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आजाद के बयानों पर बोले रावत- सीडब्ल्यूसी के दायरे में हो व्यवहार

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पार्टी के भीतर चल रहे 'पत्र विवाद' और गुलाम नबी आजाद के हालिया बयानों पर कहा कि सभी कांग्रेस नेताओं को सीडब्ल्यूसी के दायरे में रहकर व्यवहार करना चाहिए. जानें और क्या कुछ बोले हरीश...

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आजाद के बयानों पर बोले हरीश - सीडब्ल्यूसी के दायरे में होना चाहिए व्यवहार
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Published : Aug 30, 2020, 1:39 PM IST

Updated : Aug 30, 2020, 1:51 PM IST

नई दिल्ली : कांग्रेस महासचिव एवं उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पार्टी के भीतर चल रहे 'पत्र विवाद' और गुलाम नबी आजाद के हालिया बयानों की पृष्ठभूमि में कहा कि बयान देने वालों समेत सभी नेताओं को कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) के सामूहिक निर्णयों एवं सीडब्ल्यूसी की बैठक के आखिर में सोनिया गांधी की ओर से की गई टिप्पणी के दायरे में व्यवहार करना चाहिए.

उन्होंने दिए साक्षात्कार में यह भी कहा कि सीडब्ल्यूसी के किसी नेता ने कभी यह नहीं बोला कि संगठनात्मक चुनाव नहीं होना चाहिए, इतना जरूर है कि चुनाव कब और कैसे होंगे, इस बारे में सोनिया निर्णय करेंगी.

उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों आजाद समेत कांग्रेस के 23 नेताओं ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर संगठन में ऊपर से लेकर नीचे तक बदलाव और पूर्णकालिक एवं सक्रिय अध्यक्ष की मांग की थी. उनके इस पत्र को पार्टी के भीतर कई लोगों ने कांग्रेस नेतृत्व को चुनौती देने के तौर पर लिया.

इस पत्र से जुड़े विवाद की पृष्ठभूमि में ही 24 अगस्त को सीडब्ल्यूसी की हंगामेदार और मैराथन बैठक हुई, जिसमें सोनिया गांधी से अंतरिम अध्यक्ष के रूप में बने रहने का आग्रह किया गया और संगठन में जरूरी बदलाव के लिए उन्हें अधिकृत किया गया.

बैठक के आखिर में सोनिया ने कहा था कि कांग्रेस एक बड़ा परिवार है जहां कई मौकों पर असहमतियां होती हैं, लेकिन इस वक्त की जरूरत है कि लोगों के हित में और देश को विफल कर रही ताकतों से मिलकर लड़ा जाए.

इस बैठक के बाद गुरूवार को आजाद ने एक साक्षात्कार में फिर कहा कि संगठन में हर स्तर पर चुनाव होना चाहिए और अगर चुनाव नहीं होता है तो कांग्रेस को अगले 50 साल तक विपक्ष में बैठना पड़ सकता है.

आजाद के इस बयान को लेकर कांग्रेस के कुछ स्थानीय नेताओं ने उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष आजाद की संगठनात्मक चुनाव की मांग पर 72 वर्षीय रावत ने कहा, 'आखिर कांग्रेस में कौन कह कर रहा है कि चुनाव नहीं होना चाहिए? चुनाव कब होगा, कैसे होगा, इसी के लिए तो कांग्रेस अध्यक्ष को अधिकृत किया गया है.'

उन्होंने यह भी कहा, 'आजाद ने जिला कांग्रेस कमेटी, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्षों और कार्य समिति के चुनाव की बात की है. उन्होंने अध्यक्ष के चुनाव की बात नहीं की है.'

उनके मुताबिक, जब भी अवसर आए हैं तो कांग्रेस में चुनाव हुआ है. कांग्रेस में वास्तविक चुनाव होता है. सोनिया गांधी ने जब चुनाव लड़ा था तो उनके खिलाफ जितेंद्र प्रसाद खड़े हुए थे.

कांग्रेस के ही कुछ नेताओं के चुनाव नहीं चाहने से जुड़े आजाद के दावे पर रावत ने कहा, 'मुझे अभी तक सीडब्ल्यूसी का ऐसा कोई सदस्य नहीं मिला जिसने यह कहा हो कि चुनाव नहीं होने चाहिए. इतनी बड़ी पार्टी है, हार होती है तो कई बातें होती हैं. अब यह सब महसूस करते हैं कि भाजपा के खिलाफ मिलकर लड़ना पड़ेगा.'

उन्होंने यह भी कहा, 'इन्होंने (पत्र लिखने वाले नेता) जो कहा है, उसके समय को लेकर और पत्र लीक होने को लेकर लोगों ने तकलीफ जताई. ये सब चीजें (सीडब्ल्यूसी की बैठक में) आजाद साहब की उपस्थिति में हुईं. कोई चीज छिपाकर नहीं हुई.'

रावत ने कहा, 'मैं समझता हूं कि अब इस मामले पर टीका-टिप्पणी करना उचित नहीं है. बयान देने वालों को भी और कांग्रेस के सभी लोगों को यह समझना चाहिए कि कार्यसमिति के सामूहिक निर्णयों और सोनिया जी ने बैठक के अखिर में जो बात की है, उसी के दायरे में व्यवहार किया जाना चाहिए.'

कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी फिर से राहुल गांधी को सौंपने की पैरवी करते हुए उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, 'राहुल गांधी कांग्रेस के निर्विवाद नेता हैं और विपक्ष के भी सबसे बड़े नेता हैं. पहले हमारे लिए वह अध्यक्ष के तौर पर आवश्यकता थे, लेकिन अब उनका अध्यक्ष बनना हमारे लिए गौरव की बात होगी.'

नई दिल्ली : कांग्रेस महासचिव एवं उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पार्टी के भीतर चल रहे 'पत्र विवाद' और गुलाम नबी आजाद के हालिया बयानों की पृष्ठभूमि में कहा कि बयान देने वालों समेत सभी नेताओं को कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) के सामूहिक निर्णयों एवं सीडब्ल्यूसी की बैठक के आखिर में सोनिया गांधी की ओर से की गई टिप्पणी के दायरे में व्यवहार करना चाहिए.

उन्होंने दिए साक्षात्कार में यह भी कहा कि सीडब्ल्यूसी के किसी नेता ने कभी यह नहीं बोला कि संगठनात्मक चुनाव नहीं होना चाहिए, इतना जरूर है कि चुनाव कब और कैसे होंगे, इस बारे में सोनिया निर्णय करेंगी.

उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों आजाद समेत कांग्रेस के 23 नेताओं ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर संगठन में ऊपर से लेकर नीचे तक बदलाव और पूर्णकालिक एवं सक्रिय अध्यक्ष की मांग की थी. उनके इस पत्र को पार्टी के भीतर कई लोगों ने कांग्रेस नेतृत्व को चुनौती देने के तौर पर लिया.

इस पत्र से जुड़े विवाद की पृष्ठभूमि में ही 24 अगस्त को सीडब्ल्यूसी की हंगामेदार और मैराथन बैठक हुई, जिसमें सोनिया गांधी से अंतरिम अध्यक्ष के रूप में बने रहने का आग्रह किया गया और संगठन में जरूरी बदलाव के लिए उन्हें अधिकृत किया गया.

बैठक के आखिर में सोनिया ने कहा था कि कांग्रेस एक बड़ा परिवार है जहां कई मौकों पर असहमतियां होती हैं, लेकिन इस वक्त की जरूरत है कि लोगों के हित में और देश को विफल कर रही ताकतों से मिलकर लड़ा जाए.

इस बैठक के बाद गुरूवार को आजाद ने एक साक्षात्कार में फिर कहा कि संगठन में हर स्तर पर चुनाव होना चाहिए और अगर चुनाव नहीं होता है तो कांग्रेस को अगले 50 साल तक विपक्ष में बैठना पड़ सकता है.

आजाद के इस बयान को लेकर कांग्रेस के कुछ स्थानीय नेताओं ने उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष आजाद की संगठनात्मक चुनाव की मांग पर 72 वर्षीय रावत ने कहा, 'आखिर कांग्रेस में कौन कह कर रहा है कि चुनाव नहीं होना चाहिए? चुनाव कब होगा, कैसे होगा, इसी के लिए तो कांग्रेस अध्यक्ष को अधिकृत किया गया है.'

उन्होंने यह भी कहा, 'आजाद ने जिला कांग्रेस कमेटी, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्षों और कार्य समिति के चुनाव की बात की है. उन्होंने अध्यक्ष के चुनाव की बात नहीं की है.'

उनके मुताबिक, जब भी अवसर आए हैं तो कांग्रेस में चुनाव हुआ है. कांग्रेस में वास्तविक चुनाव होता है. सोनिया गांधी ने जब चुनाव लड़ा था तो उनके खिलाफ जितेंद्र प्रसाद खड़े हुए थे.

कांग्रेस के ही कुछ नेताओं के चुनाव नहीं चाहने से जुड़े आजाद के दावे पर रावत ने कहा, 'मुझे अभी तक सीडब्ल्यूसी का ऐसा कोई सदस्य नहीं मिला जिसने यह कहा हो कि चुनाव नहीं होने चाहिए. इतनी बड़ी पार्टी है, हार होती है तो कई बातें होती हैं. अब यह सब महसूस करते हैं कि भाजपा के खिलाफ मिलकर लड़ना पड़ेगा.'

उन्होंने यह भी कहा, 'इन्होंने (पत्र लिखने वाले नेता) जो कहा है, उसके समय को लेकर और पत्र लीक होने को लेकर लोगों ने तकलीफ जताई. ये सब चीजें (सीडब्ल्यूसी की बैठक में) आजाद साहब की उपस्थिति में हुईं. कोई चीज छिपाकर नहीं हुई.'

रावत ने कहा, 'मैं समझता हूं कि अब इस मामले पर टीका-टिप्पणी करना उचित नहीं है. बयान देने वालों को भी और कांग्रेस के सभी लोगों को यह समझना चाहिए कि कार्यसमिति के सामूहिक निर्णयों और सोनिया जी ने बैठक के अखिर में जो बात की है, उसी के दायरे में व्यवहार किया जाना चाहिए.'

कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी फिर से राहुल गांधी को सौंपने की पैरवी करते हुए उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, 'राहुल गांधी कांग्रेस के निर्विवाद नेता हैं और विपक्ष के भी सबसे बड़े नेता हैं. पहले हमारे लिए वह अध्यक्ष के तौर पर आवश्यकता थे, लेकिन अब उनका अध्यक्ष बनना हमारे लिए गौरव की बात होगी.'

Last Updated : Aug 30, 2020, 1:51 PM IST
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