी मंदिर जाकर आषाढ़ी एकादशी के दिन पूजा की.'

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शरद पवार का पत्र पेज- 2

दरअसल, कोश्यारी ने उद्धव को लिखे पत्र में कहा कि उन्हें प्रतिनिधिमंडलों से तीन प्रतिवेदन मिले हैं जिनमें धर्मस्थलों को खोले जाने की मांग की गयी है. उन्होंने पत्र में लिखा है, 'क्या आप अचानक धर्मनिरपेक्ष हो गये?'

सीएम उद्धव ठाकरे को संबोधित राज्यपाल के पत्र को लेकर मुख्यमंत्री ने भी बयान दिया. उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार फैसले के लिए उचित समय का इंतजार कर रही है. उद्धव ने कहा है कि हिंदुत्व मंदिरों को खोलने से सिद्ध नहीं होता.

इस संबंध में शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा, 'कोश्यारी राज्य के संवैधानिक प्रमुख हैं. उन्हें यह देखना है कि राज्य में शासन संविधान के अनुसार चल रहा है या नहीं. बाकी बातों के लिए लोगों द्वारा निर्वाचित सरकार है. वह निर्णय लेती है.' उन्होंने कहा कि कि शिवेसना का हिंदुत्व दृढ़ है और मजबूत बुनियाद पर टिका है. राउत ने कहा कि शिवसेना को हिंदुत्व पर किसी से पाठ की जरूरत नहीं है.

इससे पहले सीएम उद्धव की मौजूदगी में पीएम मोदी ने महाराष्ट्र में कोरोना की स्थिति पर चिंता जताते हुए लोगों से बचाव के हर उपाय अपनाने का आग्रह किया. उन्होंने कहा, 'अपनी बात समाप्त करने से पहले मैं आप लोगों से एक बात कहना चाहूंगा. विशेषकर महाराष्ट्र के लोगों से तो जरूर कहना चाहूंगा. कोरोना का खतरा अभी भी बना हुआ है. महाराष्ट्र में यह चिंता जरा ज्यादा है.'

उन्होंने महाराष्ट्र के सभी नागरिकों से कोरोना के बचने के सारे उपायों को अपनाने की प्रार्थना की और कहा कि चेहरे पर मास्क, बार-बार हाथ धोना, साफ सफाई और दो गज की दूरी, इन नियमों में बिल्कुल लापरवाही नहीं करनी है.

उन्होंने कहा, 'हमें हमेशा याद रखना है कि जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं। हमें यह लड़ाई जरूर जीतनी है और हम जीतेंगे.'

वैसे तो प्रधानमंत्री इन दिनों अपने हर संबोधन के आखिर में लोगों से कोरोना से बचने और तमाम सुरक्षा उपायों का अनुसरण करने का आग्रह करते हैं लेकिन ठाकरे की मौजूदगी में महाराष्ट्र में कोरोना की स्थिति पर उनकी चिंता ने सबका ध्यान आकर्षित किया.

यह सब कुछ ऐसे समय में हुआ है जब महाराष्ट्र में धार्मिक स्थलों को खोले जाने की मांग को लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं ने मुंबई में सिद्धिविनायक मंदिर के बाहर प्रदर्शन किया.

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री पूर्व केंद्रीय मंत्री बालासाहेब विखे पाटिल की आत्मकथा के विमोचन के अवसर पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए आयोजित एक कार्यक्रम में यह बात कही. इस कार्यक्रम में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के अलावा, पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस सहित विखे पाटिल परिवार के सदस्य भी मौजूद थे.

अपने संबोधन के अंत में प्रधानमंत्री ने कहा, 'बालासाहेब के पूरे परिवार को बहुत आदर के साथ... क्‍योंकि चार पीढ़ी समाज सेवा में लगे रहे. ये छोटी बात नहीं है जी और खुशी की बात यह है कि हर पीढ़ी ज्‍यादा कर रही है, अच्‍छा कर रही है.'

उन्होंने किसी का नाम लिए बिना कटाक्ष किया, 'वरना हम जानते हैं, कुछ पीढि़यां ऐसी हैं, एक पीढ़ी के बाद दूसरी पीढ़ी थोड़ी कम ताकतवर नज़र आती है, तीसरी पीढ़ी और कमजोर नजर आती है और धीरे-धीरे 'डिटारिएशन (क्षरण)' दिखता है। जबकि बालासाहेब (विखे पाटिल) के संस्‍कार ऐसे रहे हैं कि उनकी सब पीढ़ी उत्‍तरोत्‍तर अधिक शक्तिशाली, संस्‍कारों के साथ जनसेवा में लगी रहती है, ऐसे परिवार को भी आज प्रणाम करने का अवसर है.'

Last Updated : Oct 13, 2020, 7:37 PM IST
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