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लोकसभा में तीन तलाक बिल पेश, सदन में हंगामा

फौरी तीन तलाक पर रोक लगाने वाला विधेयक आज लोकसभा में पेश किया गया. सरकार ने सितंबर 2018 और फरवरी 2019 में दो बार तीन तलाक अध्यादेश जारी किया था. अधिक जानकारी के लिये पढ़ें पूरी खबर......

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Published : Jun 21, 2019, 10:04 AM IST

Updated : Jun 21, 2019, 1:10 PM IST

नई दिल्ली: केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में तीन तलाक बिल पेश कर दिया है. इस बिल के पेश होते ही सदन में हंगामा शुरू हो गया. स्पीकर ओम बि़ड़ला ने कहा कि मंत्री सिर्फ बिल पेश करने की अनुमति मांग रहे हैं और किसी सदस्य की आपत्ति है तो फिर मैं जवाब देने के लिए तैयार हूं. इसके बाद हंगामे के बीच रविशंकर प्रसाद ने तीन तलाक बिल लोकसभा में पेश कर दिया है.

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कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद.

लोकसभा में कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने तीन तलाक बिल पर डिवीजन की मांग की है. सदन में लॉबी खाली कराई जा रही है और इसके बाद वोटिंग होगी. स्पीकर ने सदन में कहा कि लॉबी खाली हो गई है और अब महासचिव वोटिंग के नियम सांसदों को बता रही हैं.

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ट्वीट सौ. (एएनआई ट्विटर)

रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'तीन तलाक बिल से मुस्लिम महिलाओं की रक्षा होगी. संविधान के तहत नया बिल लाये. कानून पर बहस कोर्ट में होती है. लोकसभा को कोर्ट ना बनाएं. हम संसद में कानून बनाने चुनकर आये हैं. ये नारी न्याय और गरिमा का सवाल है. तीन बार तलाक कहकर उन्हें बाहर कर दिया जाता है.'

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ट्वीट सौ. (एएनआई ट्विटर)

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि हमने पिछली सरकार में इस बिल को लोकसभा से पारित किया था लेकिन राज्यसभा में यह बिल पेंडिंग रह गया था. उन्होंने कहा कि संविधान की प्रक्रियाओं के अनुसार हम बिल को फिर से लेकर आए हैं. जनता ने हमें कानून बनाने के लिए चुना है और कानून पर बहस अदालत में होती है और कोई लोकसभा को अदालत न बनाए. मंत्री ने कहा कि यह सवाल सियासत या इबादत का नहीं बल्कि नारी न्याय का सवाल है. उन्होंने कहा कि भारत के संविधान में कहा गया है कि किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता, इसलिए यह संविधान के खिलाफ कतई नहीं है बल्कि उनके अधिकारों से जुड़ा हैं.

कांग्रेस ने इस बिल का विरोध किया. कांग्रेस नेता थरूर ने कहा, 'मैं तीन तलाक बिल का समर्थन नहीं करता हूं. यह बिल मुस्लिम परिवारों के खिलाफ है. सिर्फ लोगों को परेशान करने के लिये यह बिल लाया गया.'

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AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी.

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस बिल का विरोध किया. उन्होंने बिल का विरोध करते हुए कहा कि यह संविधान के खिलाफ है. इस बिल से सिर्फ मुस्लिम पुरुषों को सजा मिलेगी, सरकार को सिर्फ मुस्लिम महिलाओं से हमदर्दी क्यों है, केरल की हिन्दू महिलाओं की चिंता सरकार क्यों नहीं कर रही है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को असंवैधानिक ठहराया है. इस बिल के बाद जो पति जेल जाएंगे उनकी पत्नियों का खर्चा क्या सरकार देने के लिए तैयार है.

लोकसभा से जुड़ी कार्यवाही सूची के मुताबिक 'मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2019' लोकसभा में पेश किया जा रहा है.

पिछले महीने 16 वीं लोकसभा का कार्यकाल पूरा होने के बाद पिछला विधेयक निष्प्रभावी हो गया था क्योंकि यह राज्यसभा में लंबित था. दरअसल, लोकसभा में किसी विधेयक के पारित हो जाने और राज्यसभा में उसके लंबित रहने की स्थिति में निचले सदन (लोकसभा) के भंग होने पर वह विधेयक निष्प्रभावी हो जाता है.

सरकार ने सितंबर 2018 और फरवरी 2019 में दो बार तीन तलाक अध्यादेश जारी किया था. इसका कारण यह है कि लोकसभा में इस विवादास्पद विधेयक के पारित होने के बाद वह राज्यसभा में लंबित रहा था.

मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अध्यादेश, 2019 के तहत तीन तलाक के तहत तलाक अवैध, अमान्य है और पति को इसके लिए तीन साल तक की कैद की सजा हो सकती है.

पढ़ें: विश्व योग दिवस : रांची में PM मोदी, जानें कैसा रहेगा कार्यक्रम

मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अध्यादेश, 2019 के तहत तीन तलाक के तहत तलाक अवैध, अमान्य है और पति को इसके लिए तीन साल तक की कैद की सजा हो सकती है.

नई दिल्ली: केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में तीन तलाक बिल पेश कर दिया है. इस बिल के पेश होते ही सदन में हंगामा शुरू हो गया. स्पीकर ओम बि़ड़ला ने कहा कि मंत्री सिर्फ बिल पेश करने की अनुमति मांग रहे हैं और किसी सदस्य की आपत्ति है तो फिर मैं जवाब देने के लिए तैयार हूं. इसके बाद हंगामे के बीच रविशंकर प्रसाद ने तीन तलाक बिल लोकसभा में पेश कर दिया है.

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कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद.

लोकसभा में कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने तीन तलाक बिल पर डिवीजन की मांग की है. सदन में लॉबी खाली कराई जा रही है और इसके बाद वोटिंग होगी. स्पीकर ने सदन में कहा कि लॉबी खाली हो गई है और अब महासचिव वोटिंग के नियम सांसदों को बता रही हैं.

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ट्वीट सौ. (एएनआई ट्विटर)

रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'तीन तलाक बिल से मुस्लिम महिलाओं की रक्षा होगी. संविधान के तहत नया बिल लाये. कानून पर बहस कोर्ट में होती है. लोकसभा को कोर्ट ना बनाएं. हम संसद में कानून बनाने चुनकर आये हैं. ये नारी न्याय और गरिमा का सवाल है. तीन बार तलाक कहकर उन्हें बाहर कर दिया जाता है.'

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ट्वीट सौ. (एएनआई ट्विटर)

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि हमने पिछली सरकार में इस बिल को लोकसभा से पारित किया था लेकिन राज्यसभा में यह बिल पेंडिंग रह गया था. उन्होंने कहा कि संविधान की प्रक्रियाओं के अनुसार हम बिल को फिर से लेकर आए हैं. जनता ने हमें कानून बनाने के लिए चुना है और कानून पर बहस अदालत में होती है और कोई लोकसभा को अदालत न बनाए. मंत्री ने कहा कि यह सवाल सियासत या इबादत का नहीं बल्कि नारी न्याय का सवाल है. उन्होंने कहा कि भारत के संविधान में कहा गया है कि किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता, इसलिए यह संविधान के खिलाफ कतई नहीं है बल्कि उनके अधिकारों से जुड़ा हैं.

कांग्रेस ने इस बिल का विरोध किया. कांग्रेस नेता थरूर ने कहा, 'मैं तीन तलाक बिल का समर्थन नहीं करता हूं. यह बिल मुस्लिम परिवारों के खिलाफ है. सिर्फ लोगों को परेशान करने के लिये यह बिल लाया गया.'

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AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी.

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस बिल का विरोध किया. उन्होंने बिल का विरोध करते हुए कहा कि यह संविधान के खिलाफ है. इस बिल से सिर्फ मुस्लिम पुरुषों को सजा मिलेगी, सरकार को सिर्फ मुस्लिम महिलाओं से हमदर्दी क्यों है, केरल की हिन्दू महिलाओं की चिंता सरकार क्यों नहीं कर रही है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को असंवैधानिक ठहराया है. इस बिल के बाद जो पति जेल जाएंगे उनकी पत्नियों का खर्चा क्या सरकार देने के लिए तैयार है.

लोकसभा से जुड़ी कार्यवाही सूची के मुताबिक 'मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2019' लोकसभा में पेश किया जा रहा है.

पिछले महीने 16 वीं लोकसभा का कार्यकाल पूरा होने के बाद पिछला विधेयक निष्प्रभावी हो गया था क्योंकि यह राज्यसभा में लंबित था. दरअसल, लोकसभा में किसी विधेयक के पारित हो जाने और राज्यसभा में उसके लंबित रहने की स्थिति में निचले सदन (लोकसभा) के भंग होने पर वह विधेयक निष्प्रभावी हो जाता है.

सरकार ने सितंबर 2018 और फरवरी 2019 में दो बार तीन तलाक अध्यादेश जारी किया था. इसका कारण यह है कि लोकसभा में इस विवादास्पद विधेयक के पारित होने के बाद वह राज्यसभा में लंबित रहा था.

मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अध्यादेश, 2019 के तहत तीन तलाक के तहत तलाक अवैध, अमान्य है और पति को इसके लिए तीन साल तक की कैद की सजा हो सकती है.

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मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अध्यादेश, 2019 के तहत तीन तलाक के तहत तलाक अवैध, अमान्य है और पति को इसके लिए तीन साल तक की कैद की सजा हो सकती है.

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पीटीआई-भाषा संवाददाता 21:50 HRS IST




             
  • लोकसभा में शुक्रवार को पेश होगा फौरी तीन तलाक पर रोक लगाने वाला विधेयक



नयी दिल्ली, 20 जून (भाषा) मुस्लिम समाज में एक बार में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) की प्रथा पर रोक लगाने के मकसद से जुड़़ा नया विधेयक सरकार शुक्रवार को लोकसभा में पेश करेगी।



लोकसभा से जुड़ी कार्यवाही सूची के मुताबिक ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2019’ लोकसभा में पेश किया जाएगा।



पिछले महीने 16 वीं लोकसभा का कार्यकाल पूरा होने के बाद पिछला विधेयक निष्प्रभावी हो गया था क्योंकि यह राज्यसभा में लंबित था। दरअसल, लोकसभा में किसी विधेयक के पारित हो जाने और राज्यसभा में उसके लंबित रहने की स्थिति में निचले सदन (लोकसभा) के भंग होने पर वह विधेयक निष्प्रभावी हो जाता है।



सरकार ने सितंबर 2018 और फरवरी 2019 में दो बार तीन तलाक अध्यादेश जारी किया था. इसका कारण यह है कि लोकसभा में इस विवादास्पद विधेयक के पारित होने के बाद वह राज्यसभा में लंबित रहा था।



मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अध्यादेश, 2019 के तहत तीन तलाक के तहत तलाक अवैध, अमान्य है और पति को इसके लिए तीन साल तक की कैद की सजा हो सकती है। 



भाषा हक 



हक दिलीप दिलीप 2006 2146 दिल्ली जसजस आवश्यक .दिल्ली दि 115 तीन तलाक लोस लोकसभा में शुक्रवार को पेश होगा फौरी तीन तलाक पर रोक लगाने वाला विधेयक नयी दिल्ली, 20 जून (भाषा) मुस्लिम समाज में एक बार में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) की प्रथा पर रोक लगाने के मकसद से जुड़़ा नया विधेयक सरकार शुक्रवार को लोकसभा में पेश करेगी।



लोकसभा से जुड़ी कार्यवाही सूची के मुताबिक ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2019’ लोकसभा में पेश किया जाएगा।



पिछले महीने 16 वीं लोकसभा का कार्यकाल पूरा होने के बाद पिछला विधेयक निष्प्रभावी हो गया था क्योंकि यह राज्यसभा में लंबित था। दरअसल, लोकसभा में किसी विधेयक के पारित हो जाने और राज्यसभा में उसके लंबित रहने की स्थिति में निचले सदन (लोकसभा) के भंग होने पर वह विधेयक निष्प्रभावी हो जाता है।



सरकार ने सितंबर 2018 और फरवरी 2019 में दो बार तीन तलाक अध्यादेश जारी किया था. इसका कारण यह है कि लोकसभा में इस विवादास्पद विधेयक के पारित होने के बाद वह राज्यसभा में लंबित रहा था।



मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अध्यादेश, 2019 के तहत तीन तलाक के तहत तलाक अवैध, अमान्य है और पति को इसके लिए तीन साल तक की कैद की सजा हो सकती है। 


Conclusion:
Last Updated : Jun 21, 2019, 1:10 PM IST
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