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संघ प्रमुख भागवत ने कहा- हम संविधान से अलग नहीं चाहते कोई सत्ता केंद्र - आरएसएस प्रमुख

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने बरेली में कहा कि वह देश के संविधान पर विश्वास करते हैं. उन्हें इससे अलग सत्ता का केंद्र नहीं चाहिए. भागवत ने कहा कि यह देश हिंदुओं का है, पर हम किसी की धर्म जाति नहीं बदलना चाहते हैं. पढ़ें पूरी खबर.

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मोहन भागवत (फाइल फोटो)
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Published : Jan 19, 2020, 1:38 PM IST

Updated : Jan 19, 2020, 3:21 PM IST

लखनऊ : राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने बरेली में स्वयं सेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि संविधान कहता है कि हमें भावनात्मक एकीकरण लाने की कोशिश करनी चाहिए, लेकिन भावना क्या है? भावना यह है कि यह देश हमारा है, हम अपने महान पूर्वजों के वंशज हैं और हमें अपनी विविधता के बावजूद एक साथ रहना होगा. इसे ही हम हिंदुत्व कहते हैं.

सर संघ चालक मोहन भागवत ने रुहेलखंड विश्वविद्यालय के स्पोर्ट्स स्टेडियम में रविवार को एक कार्यक्रम में कहा कि संपूर्ण राष्ट्र का प्राण हिंदू में समाया हुआ है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयं संघ का एक ही काम है और वह है 'मनुष्य का निर्माण'.

स्वयं सेवकों को संबोधित करते मोहन भागवत.

मोहन भागवत ने कहा कि भारत संविधान की व्यवस्था से चलता है. हम दूसरे शक्ति केंद्र को नहीं मानते. हर हिंदू 'वसुधैव कुटुम्बकम' कहता है.

उन्होंने कहा कि हिंदू में कोई पूजा नहीं बताई गई है. हिंदू होने के लिए कुछ करना नहीं पड़ता है, जिसके पूर्वज हिंदू हैं वह हिंदू है. हिंदू पहचान है, राष्ट्रीयता है आत्मीयता है. हम अपने भाषा राज्य से अलग हैं, लेकिन अपनी पहचान से एक हैं. हम संविधान से अलग कोई सत्ता केंद्र नहीं चाहते हैं, क्योंकि हम इस पर विश्वास करते हैं.

भागवत ने कहा कि अपनी भाषा बोलो, अपनी जाति की उन्नति करो, हमारी सद्भावना आपके साथ है. उन्होंने कहा कि हमारा संगठन सत्ता से दूर है. बस हम किसी कानून पर अपना मत दे सकते हैं.

संघ प्रमुख ने कहा जब आरएसएस कार्यकर्ता कहते हैं कि यह देश हिंदुओं का है और 130 करोड़ लोग हिंदू हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि हम किसी का धर्म, भाषा या जाति को बदलना चाहते हैं.

लखनऊ : राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने बरेली में स्वयं सेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि संविधान कहता है कि हमें भावनात्मक एकीकरण लाने की कोशिश करनी चाहिए, लेकिन भावना क्या है? भावना यह है कि यह देश हमारा है, हम अपने महान पूर्वजों के वंशज हैं और हमें अपनी विविधता के बावजूद एक साथ रहना होगा. इसे ही हम हिंदुत्व कहते हैं.

सर संघ चालक मोहन भागवत ने रुहेलखंड विश्वविद्यालय के स्पोर्ट्स स्टेडियम में रविवार को एक कार्यक्रम में कहा कि संपूर्ण राष्ट्र का प्राण हिंदू में समाया हुआ है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयं संघ का एक ही काम है और वह है 'मनुष्य का निर्माण'.

स्वयं सेवकों को संबोधित करते मोहन भागवत.

मोहन भागवत ने कहा कि भारत संविधान की व्यवस्था से चलता है. हम दूसरे शक्ति केंद्र को नहीं मानते. हर हिंदू 'वसुधैव कुटुम्बकम' कहता है.

उन्होंने कहा कि हिंदू में कोई पूजा नहीं बताई गई है. हिंदू होने के लिए कुछ करना नहीं पड़ता है, जिसके पूर्वज हिंदू हैं वह हिंदू है. हिंदू पहचान है, राष्ट्रीयता है आत्मीयता है. हम अपने भाषा राज्य से अलग हैं, लेकिन अपनी पहचान से एक हैं. हम संविधान से अलग कोई सत्ता केंद्र नहीं चाहते हैं, क्योंकि हम इस पर विश्वास करते हैं.

भागवत ने कहा कि अपनी भाषा बोलो, अपनी जाति की उन्नति करो, हमारी सद्भावना आपके साथ है. उन्होंने कहा कि हमारा संगठन सत्ता से दूर है. बस हम किसी कानून पर अपना मत दे सकते हैं.

संघ प्रमुख ने कहा जब आरएसएस कार्यकर्ता कहते हैं कि यह देश हिंदुओं का है और 130 करोड़ लोग हिंदू हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि हम किसी का धर्म, भाषा या जाति को बदलना चाहते हैं.

Last Updated : Jan 19, 2020, 3:21 PM IST
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