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2019 की सुर्खियां : विवादों के बावजूद असम में NRC आया - सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद असम में एनआरसी लागू की गई. इस प्रक्रिया में लगभग 19 लाख से ज्यादा लोग सूची से बाहर रह गए. इसी बीच केंद्रीय गृह मंत्री ने कई मौकों पर दोहराया कि वह पूरे देश में एनआरसी को लेकर आएंगे. नागरिकता संशोधन कानून के बनने के बाद से पूरे देश में सीएए के साथ ही एनआरसी के खिलाफ भी प्रदर्शन हुए. इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने बयान दिया कि देश में एनआरसी को लागू करने की कोई योजना नहीं है.

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Published : Dec 28, 2019, 7:06 AM IST

Updated : Dec 31, 2019, 10:04 AM IST

हैदराबाद : 2019 में जिन खबरों को लेकर सबसे अधिक विवाद रहा, उनमें से एक एनआरसी की खबर है. यानि नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन. वैसे तो एनआरसी का संबंध सिर्फ असम से है, लेकिन इसे लेकर देश के दूसरे राज्यों में भी विरोध हो रहा है. लोगों के बीच इस पर कई भ्रम हैं. चर्चा का विषय है कि इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा.

दरअसल, इस विषय पर स्थिति इसलिए स्पष्ट नहीं हो पाई, क्योंकि गृह मंत्री अमित शाह ने कई मौकों पर इसे पूरे देश में लागू करने की बात कही. हालांकि, इनसे ठीक उलट प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कुछ और ही कहा. उन्होंने कहा कि एनआरसी को लेकर बेवजह चर्चा की जा रही है. पूरे देश में लागू करने पर इस पर कोई विचार नहीं किया है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट.

प्रधानमंत्री के बयान के बाद केंद्रीय गृह मंत्री ने भी कहा, अभी हमने एनआरसी को लेकर कैबिनेट या संसद में कोई चर्चा नहीं की है. इसलिए पीएम सही हैं, उन्होंने जो कुछ कहा, वह सही है.

विपक्षी नेताओं ने इस पर सरकार के रूख की आलोचना की है.

पढ़ें-2019 की सुर्खियां : नागरिकता संशोधन कानून पर मचा संग्राम

NRC पर विपक्ष लगतार सरकार का घराव करने की कोशिश कर रही है. दरअसल, असम में भी एनआरसी सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर लागू की गई. पूरी प्रक्रिया अपनाई जाने के बाद 19.5 लाख लोगों का नाम इस सूची से बाहर पाया गया. उनके लिए कुछ प्रक्रियाएं निर्धारित की गई हैं. इसके बाद ही एनआरसी को लेकर अंतिम स्थिति स्पष्ट हो सकेगी.

जाहिर है, अब जबकि पीएम ने खुद ही स्थिति साफ कर दी है, उम्मीद की जानी चाहिए कि इस पर कोई भ्रम ना रहे. आइए एक बार हम फिर से एनआरसी क्या है, इस पर एक नजर डालते हैं.

हैदराबाद : 2019 में जिन खबरों को लेकर सबसे अधिक विवाद रहा, उनमें से एक एनआरसी की खबर है. यानि नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन. वैसे तो एनआरसी का संबंध सिर्फ असम से है, लेकिन इसे लेकर देश के दूसरे राज्यों में भी विरोध हो रहा है. लोगों के बीच इस पर कई भ्रम हैं. चर्चा का विषय है कि इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा.

दरअसल, इस विषय पर स्थिति इसलिए स्पष्ट नहीं हो पाई, क्योंकि गृह मंत्री अमित शाह ने कई मौकों पर इसे पूरे देश में लागू करने की बात कही. हालांकि, इनसे ठीक उलट प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कुछ और ही कहा. उन्होंने कहा कि एनआरसी को लेकर बेवजह चर्चा की जा रही है. पूरे देश में लागू करने पर इस पर कोई विचार नहीं किया है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट.

प्रधानमंत्री के बयान के बाद केंद्रीय गृह मंत्री ने भी कहा, अभी हमने एनआरसी को लेकर कैबिनेट या संसद में कोई चर्चा नहीं की है. इसलिए पीएम सही हैं, उन्होंने जो कुछ कहा, वह सही है.

विपक्षी नेताओं ने इस पर सरकार के रूख की आलोचना की है.

पढ़ें-2019 की सुर्खियां : नागरिकता संशोधन कानून पर मचा संग्राम

NRC पर विपक्ष लगतार सरकार का घराव करने की कोशिश कर रही है. दरअसल, असम में भी एनआरसी सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर लागू की गई. पूरी प्रक्रिया अपनाई जाने के बाद 19.5 लाख लोगों का नाम इस सूची से बाहर पाया गया. उनके लिए कुछ प्रक्रियाएं निर्धारित की गई हैं. इसके बाद ही एनआरसी को लेकर अंतिम स्थिति स्पष्ट हो सकेगी.

जाहिर है, अब जबकि पीएम ने खुद ही स्थिति साफ कर दी है, उम्मीद की जानी चाहिए कि इस पर कोई भ्रम ना रहे. आइए एक बार हम फिर से एनआरसी क्या है, इस पर एक नजर डालते हैं.

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Last Updated : Dec 31, 2019, 10:04 AM IST
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