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ईटीवी भारत से बोले डॉ. कफील, जेल में 5 दिनों तक नहीं दिया खाना

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Published : Sep 3, 2020, 3:33 PM IST

Updated : Sep 3, 2020, 7:12 PM IST

इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के बाद डॉक्टर कफील खान को मथुरा जेल से रिहा कर दिया गया. रिहाई के बाद डॉ. कफील बताते हैं कि जेल में उन्हें पांच दिनों तक लगातार पीटा गया और खाना भी नहीं दिया गया. उन्होंने कहा कि वह अपने साथ हुए बर्ताव को लेकर सीएम योगी को एक पत्र लिखेंगे. देखें ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत में और क्या कहते हैं डॉ. कफील...

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डॉक्टर कफील खान के साथ ईटीवी भारत की खास बातचीत : देखें वीडियो

जयपुर : डॉ. कफील खान रिहाई के बाद राजस्थान की राजधानी जयपुर पहुंचे. यहां उन्होंने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने अपने साथ जेल में हुए बर्ताव के बारे में बात बताई. आइए जानें क्या कुछ बाले डॉ. कफील.

डॉ. कफील खान बताते हैं कि जब उन्हें पहली बार जेल ले जाया गया था, तब उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया लेकिन, जब उन्हें दोबारा जेल पहुंचाया गया तो इस बार उन्हें शारीरिक तौर पर भी प्रताड़ित किया गया.

डॉ. कफील से खास बातचीत.

वह कहते हैं कि उन्हें लगातार पांच दिनों तक पीटा गया और खाने के लिए सिर्फ दो रोटियां दी जाती थीं. उन्होंने बताया कि जब वहां खाना नहीं मिलता था, तब उनकी हालत ऐसी होती थी कि उन्हें जो कुछ मिले वह उसे ही खा लें.

डॉ. कफील कहते हैं कि एसटीएफ के साथ मथुरा से मुंबई जाने का सफर सबसे बुरा था. मुझे यहां बार-बार पीटा गया और कई सवाल पूछे गए.

ईटीवी भारत के साथ बातचीत में डॉ. कफील ने कहा, 'मैंने कोरोना महामारी को लेकर काफी पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र भी लिखा था, जिसमें मैंने इससे बचने के लिए हाथ और चेहरा धोने का पूरा तरीका बताया था. लेकिन मेरी इस बात पर कोई ध्यान नहीं दिया गया और अब स्थिति बेहद खराब है.'

डॉ. कफील ने कहा कि वह अपने साथ हुए बर्ताव को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी सवाल करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि इस बारे में वह योगी को एक पत्र लिखेंगे.

इसके अलावा डॉ. कफील ने कहा कि वह सात महीने बाद जेल से बाहर आए हैं, जिस वजह से उनका बच्चा उन्हें पहचान नहीं रहा है. उन्होंने कहा लेकिन मुझे अदालत और अपने कानून पर पूरा भरोसा था कि वह मेरे साथ न्याय करेगा.

उन्होंने कहा कि आज वह रिहा होकर सबके बीच सम्मान के साथ खड़े हैं, इसकी उन्हें बेहद खुशी है.

गौरतलब है कि कफील संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ पिछले साल अलीगढ़ में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत करीब साढ़े सात महीने से मथुरा जेल में बंद थे.

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह की पीठ ने कफील को तत्काल रिहा करने के आदेश दिए थे.

यह भी पढ़ें- डॉ. कफील खान मुथरा जेल से हुए रिहा, भड़काऊ बयानबाजी को लेकर हुए थे गिरफ्तार

हालांकि, कफील की तत्काल रिहाई नहीं हो सकी. उनके वकीलों तथा परिजन की तमाम कोशिशों के बाद मंगलवार यानी एक सितंबर रात करीब 12 बजे कफील को मथुरा जेल से रिहा किया गया. जबकि फरवरी, 2020 में उन्हें अदालत से जमानत मिल गई थी, मगर जेल से रिहा होने से ऐन पहले 13 फरवरी को उन पर रासुका के तहत कार्यवाही कर दी गई थी, जिसके बाद से वह जेल में थे.

कफील की रासुका अवधि गत छह मई को तीन माह के लिए बढ़ाया गया था. गत 16 अगस्त को अलीगढ़ जिला प्रशासन की सिफारिश पर राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने गत 15 अगस्त को उनकी रासुका की अवधि तीन माह के लिए और बढ़ा दी थी.

जयपुर : डॉ. कफील खान रिहाई के बाद राजस्थान की राजधानी जयपुर पहुंचे. यहां उन्होंने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने अपने साथ जेल में हुए बर्ताव के बारे में बात बताई. आइए जानें क्या कुछ बाले डॉ. कफील.

डॉ. कफील खान बताते हैं कि जब उन्हें पहली बार जेल ले जाया गया था, तब उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया लेकिन, जब उन्हें दोबारा जेल पहुंचाया गया तो इस बार उन्हें शारीरिक तौर पर भी प्रताड़ित किया गया.

डॉ. कफील से खास बातचीत.

वह कहते हैं कि उन्हें लगातार पांच दिनों तक पीटा गया और खाने के लिए सिर्फ दो रोटियां दी जाती थीं. उन्होंने बताया कि जब वहां खाना नहीं मिलता था, तब उनकी हालत ऐसी होती थी कि उन्हें जो कुछ मिले वह उसे ही खा लें.

डॉ. कफील कहते हैं कि एसटीएफ के साथ मथुरा से मुंबई जाने का सफर सबसे बुरा था. मुझे यहां बार-बार पीटा गया और कई सवाल पूछे गए.

ईटीवी भारत के साथ बातचीत में डॉ. कफील ने कहा, 'मैंने कोरोना महामारी को लेकर काफी पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र भी लिखा था, जिसमें मैंने इससे बचने के लिए हाथ और चेहरा धोने का पूरा तरीका बताया था. लेकिन मेरी इस बात पर कोई ध्यान नहीं दिया गया और अब स्थिति बेहद खराब है.'

डॉ. कफील ने कहा कि वह अपने साथ हुए बर्ताव को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी सवाल करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि इस बारे में वह योगी को एक पत्र लिखेंगे.

इसके अलावा डॉ. कफील ने कहा कि वह सात महीने बाद जेल से बाहर आए हैं, जिस वजह से उनका बच्चा उन्हें पहचान नहीं रहा है. उन्होंने कहा लेकिन मुझे अदालत और अपने कानून पर पूरा भरोसा था कि वह मेरे साथ न्याय करेगा.

उन्होंने कहा कि आज वह रिहा होकर सबके बीच सम्मान के साथ खड़े हैं, इसकी उन्हें बेहद खुशी है.

गौरतलब है कि कफील संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ पिछले साल अलीगढ़ में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत करीब साढ़े सात महीने से मथुरा जेल में बंद थे.

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह की पीठ ने कफील को तत्काल रिहा करने के आदेश दिए थे.

यह भी पढ़ें- डॉ. कफील खान मुथरा जेल से हुए रिहा, भड़काऊ बयानबाजी को लेकर हुए थे गिरफ्तार

हालांकि, कफील की तत्काल रिहाई नहीं हो सकी. उनके वकीलों तथा परिजन की तमाम कोशिशों के बाद मंगलवार यानी एक सितंबर रात करीब 12 बजे कफील को मथुरा जेल से रिहा किया गया. जबकि फरवरी, 2020 में उन्हें अदालत से जमानत मिल गई थी, मगर जेल से रिहा होने से ऐन पहले 13 फरवरी को उन पर रासुका के तहत कार्यवाही कर दी गई थी, जिसके बाद से वह जेल में थे.

कफील की रासुका अवधि गत छह मई को तीन माह के लिए बढ़ाया गया था. गत 16 अगस्त को अलीगढ़ जिला प्रशासन की सिफारिश पर राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने गत 15 अगस्त को उनकी रासुका की अवधि तीन माह के लिए और बढ़ा दी थी.

Last Updated : Sep 3, 2020, 7:12 PM IST
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