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गिलगित-बाल्टिस्तान भारत का अभिन्न अंग, UNHRC में उठी बात - geneva unhrc meeting

यूएनएचआरसी के सत्र में ऐक्टिविस्ट सेंज एच. सेरिंग ने गिलगित बाल्टिस्तान को भारत का अभिन्न अंग बताया है. सेरिंग गिलगित-बाल्टिस्तान के कार्यकर्ता हैं.

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Published : Sep 11, 2019, 7:57 PM IST

Updated : Sep 30, 2019, 6:36 AM IST

नई दिल्ली/जिनेवा: नरेंद्र मोदी सरकार ने जब से कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म किया है तब से पाकिस्तान भारत के इस रूख से बौखलाया हुआ है. वह विश्व के प्रत्येक मंच पर जाकर कश्मीर मुद्दे को उठा रहा है और भारत के खिलाफ जहर उगल रहा है. हालांकि इससे उसके नापाक इरादे छिप नहीं रहे हैं.

गिलगित-बाल्टिस्तान भारत का अभिन्न अंग
इधर यूएनएचआरसी के 42वें सत्र में कश्मीर का मुद्दा छाया रहा. सत्र में गिलगित बाल्टिस्तान के एक्टिविस्ट सेंज एच.सेरिंग ने गिलगित बाल्टिस्तान को भारत का अभिन्न अंग बताते हुए कहा कि संयु्क्त राष्ट्र के सदस्यों को यह समझने आवश्यकता है कि पाकिस्तान सालों से अवरोध बना हुआ है.

सेरिंग ने जिनेवा में आयोजित यूएनएचआरसी सत्र में कहा कि गिलगित-बाल्टिस्तान भारत का अभिन्न अंग है.

पाकिस्तान के दावे को खारिज किया
दूसरी तरफ इसी मुद्दे पर गिलगित-बाल्टिस्तान के साथ रिश्ता रखने वाले कर्नल वजाहत हसन (रिटायर्ड) ने कहा कि पाकिस्तान कहता है कि पूरा जम्मू-कश्मीर विवादित क्षेत्र है और वहां लोगों को खुद फैसला लेने की आजादी होनी चाहिए. वजाहत ने कहा कि वे कहेंगे कि पाकिस्तान यह कैसे दावा कर सकता है कि यह विवादित इलाका है.

कर्नल वजाहत हसन का मानना है कि पाकिस्तान गिलगित-बाल्टिस्तान को काफी अरसे से कश्मीर के कॉकपिट पर रखा हुआ है. इस कारण से लोग गिलगित-बाल्टिस्तान के महत्व को नहीं जानते और न ही जम्मू-कश्मीर के साथ इसके रिश्ते को जानते हैं.

बता दें कि पाकिस्तान कश्मीर को लेकर भारत के खिलाफ इधर-उधर जहर उगल रहा है. यूएनएचआरसी में भी यह मुद्दा छाया हुआ है.

जम्मू-कश्मीर पर फैसला भारत का आंतरिक मामला
बता दें कि भारत ने मंगलवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने का फैसला उसका संप्रभु निर्णय है और यह पूरी तरह से आतंरिक मामला है. भारत ने पाकिस्तान के ‘‘सनकपन में दिए बयान' और कश्मीर मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) की जांच की उसकी मांग को सिरे से खारिज कर दिया.

भारत का पाक को जवाब
यूनएचआरसी के 42वें सत्र में पाकिस्तान के विदेश मंत्री महमूद कुरैशी के बयान पर जवाब देने के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए विदेश मंत्रालय में प्रथम सचिव विमर्श आर्यन ने कहा, 'हम इस मंच (यूएनएचआरसी) का राजनीतिकरण और ध्रुवीकरण करने के इरादे से पाकिस्तान की ओर से दिए गलत आख्यान और सनकपन भरे बयान पर आश्चर्यचिकत नहीं हैं. हमारे फैसले से पाकिस्तान को एहसास है कि सीमा पार आतंकवाद प्रयोजित कर बाधा उत्पन करने की कोशिशों में उसके पैरों तले से जमीन खिसक गई है.'

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के भारत विरोधी भड़काऊ बयान की पृष्ठभूमि में आर्यन ने कहा, 'कुछ पाकिस्तानी नेता इस हद तक चले गए कि जम्मू-कश्मीर में हिंसा को बढ़ावा देने के लिए जिहाद का आह्वान किया.'

जम्मू-कश्मीर निवासी भारतीय राजनयिक ने पाकिस्तान से कहा कि कश्मीर के लोग लोकतंत्र के मूल मूल्यों को संरक्षित करने के लिए एकजुट हैं और जम्मू-कश्मीर पर पाकिस्तान को कुछ भी बोलने का अधिकार नहीं है.

पढ़ें: BJP व्यापारियों की पार्टी है, हर चीज का बिजनेस करती है: संदीप दीक्षित

आर्यन ने कहा कि यूएनएचआरसी मंच पर पाकिस्तान ने मानव अधिकार पर विश्व की आवाज की तरह खुद को पेश किया, लेकिन वह दुनिया को मूर्ख नहीं बना सकता. पाकिस्तान का इतिहास सच्चाई बता रहा है. इस हथकंडे से पाकिस्तान धार्मिक समूहों और जातीय अल्पसंख्यकों जैसे ईसाई,हिंदू, सिख, शिया, अहमदिया के उत्पीड़न से अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान नहीं भटका सकता.

नई दिल्ली/जिनेवा: नरेंद्र मोदी सरकार ने जब से कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म किया है तब से पाकिस्तान भारत के इस रूख से बौखलाया हुआ है. वह विश्व के प्रत्येक मंच पर जाकर कश्मीर मुद्दे को उठा रहा है और भारत के खिलाफ जहर उगल रहा है. हालांकि इससे उसके नापाक इरादे छिप नहीं रहे हैं.

गिलगित-बाल्टिस्तान भारत का अभिन्न अंग
इधर यूएनएचआरसी के 42वें सत्र में कश्मीर का मुद्दा छाया रहा. सत्र में गिलगित बाल्टिस्तान के एक्टिविस्ट सेंज एच.सेरिंग ने गिलगित बाल्टिस्तान को भारत का अभिन्न अंग बताते हुए कहा कि संयु्क्त राष्ट्र के सदस्यों को यह समझने आवश्यकता है कि पाकिस्तान सालों से अवरोध बना हुआ है.

सेरिंग ने जिनेवा में आयोजित यूएनएचआरसी सत्र में कहा कि गिलगित-बाल्टिस्तान भारत का अभिन्न अंग है.

पाकिस्तान के दावे को खारिज किया
दूसरी तरफ इसी मुद्दे पर गिलगित-बाल्टिस्तान के साथ रिश्ता रखने वाले कर्नल वजाहत हसन (रिटायर्ड) ने कहा कि पाकिस्तान कहता है कि पूरा जम्मू-कश्मीर विवादित क्षेत्र है और वहां लोगों को खुद फैसला लेने की आजादी होनी चाहिए. वजाहत ने कहा कि वे कहेंगे कि पाकिस्तान यह कैसे दावा कर सकता है कि यह विवादित इलाका है.

कर्नल वजाहत हसन का मानना है कि पाकिस्तान गिलगित-बाल्टिस्तान को काफी अरसे से कश्मीर के कॉकपिट पर रखा हुआ है. इस कारण से लोग गिलगित-बाल्टिस्तान के महत्व को नहीं जानते और न ही जम्मू-कश्मीर के साथ इसके रिश्ते को जानते हैं.

बता दें कि पाकिस्तान कश्मीर को लेकर भारत के खिलाफ इधर-उधर जहर उगल रहा है. यूएनएचआरसी में भी यह मुद्दा छाया हुआ है.

जम्मू-कश्मीर पर फैसला भारत का आंतरिक मामला
बता दें कि भारत ने मंगलवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने का फैसला उसका संप्रभु निर्णय है और यह पूरी तरह से आतंरिक मामला है. भारत ने पाकिस्तान के ‘‘सनकपन में दिए बयान' और कश्मीर मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) की जांच की उसकी मांग को सिरे से खारिज कर दिया.

भारत का पाक को जवाब
यूनएचआरसी के 42वें सत्र में पाकिस्तान के विदेश मंत्री महमूद कुरैशी के बयान पर जवाब देने के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए विदेश मंत्रालय में प्रथम सचिव विमर्श आर्यन ने कहा, 'हम इस मंच (यूएनएचआरसी) का राजनीतिकरण और ध्रुवीकरण करने के इरादे से पाकिस्तान की ओर से दिए गलत आख्यान और सनकपन भरे बयान पर आश्चर्यचिकत नहीं हैं. हमारे फैसले से पाकिस्तान को एहसास है कि सीमा पार आतंकवाद प्रयोजित कर बाधा उत्पन करने की कोशिशों में उसके पैरों तले से जमीन खिसक गई है.'

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के भारत विरोधी भड़काऊ बयान की पृष्ठभूमि में आर्यन ने कहा, 'कुछ पाकिस्तानी नेता इस हद तक चले गए कि जम्मू-कश्मीर में हिंसा को बढ़ावा देने के लिए जिहाद का आह्वान किया.'

जम्मू-कश्मीर निवासी भारतीय राजनयिक ने पाकिस्तान से कहा कि कश्मीर के लोग लोकतंत्र के मूल मूल्यों को संरक्षित करने के लिए एकजुट हैं और जम्मू-कश्मीर पर पाकिस्तान को कुछ भी बोलने का अधिकार नहीं है.

पढ़ें: BJP व्यापारियों की पार्टी है, हर चीज का बिजनेस करती है: संदीप दीक्षित

आर्यन ने कहा कि यूएनएचआरसी मंच पर पाकिस्तान ने मानव अधिकार पर विश्व की आवाज की तरह खुद को पेश किया, लेकिन वह दुनिया को मूर्ख नहीं बना सकता. पाकिस्तान का इतिहास सच्चाई बता रहा है. इस हथकंडे से पाकिस्तान धार्मिक समूहों और जातीय अल्पसंख्यकों जैसे ईसाई,हिंदू, सिख, शिया, अहमदिया के उत्पीड़न से अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान नहीं भटका सकता.

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Last Updated : Sep 30, 2019, 6:36 AM IST
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