नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को देशवासियों से स्वतंत्रता दिवस तक एक सप्ताह लंबा 'गंदगी भारत छोड़ो' अभियान चलाने का आह्वान किया और कहा कि 'स्वच्छ भारत अभियान' ने हर देशवासी के आत्मविश्वास और आत्मबल को बढ़ाया है तथा इससे जो चेतना पैदा हुई है, उसका बहुत बड़ा लाभ कोरोना वायरस के विरुद्ध लड़ाई में मिल रहा है.
राजधानी स्थित राजघाट के समीप नवनिर्मित 'राष्ट्रीय स्वच्छता केंद्र'(आरएसके) का उद्घाटन करने के बाद प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में आजादी के आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी के दिये नारे 'अंग्रेजो भारत छोड़ो' की तर्ज पर 'गंदगी भारत छोड़ो' का यह आह्वान किया.
उन्होंने कहा कि राजघाट के समीप बना यह केंद्र महात्मा गांधी के स्वच्छाग्रह के प्रति 130 करोड़ भारतीयों की श्रद्धांजलि है, कार्यांजलि है.
मोदी ने कहा, 'देश को कमजोर बनाने वाली बुराइयां भारत छोड़ें, इससे अच्छा और क्या होगा. इसी सोच के साथ बीते छह साल से देश में एक व्यापक भारत छोड़ो अभियान चल रहा है. गरीबी- भारत छोड़ो, खुले में शौच की मजबूरी-भारत छोड़ो, पानी के लिए दर-दर भटकने की मजबूरी-भारत छोड़ो, भेदभाव की प्रवृत्ति-भारत छोड़ो, भ्रष्टाचार की कुरीति-भारत छोड़ो, आतंक और हिंसा-भारत छोड़ो.'
प्रधानमंत्री ने आज से 15 अगस्त यानी स्वतन्त्रता दिवस तक देश में एक सप्ताह 'गंदगी भारत छोड़ो' अभियान चलाने का आह्वान करते हुए कहा, 'स्वराज के सम्मान का सप्ताह यानी ‘गंदगी भारत छोड़ो सप्ताह’. भारत छोड़ो के ये सभी संकल्प स्वराज से सुराज की भावना के अनुरूप ही हैं. इसी कड़ी में आज हम सभी को ‘गंदगी भारत छोड़ो’ का भी संकल्प दोहराना है.'
उन्होंने जिलों के जिम्मेदार अधिकारियों से आग्रह किया कि इस सप्ताह के दौरान वे अपने-अपने जिलों के सभी गांवों में सामुदायिक शौचालय बनाने और उनकी मरम्मत का अभियान चलाएं.
उन्होंने कहा, 'जहां दूसरे राज्यों से आए श्रमिक साथी रह रहे हैं, उन जगहों पर प्राथमिकता के आधार पर ये हो. इसी तरह, गंदगी से कंपोस्ट बनाने का काम हो, जल शोधन हो, सिंगल यूज़ प्लास्टिक से मुक्ति हो, इसके लिए हमें मिलकर आगे बढ़ना है.'
प्रधानमंत्री ने कहा कि गांधी जी की प्रेरणा से बीते वर्षों में देश के कोने-कोने में लाखों स्वच्छाग्रहियों ने 'स्वच्छ भारत अभियान' को अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया और यही कारण है कि 60 महीने में करीब-करीब 60 करोड़ भारतीय शौचालय की सुविधा से जुड़ गए, आत्मविश्वास से जुड़ गए.
उन्होंने कहा, 'इसकी वजह से देश की बहनों को सम्मान सुरक्षा और सुविधा मिली, इसकी वजह से देश की लाखों बेटियों को बिना रुके पढ़ाई का भरोसा मिला, इसकी वजह से लाखों गरीब बच्चों को बीमारियों से बचने का उपाय मिला, इसकी वजह से देश के करोड़ों दलितों, वंचितों, पीड़ितों, शोषितों और आदिवासियों को समानता का विश्वास मिला.'
मोदी ने कहा कि 'स्वच्छ भारत अभियान' ने हर देशवासी के आत्मविश्वास और आत्मबल को एक नई ऊर्जा दी है.
उन्होंने कहा, 'इसका सबसे अधिक लाभ देश के गरीबों के जीवन पर दिख रहा है. स्वच्छ भारत अभियान से हमारी सामाजिक चेतना, समाज के रूप में हमारे आचार और व्यवहार में भी स्थाई परिवर्तन आया है. इसे लेकर जो चेतना पैदा हुई है, उसका बहुत बड़ा लाभ कोरोना वायरस के विरुद्ध लड़ाई में भी हमें मिल रहा है.'
उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि अगर कोरोना वायरस जैसी महामारी 2014 से पहले आती तो क्या स्थिति होती.
उन्होंने पूछा, 'शौचालय के अभाव में क्या हम संक्रमण की गति को कम करने से रोक पाते. क्या तब लॉकडाउन जैसी व्यवस्थाएं संभव हो पातीं, जब भारत की 60 प्रतिशत आबादी खुले में शौच के लिए मजबूर थी.'
प्रधानमंत्री ने कहा, 'स्वच्छाग्रह ने कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में हमें बहुत बड़ा सहारा दिया है, माध्यम दिया है.'
स्वच्छता के अभियान को निरंतर चलने वाला एक सफर बताते हुए उन्होंने कहा कि खुले में शौच से मुक्ति (ओडीएफ) के बाद अब दायित्व और बढ़ गया है.
उन्होंने कहा, 'देश को ओडीएफ के बाद अब ओडीएफ प्लस बनाने के लक्ष्य पर काम चल रहा है. अब हमें शहर हो या गांव, कचरे के प्रबंधन को बेहतर बनाना है. हमें कचरे से कंचन बनाने के काम को तेज़ करना है.'
प्रधानमंत्री ने कहा कि जिस प्रकार गंगा की निर्मलता को लेकर उत्साहजनक परिणाम मिल रहे हैं, वैसे ही देश की दूसरी नदियों को भी गंदगी से मुक्त करना है.
उन्होंने कहा, 'यहां पास में ही यमुना जी हैं. यमुना जी को भी गंदे नालों से मुक्त करने के अभियान को हमें तेज़ करना है. इसके लिए यमुना के आसपास बसे हर गांव, हर शहर में रहने वाले साथियों का साथ और सहयोग बहुत जरूरी है.'
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उन्होंने जनता से आग्रह किया कि इन अभियानों में शामिल होने के दौरान वे ‘दो गज़ की दूरी, मास्क है ज़रूरी’ नियम को ना भूलें.
उन्होंने कहा, 'कोरोना वायरस हमारे मुंह और नाक के रास्ते ही फैलता भी है और फलता-फूलता भी है. ऐसे में मास्क, दूरी और सार्वजनिक स्थानों पर ना थूकने के नियम का सख्ती से पालन करना है. खुद को सुरक्षित रखते हुए, इस व्यापक अभियान को हम सभी सफल बनाएंगे.'
महात्मा गांधी को समर्पित राष्ट्रीय स्वच्छता केंद्र (आरएसके) की प्रधानमंत्री ने सबसे पहले घोषणा 10 अप्रैल 2017 को गांधीजी के चम्पारण ‘सत्याग्रह’ के 100 वर्ष पूरे होने के मौके पर की थी. यह स्वच्छ भारत मिशन पर एक परस्पर संवादात्मक (इंटरैक्टिव) अनुभव केंद्र होगा.
आरएसके पहुंचने के बाद प्रधानमंत्री ने वहां स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की और केंद्र का अवलोकन किया.
आरएसके में स्थित सभागार में प्रधानमंत्री ने ‘दर्शक 360 डिग्री’ का अनूठा ऑडियो-विजुअल कार्यक्रम देखा, जिसमें भारत की स्वच्छता की कहानी यानी दुनिया के इतिहास में लोगों की आदतों में बदलाव लाने वाले सबसे बड़े अभियान की यात्रा दिखाई गई.
इसके बाद प्रधानमंत्री ने 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करने वाले दिल्ली के 36 स्कूली छात्रों से संवाद भी किया.