नई दिल्ली : जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में हुई हिंसा, सीएए-एनआरसी और नई शिक्षा नीति (NEP) जैसे मुद्दों पर विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला गुरुवार को भी जारी रहा. इसी क्रम में जेएनयू छात्रों ने मांग रखी है कि वीसी को तुरंत हटाया जाए. हालांकि, मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सचिव अमित खरे ने कहा कि वीसी को हटाना समस्या का समाधान नहीं है.
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधिकारी शुक्रवार को कुलपति से मुलाकात के बाद जेएनयू छात्रसंघ से भी बातचीत करेंगे. सचिव अमित खरे ने बताया कि संशोधित शुल्क लागू नहीं किए जाने के छात्रों के दावे को लेकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय शुक्रवार को फिर जेएनयू कुलपति से बात करेगा. उन्होंने कहा कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय का ध्यान शैक्षाणिक मुद्दों पर है, ना कि राजनीतिक मुद्दों पर .
एचआरडी मंत्रालय के अधिकारियों और जेएनयू प्रतिनिधिमंडल के बीच बैठक भी हुई. जेएनयू के छात्रों का प्रतिनिधिमंडल इससे बहुत अधिक खुश नहीं दिखा. जेएनएसयू की अध्यक्ष आइशी घोष ने कहा कि वीसी एम जगदीश कुमार को हटना ही होगा. और जब तक वे नहीं हटेंगे, हमारी कोई बातचीत नहीं होगी. घोष ने कहा कि यदि एचआरडी मंत्रालय के अधिकारी बात करना चाहते हैं, तो उन्हें जेएनयू कैंपस आना चाहिए.
गुरुवार को सैकड़ों छात्र एचआरडी मंत्रालय के बाहर एकत्र हुए और धरना दिया. छात्र राष्ट्रपति भवन की ओर बढ़ रहे थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया. इसे लेकर छात्रों और पुलिस के बीच झड़प भी हो गई.
वीसी ने फीस बढ़ोतरी वापस लेने से किया इनकार
कुलपति एम जगदीश कुमार ने गुरुवार को कहा कि फीस बढ़ोत्तरी पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय के 'फार्मूले' में कोई बदलाव नहीं हुआ है और तय रूख के तहत छात्रों से सेवा या उपयोग फीस नहीं वसूली गई है.
कुमार ने कहा, 'जहां तक फीस मुद्दे का सवाल है, पिछले महीने तय एचआरडी के फार्मूले में कोई बदलाव नहीं हुआ है. जो निर्णय हुआ था, उसके अनुसार छात्रों से सेवा या उपयोग (यूटिलीटी) फीस नहीं वसूली जा रही है. उन्होंने कहा, 'हमने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के तय निर्णय के अनुरूप सेवा एवं यूटिलिटी शुल्क की भरपाई के लिये फंड जारी करने के लिये लिखा है.'
गौरतलब है कि जेएनयू में फीस वृद्धि को लेकर छात्रों के विरोध प्रदर्शन के बीच मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने पिछले महीने हस्तक्षेप करते हुए इस मुद्दे के समाधान के लिये तीन सदस्यीय समिति का गठन किया था.
इसमें यह फार्मूला तय किया गया कि सेवा एवं यूटिलिटी शुल्क का वहन यूजीसी करेगा, छात्र नहीं. छात्रों को केवल कमरे का किराया देना होगा. हालांकि छात्र सम्पूर्ण फीस वृद्धि को वापस लेने की मांग कर रहे हैं.