भुवनेश्वर: भारतीय सीमा से लगे क्षेत्रों पर नेपाल के दावे का विरोध भारत ने अनोखे तरीके से किया. एक संगठन ने डाक टिकट की प्रतिलिपि के साथ एक लिफाफा जारी किया जिसे 1954 में हिमालयन नेशन ने जारी किया था. इस डाक टिकट में दिखाया गया है कि विवाद के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र वास्तव में भारत के ही हैं.
2010 में गठित भारत रक्षा मंच एक गैर राजनीतिक संगठन है जिसका उद्देश्य भारत की सीमा में घुसपैठ को रोकना है. नेपाल के साथ सीमा विवाद के शांतिपूर्ण हल के लिए इस संगठन ने ये लिफाफा नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और नेपाली राष्ट्रीय सभा के 59 सदस्यों को भेजा है.
मंच के राष्ट्रीय सचिव और प्रख्यात दर्शनशास्त्री अनिल धीर ने बताया कि 1954 से नेपाल ने 29 डाक टिकट जारी किए हैं, जिसमें हमेशा से भारत के दावे के अनुसार ही नेपाल के नक्शे को दिखाया गया है.
धीर ने कहा कि नेपाल ने कभी भी कालापानी को अपने क्षेत्र या विवादित क्षेत्र के रूप में नहीं दिखाया. उन क्षेत्रों को नेपाल सरकार के आधिकारिक मानचित्रों में और स्कूल के नक्शों में भी कभी शामिल नहीं किया गया था. अनिल धीर के पास संदर्भ के लिए चार पुस्तकें भी हैं.
उन्होंने कहा कि 1954 के मानचित्र स्टैम्प के साथ यह लिफाफा भारत की तरफ से प्रतीकात्मक विरोध प्रदर्शन को दिखाता है. इसे भारत में नेपाली उच्चायुक्त, नेपाल के फिलाटेलिक सोसाइटी के अध्यक्ष और अन्य लोगों को भी भेजा गया है.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा 8 मई को उत्तराखंड के धारचूला से लिपुलेख दर्रे को जोड़ने वाली 80 किमी. लंबी रणनीतिक सड़क का उद्घाटन करने के बाद दोनों देशों के बीच संबंध तनाव में आ गए.
नेपाल ने सड़क के उद्घाटन पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए दावा किया कि यह नेपाली क्षेत्र से होकर गुजरता है. भारत ने दावे को खारिज करते हुए कहा कि सड़क पूरी तरह से उसके क्षेत्र में है.
नेपाल सरकार ने 20 मई को अपने क्षेत्र के अंतर्गत लिम्पियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी को दिखाते हुए एक संशोधित राजनीतिक और प्रशासनिक मानचित्र जारी किया. जिसके बाद भारत ने काठमांडू को इस तरह के बनावटी और नकली कार्टोग्राफिक जारी करने से मना किया.