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कोरोना : कई बाधाएं अभी करनी हैं पार, टीके का वितरण एक बड़ी चुनौती

कोविड के कई टीकों का अभी क्लीनिकल परीक्षण चल रहा है. दुनिया की सात अरब से अधिक की आबादी का टीकाकरण करना एक महंगा मामला है. क्लीनिकल परीक्षण पूरा होने के बाद उत्पादन शुरू हो जाएगा, खरीदारी के लिए पहले से समझौते हो रहे हैं. यूनिसेफ आज की तारीख में दुनिया में टीकों का सबसे बड़ा खरीदार है. यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि विमानों से टीकों का परिवहन आसान नहीं है. कोविड के टीके को सुरक्षित और तेजी से एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाना इस सदी के रिकॉर्ड में एक अभूतपूर्व उपलब्धि रहेगी. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Sep 20, 2020, 9:34 PM IST

Updated : Sep 20, 2020, 10:21 PM IST

हैदराबाद : संयुक्त राष्ट्र बाल निधि (यूनिसेफ) हर साल दुनिया भर के आधे बच्चों के लिए जीवनरक्षक टीके का इंतजाम करता है. ये टीके करोड़ों बच्चों को टिटनेस, खसरा, पोलियो, पीत ज्वर और काली खांसी से बचाते हैं. यूनिसेफ एक साल में टीकों की 200 करोड़ खुराक खरीदता है और करीब 100 देशों के बच्चों को इन बीमारियों से सुरक्षित रखता है. यूनिसेफ आज की तारीख में दुनिया में टीकों का सबसे बड़ा खरीदार है. यूनिसेफ जल्द ही 92 गरीब देशों में कोविड-19 वैक्सीन वितरित करने की जिम्मेदारी भी लेगा.

जीएवीआई- द वैक्सीन एलायंस कोवाक्स कार्यक्रम का नेतृत्व कर रहा है, जिसका लक्ष्य दुनिया भर के लोगों का टीकाकरण करना है. इस कार्यक्रम के तहत कम आय वाले देशों के लिए कोविड के टीके जुटाने और वितरित करने की जिम्मेदारी यूनिसेफ पर ही है. कोविड के कई टीकों का अभी क्लीनिकल परीक्षण चल रहा है, जो सफल होंगे उनका अगले दो वर्षों में करोड़ों खुराक तैयार करने और वितरण करने की जरूरत होगी. 10 देशों में कुल 28 वैक्सीन निर्माता कोविड-19 के टीके तैयार करने में जुटे हैं.

रणनीतिक साझेदारी

दुनिया की सात अरब से अधिक की आबादी का टीकाकरण करना एक महंगा मामला है. क्लीनिकल परीक्षण पूरा होने के बाद उत्पादन शुरू हो जाएगा, खरीदारी के लिए पहले से समझौते हो रहे हैं. सरकारी और निजी कंपनियां धन और नियामक अनुमोदन प्राप्त करती हैं. यूनिसेफ पैन अमेरिकन हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (पीएएचओ) के रिवॉल्विंग फंड के सहयोग से विकासशील देशों को वैक्सीन वितरित करता है. कोवैक्स कार्यक्रम में 80 अमीर देश भाग लेंगे, ये देश कोविड -19 के वैक्सीन की खरीद के लिए अपने बजट से धन आवंटित करेंगे. यूनिसेफ उनकी ओर से वैक्सीन खरीद के लिए समन्वयक के रूप में भी काम करता है. चूंकि अमीर देश अपने लोगों को खुद अपने पैसे से टीकाकरण करना चाहते हैं, इसलिए इन देशों का पैसा वैक्सीन का उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रारंभिक निवेश के रूप में इस्तेमाल हो रहा है. अमीर देश कोवैक्स कार्यक्रम में भाग लेने के लिए एक-दो दिनों में ही यूनिसेफ के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे.

कोवैक्स कार्यक्रम का लक्ष्य दुनिया भर के सभी देशों के लिए कोविड वैक्सीन को उपलब्ध कराना है. यूनिसेफ कोवैक्स, विश्व स्वास्थ्य संगठन, विश्व बैंक, जीएवीआई-द वैक्सीन अलायंस, पीएओ, एसईपीआई, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के साथ मिलकर कार्यक्रम को सफलतापूर्वक पूरा करेगा. इन सभी संगठनों की आर्थिक मदद गरीब देशों के लोगों का टीकाकरण करने में बहुत सहायक है. जीएवीआई-द वैक्सीन एलायंस और यूनिसेफ ने पिछले 20 वर्षों में 7 करोड़ 60 लाख बच्चों को जीवन रक्षक टीके दिए हैं, जिससे एक करोड़ 30 लाख बच्चों की जान बची है. वह अनुभव कोविड -19 टीकाकरण कार्यक्रम के सफलता पूर्वक पूरा करने में योगदान देगा.

बहुत बड़ा कार्यक्रम

कोविड वैक्सीन जिनका अभी क्लीनिकल परीक्षण चल रहा है, यह दुनिया के लिए एक बहुत बड़ा कार्यक्रम है. यदि इनकी अरबों की खुराक का सफल उत्पादन होता है तो उन्हें उन देशों में भेजना और उन्हें सुरक्षित स्थिति में जनता के बीच वितरित करना और भी बड़ी चुनौती है. इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (आईएटीए ) ने सरकारों और उद्योगों को इसके लिए अभी से तैयारी शुरू करने को लेकर चेताया है. यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि विमानों से टीकों का परिवहन आसान नहीं है. कोविड के टीके को सुरक्षित और तेजी से एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाना इस सदी के रिकॉर्ड में एक अभूतपूर्व उपलब्धि रहेगी.

कोविड संकट के कारण अभी पूरी दुनिया में हवाई यात्रा को या तो रद कर दिया गया है या बहुत कम कर दिया गया है. जिसके परिणामस्वरूप जितने विमानों की जरूरत है उतनी संख्या में उपलब्ध नहीं हैं. कई विमानों को हैंगर में स्थानांतरित कर दिया गया है. यूनिसेफ, विश्व स्वास्थ्य संगठन और जीएवीआई इस बात से चिंतित हैं कि भविष्य में जल्दी से गंतव्य तक कोविड वैक्सीन पहुंचाने में समस्या आ सकती है. सात अरब 80 करोड़ विश्व जनसंख्या पर प्रति व्यक्ति एक वैक्सीन पहुंचाने के लिए 880 बोइंग 747 विमानों की आवश्यकता होगी. उस स्थिति की कल्पना की जा सकती है जब दो खुराक की आवश्यकता हो. स्थानीय वैक्सीन उत्पादन केंद्रों वाले समृद्ध देशों में तो एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में रेफ्रीजरेटर वाले वाहनों में टीके पहुंचाए जा सकते हैं लेकिन अंतरराष्ट्रीय परिवहन के लिए विमानों की आवश्यकता होगी.

गरीब देशों में विमानों को उतारने के बाद उन देशों में असुरक्षित सड़क, बुनियादी ढांचे के अभाव और पर्याप्त संख्या में रेफ्रिजरेटरयुक्त वाहन नहीं होने के कारण देश के कोने-कोने में लोगों तक सड़क मार्ग से वैक्सीन वितरित करना एक बड़ी चुनौती है. यूनिसेफ इन बाधाओं को दूर करने के लिए और कोविड टीकाकरण कार्यक्रम को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए उत्पादन, खरीद, परिवहन और सरकारों व वितरण एजेंसियों के साथ काम कर रहा है.

परिवहन के लिए भारी सुरक्षा

टीके का उत्पादन होते ही सभी परमिट हर हाल में प्राप्त हो जाने चाहिए और टीके की खुराक को निर्दिष्ट तापमान पर संग्रहित करना चाहिए और दुनिया भर में जहां-जहां भेजा जाना है वहां तेजी से पहुंचाया जाना चाहिए. रेफ्रिजरेशन सुविधा सर्वोच्च प्राथमिकता होगी क्योंकि जहां कोई भी गलती हुई वहां वैक्सीन की क्षमता कम हो जाएगी. इसके लिए जरूरी नए कोल्ड स्टोरेज के निर्माण कार्य और पुराने रेफ्रिजरेटर युक्त गोदामों में दुरुस्त करने का काम अभी से शुरू होना चाहिए. वैक्सीन को रखने के लिए आदर्श तापमान के ज्ञान के साथ बड़ी संख्या में प्रशिक्षित कर्मचारियों की आवश्यकता होगी. परिवहन के लिए बहुत अधिक सुरक्षा इसकी लगातार निगरानी करनी होगी कि रखने और परिवहन की प्रक्रिया में वैक्सीन बर्बाद नहीं हो जाए.

यदि जरूरत हो तो इसके लिए संवेदनशील उपकरण भी लगाए जाने चाहिए. इसकी सुरक्षा का इंतजाम भी करना होगा कि जब विमान से वैक्सीन जाए तो उसकी चोरी नहीं हो. जब एक देश से दूसरे देश की सीमा में जाए तो सीमा शुल्क आधिकारी बगैर विलंब किए उसे ले जाने की स्वीकृति दे दें. विमान जो वैक्सीन लेकर जा रहे हैं उन्हें हवाई अड्डों पर उतरने दिया जाए या वे बगैर उतरे अपनी यात्रा जारी रख सकें. उतरने वाले विमान कर्मियों को क्वारंटीन और कर्फ्यू से छूट रहे, किसी देश में जैसे ही विमान उतरे तो प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीन को जल्द से जल्द सुरक्षित स्थिति में ले जाने और रखने की हर हाल में इजाजत मिल जाए. तापमान में अंतर आने की वजह से वैक्सीन को बर्बाद होने से बचाने के लिए ये बहुत जरूरी है.

हैदराबाद : संयुक्त राष्ट्र बाल निधि (यूनिसेफ) हर साल दुनिया भर के आधे बच्चों के लिए जीवनरक्षक टीके का इंतजाम करता है. ये टीके करोड़ों बच्चों को टिटनेस, खसरा, पोलियो, पीत ज्वर और काली खांसी से बचाते हैं. यूनिसेफ एक साल में टीकों की 200 करोड़ खुराक खरीदता है और करीब 100 देशों के बच्चों को इन बीमारियों से सुरक्षित रखता है. यूनिसेफ आज की तारीख में दुनिया में टीकों का सबसे बड़ा खरीदार है. यूनिसेफ जल्द ही 92 गरीब देशों में कोविड-19 वैक्सीन वितरित करने की जिम्मेदारी भी लेगा.

जीएवीआई- द वैक्सीन एलायंस कोवाक्स कार्यक्रम का नेतृत्व कर रहा है, जिसका लक्ष्य दुनिया भर के लोगों का टीकाकरण करना है. इस कार्यक्रम के तहत कम आय वाले देशों के लिए कोविड के टीके जुटाने और वितरित करने की जिम्मेदारी यूनिसेफ पर ही है. कोविड के कई टीकों का अभी क्लीनिकल परीक्षण चल रहा है, जो सफल होंगे उनका अगले दो वर्षों में करोड़ों खुराक तैयार करने और वितरण करने की जरूरत होगी. 10 देशों में कुल 28 वैक्सीन निर्माता कोविड-19 के टीके तैयार करने में जुटे हैं.

रणनीतिक साझेदारी

दुनिया की सात अरब से अधिक की आबादी का टीकाकरण करना एक महंगा मामला है. क्लीनिकल परीक्षण पूरा होने के बाद उत्पादन शुरू हो जाएगा, खरीदारी के लिए पहले से समझौते हो रहे हैं. सरकारी और निजी कंपनियां धन और नियामक अनुमोदन प्राप्त करती हैं. यूनिसेफ पैन अमेरिकन हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (पीएएचओ) के रिवॉल्विंग फंड के सहयोग से विकासशील देशों को वैक्सीन वितरित करता है. कोवैक्स कार्यक्रम में 80 अमीर देश भाग लेंगे, ये देश कोविड -19 के वैक्सीन की खरीद के लिए अपने बजट से धन आवंटित करेंगे. यूनिसेफ उनकी ओर से वैक्सीन खरीद के लिए समन्वयक के रूप में भी काम करता है. चूंकि अमीर देश अपने लोगों को खुद अपने पैसे से टीकाकरण करना चाहते हैं, इसलिए इन देशों का पैसा वैक्सीन का उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रारंभिक निवेश के रूप में इस्तेमाल हो रहा है. अमीर देश कोवैक्स कार्यक्रम में भाग लेने के लिए एक-दो दिनों में ही यूनिसेफ के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे.

कोवैक्स कार्यक्रम का लक्ष्य दुनिया भर के सभी देशों के लिए कोविड वैक्सीन को उपलब्ध कराना है. यूनिसेफ कोवैक्स, विश्व स्वास्थ्य संगठन, विश्व बैंक, जीएवीआई-द वैक्सीन अलायंस, पीएओ, एसईपीआई, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के साथ मिलकर कार्यक्रम को सफलतापूर्वक पूरा करेगा. इन सभी संगठनों की आर्थिक मदद गरीब देशों के लोगों का टीकाकरण करने में बहुत सहायक है. जीएवीआई-द वैक्सीन एलायंस और यूनिसेफ ने पिछले 20 वर्षों में 7 करोड़ 60 लाख बच्चों को जीवन रक्षक टीके दिए हैं, जिससे एक करोड़ 30 लाख बच्चों की जान बची है. वह अनुभव कोविड -19 टीकाकरण कार्यक्रम के सफलता पूर्वक पूरा करने में योगदान देगा.

बहुत बड़ा कार्यक्रम

कोविड वैक्सीन जिनका अभी क्लीनिकल परीक्षण चल रहा है, यह दुनिया के लिए एक बहुत बड़ा कार्यक्रम है. यदि इनकी अरबों की खुराक का सफल उत्पादन होता है तो उन्हें उन देशों में भेजना और उन्हें सुरक्षित स्थिति में जनता के बीच वितरित करना और भी बड़ी चुनौती है. इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (आईएटीए ) ने सरकारों और उद्योगों को इसके लिए अभी से तैयारी शुरू करने को लेकर चेताया है. यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि विमानों से टीकों का परिवहन आसान नहीं है. कोविड के टीके को सुरक्षित और तेजी से एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाना इस सदी के रिकॉर्ड में एक अभूतपूर्व उपलब्धि रहेगी.

कोविड संकट के कारण अभी पूरी दुनिया में हवाई यात्रा को या तो रद कर दिया गया है या बहुत कम कर दिया गया है. जिसके परिणामस्वरूप जितने विमानों की जरूरत है उतनी संख्या में उपलब्ध नहीं हैं. कई विमानों को हैंगर में स्थानांतरित कर दिया गया है. यूनिसेफ, विश्व स्वास्थ्य संगठन और जीएवीआई इस बात से चिंतित हैं कि भविष्य में जल्दी से गंतव्य तक कोविड वैक्सीन पहुंचाने में समस्या आ सकती है. सात अरब 80 करोड़ विश्व जनसंख्या पर प्रति व्यक्ति एक वैक्सीन पहुंचाने के लिए 880 बोइंग 747 विमानों की आवश्यकता होगी. उस स्थिति की कल्पना की जा सकती है जब दो खुराक की आवश्यकता हो. स्थानीय वैक्सीन उत्पादन केंद्रों वाले समृद्ध देशों में तो एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में रेफ्रीजरेटर वाले वाहनों में टीके पहुंचाए जा सकते हैं लेकिन अंतरराष्ट्रीय परिवहन के लिए विमानों की आवश्यकता होगी.

गरीब देशों में विमानों को उतारने के बाद उन देशों में असुरक्षित सड़क, बुनियादी ढांचे के अभाव और पर्याप्त संख्या में रेफ्रिजरेटरयुक्त वाहन नहीं होने के कारण देश के कोने-कोने में लोगों तक सड़क मार्ग से वैक्सीन वितरित करना एक बड़ी चुनौती है. यूनिसेफ इन बाधाओं को दूर करने के लिए और कोविड टीकाकरण कार्यक्रम को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए उत्पादन, खरीद, परिवहन और सरकारों व वितरण एजेंसियों के साथ काम कर रहा है.

परिवहन के लिए भारी सुरक्षा

टीके का उत्पादन होते ही सभी परमिट हर हाल में प्राप्त हो जाने चाहिए और टीके की खुराक को निर्दिष्ट तापमान पर संग्रहित करना चाहिए और दुनिया भर में जहां-जहां भेजा जाना है वहां तेजी से पहुंचाया जाना चाहिए. रेफ्रिजरेशन सुविधा सर्वोच्च प्राथमिकता होगी क्योंकि जहां कोई भी गलती हुई वहां वैक्सीन की क्षमता कम हो जाएगी. इसके लिए जरूरी नए कोल्ड स्टोरेज के निर्माण कार्य और पुराने रेफ्रिजरेटर युक्त गोदामों में दुरुस्त करने का काम अभी से शुरू होना चाहिए. वैक्सीन को रखने के लिए आदर्श तापमान के ज्ञान के साथ बड़ी संख्या में प्रशिक्षित कर्मचारियों की आवश्यकता होगी. परिवहन के लिए बहुत अधिक सुरक्षा इसकी लगातार निगरानी करनी होगी कि रखने और परिवहन की प्रक्रिया में वैक्सीन बर्बाद नहीं हो जाए.

यदि जरूरत हो तो इसके लिए संवेदनशील उपकरण भी लगाए जाने चाहिए. इसकी सुरक्षा का इंतजाम भी करना होगा कि जब विमान से वैक्सीन जाए तो उसकी चोरी नहीं हो. जब एक देश से दूसरे देश की सीमा में जाए तो सीमा शुल्क आधिकारी बगैर विलंब किए उसे ले जाने की स्वीकृति दे दें. विमान जो वैक्सीन लेकर जा रहे हैं उन्हें हवाई अड्डों पर उतरने दिया जाए या वे बगैर उतरे अपनी यात्रा जारी रख सकें. उतरने वाले विमान कर्मियों को क्वारंटीन और कर्फ्यू से छूट रहे, किसी देश में जैसे ही विमान उतरे तो प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीन को जल्द से जल्द सुरक्षित स्थिति में ले जाने और रखने की हर हाल में इजाजत मिल जाए. तापमान में अंतर आने की वजह से वैक्सीन को बर्बाद होने से बचाने के लिए ये बहुत जरूरी है.

Last Updated : Sep 20, 2020, 10:21 PM IST
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