ETV Bharat / bharat

चीन ने हॉटन हवाई पट्टी पर तैनात किए जे-20 लड़ाकू विमान

चीन सेना की इच्छा को बल देने के लिए अपने एकतरफा रुख पर कायम है. इसके लिए उसने अपने अग्रिम एयरबेस पर चुपके से युद्धक विमान तैनात कर दिए हैं, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव और अधिक बढ़ गया है. पढ़िए वरिष्ठ पत्रकार संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट.

कॉन्सेप्ट इमेज
कॉन्सेप्ट इमेज
author img

By

Published : Aug 18, 2020, 4:53 PM IST

Updated : Aug 18, 2020, 5:22 PM IST

नई दिल्ली : चीन ने सेना की इच्छा को बल देने के लिए अपने एकतरफा रुख पर कायम रहने का संकेत देते हुए दोनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ा दिया है. चीन ने भारत को ध्यान में रख कर बनाए अपने अग्रिम एयरबेस पर चुपके से युद्धक विमान तैनात कर दिए हैं. पहले से ही टकराव की स्थिति का सामना कर रहे दोनों देशों के बीच चीन ने इसके जरिए तनाव को बढ़ाने वाला एक और परत जोड़ दिया है.

ओवरहेड सैटेलाइट टोही मंचों से ली गई ताजा तस्वीरों में हॉटन एयर बेस पर पीएलएएएफ (पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयर फोर्स) के दो लड़ाकू विमान जे-20 दिखाई दे रहे हैं. ये इस बात का संकेत हैं कि भारत के साथ जो तनाव है उसमें यह एक और परत है.

हॉटन एयर बेस वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से उत्तर में 130 किलोमीटर की दूरी पर है और पीएलएएएफ का भारत से सबसे नजदीकी एयरबेस है. यह पीएलए के पश्चिमी थिएटर कमान (डब्ल्यूटीसी) से संचालित होता है. हॉटन एयर बेस पर जे-10 और जे-11 युद्धक विमान पहले से ही तैनात हैं. नई तैनाती में जे-8 और जे-16 विमानों को शामिल किया गया है. यह तैनाती महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें बहुत कम संदेह है कि पीएलए की भारत के साथ शत्रुता यदि खुले तौर पर सामने आ जाती है तो चीन थल सेना की जगह वायु सेना, मिसाइल और ड्रोन पर ही ध्यान केंद्रित करेगा.

भारत ने भी अपनी तरफ से दुश्मन को दहला देने वाले हवाई बेड़े को तैनात किया है, जिनमें एलएसी से लगे लेह एयरपोर्ट पर किसी भी अभियान के लिए सुखोई-30, मिग-29 युद्धक विमान, सी-17 एयर लिफ्टर, पी-8 टोही विमान और यूएवी शामिल हैं.

सैटेलाइट इमेज
सैटेलाइट इमेज

लगभग चार महीने से जारी दोनों देशों की सेनाओं के टकराव की स्थिति के बीच दोनों तरफ से एक लाख से अधिक सैनिक और तोपों समेत बड़ी मात्रा में हथियार एलएसी से लगे मोर्चो पर और अंदरूनी हिस्सों में तैनात किए गए हैं. जिससे संघर्ष के चरम तक पहुंचने की पूरी आशंका है.

चेंगदू एयरक्राफ्ट डिजाइन इंस्टीट्यूट की ओर से बनाए गए इस लड़ाकू विमान का संचालन पीएलएएएफ 2017 सितंबर से कर रहा है. माना जा रहा है कि चीन ने हाल ही में पांचवीं पीढ़ी के जे -20 युद्धक विमानों का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू किया है. उम्मीद है कि ये विमान अगले 20 वर्षों तक के लिए पीएलएएएफ की रीढ़ की तरह रहेंगे. पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों में रडार से बच निकलने की खूबी है. इसके अलावा ये ज्यादा तेज हैं और पुरानी पीढ़ी के विमानों की तुलना में उड़ान के लिए अधिक व्यावहारिक हैं.

पढ़ें - कोरोना के बीच होगा भारतीय नौसेना के कमांडरों का द्विवार्षिक सम्मेलन

नए जे-20 लड़ाकू विमान (जिन्हें जे-20 बी कहा जाता है) में रूस का सैटर्न एएल-31 इंजन लगा है. उम्मीद है कि अगले दो वर्षों में यह चीन के अपने बनाए गए विमान इंजन डब्ल्यूएस-10 तैहांग की जगह लेंगे. फिलहाल नए जे-20 लड़ाकू विमान रूस के इंजन से ही उड़ान भरेंगे. माना जाता है कि पीएलएएएफ के बेड़े में 30 चेंगदू जे-20 लड़ाकू विमान हैं. जे -20 लड़ाकू विमान किसी भी वायुसेना में शामिल होने वाला केवल तीसरा विमान है, जिसमें रडार से बचे रहने की क्षमता है. एफ-22 ए और एफ -35 संयुक्त रूप से हमला करने वाले दो ऐसे लड़ाकू विमान हैं जो अमेरिकी सेना के पास हैं.

जाहिर तौर पर चीन को चेतावनी देने के लिए हिंद महासागर के सैन डियागो एयरबेस पर तीन बी-2 लड़ाकू विमानों की तैनाती के बाद चीन ने यह कदम उठाया है. अमेरिका और चीन के बीच बनी युद्ध की स्थिति आक्रामक रुख अख्तियार करती जा रही है. एशिया- प्रशांत क्षेत्र के जापान में अमेरिका के एफ-35 और दक्षिण कोरिया में एफ 22 विमानों की तैनाती के साथ अन्य विमानों का जमावड़ा देखा जा रहा है.

अपुष्ट खबरों में कहा गया है कि इसकी संभावना है कि बी-22 लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल अमेरिका भारत और अपने अन्य सहयोगी देशों की सहायता के लिए एलएसी के पास हवाई अभियानों और पारस्परिक अभ्यास के लिए कर सकता है. चीन के खिलाफ एक चष्तुकोण बनाने की भी बात चल रही है, जिसमें भारत के साथ अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया शामिल हों.

नई दिल्ली : चीन ने सेना की इच्छा को बल देने के लिए अपने एकतरफा रुख पर कायम रहने का संकेत देते हुए दोनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ा दिया है. चीन ने भारत को ध्यान में रख कर बनाए अपने अग्रिम एयरबेस पर चुपके से युद्धक विमान तैनात कर दिए हैं. पहले से ही टकराव की स्थिति का सामना कर रहे दोनों देशों के बीच चीन ने इसके जरिए तनाव को बढ़ाने वाला एक और परत जोड़ दिया है.

ओवरहेड सैटेलाइट टोही मंचों से ली गई ताजा तस्वीरों में हॉटन एयर बेस पर पीएलएएएफ (पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयर फोर्स) के दो लड़ाकू विमान जे-20 दिखाई दे रहे हैं. ये इस बात का संकेत हैं कि भारत के साथ जो तनाव है उसमें यह एक और परत है.

हॉटन एयर बेस वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से उत्तर में 130 किलोमीटर की दूरी पर है और पीएलएएएफ का भारत से सबसे नजदीकी एयरबेस है. यह पीएलए के पश्चिमी थिएटर कमान (डब्ल्यूटीसी) से संचालित होता है. हॉटन एयर बेस पर जे-10 और जे-11 युद्धक विमान पहले से ही तैनात हैं. नई तैनाती में जे-8 और जे-16 विमानों को शामिल किया गया है. यह तैनाती महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें बहुत कम संदेह है कि पीएलए की भारत के साथ शत्रुता यदि खुले तौर पर सामने आ जाती है तो चीन थल सेना की जगह वायु सेना, मिसाइल और ड्रोन पर ही ध्यान केंद्रित करेगा.

भारत ने भी अपनी तरफ से दुश्मन को दहला देने वाले हवाई बेड़े को तैनात किया है, जिनमें एलएसी से लगे लेह एयरपोर्ट पर किसी भी अभियान के लिए सुखोई-30, मिग-29 युद्धक विमान, सी-17 एयर लिफ्टर, पी-8 टोही विमान और यूएवी शामिल हैं.

सैटेलाइट इमेज
सैटेलाइट इमेज

लगभग चार महीने से जारी दोनों देशों की सेनाओं के टकराव की स्थिति के बीच दोनों तरफ से एक लाख से अधिक सैनिक और तोपों समेत बड़ी मात्रा में हथियार एलएसी से लगे मोर्चो पर और अंदरूनी हिस्सों में तैनात किए गए हैं. जिससे संघर्ष के चरम तक पहुंचने की पूरी आशंका है.

चेंगदू एयरक्राफ्ट डिजाइन इंस्टीट्यूट की ओर से बनाए गए इस लड़ाकू विमान का संचालन पीएलएएएफ 2017 सितंबर से कर रहा है. माना जा रहा है कि चीन ने हाल ही में पांचवीं पीढ़ी के जे -20 युद्धक विमानों का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू किया है. उम्मीद है कि ये विमान अगले 20 वर्षों तक के लिए पीएलएएएफ की रीढ़ की तरह रहेंगे. पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों में रडार से बच निकलने की खूबी है. इसके अलावा ये ज्यादा तेज हैं और पुरानी पीढ़ी के विमानों की तुलना में उड़ान के लिए अधिक व्यावहारिक हैं.

पढ़ें - कोरोना के बीच होगा भारतीय नौसेना के कमांडरों का द्विवार्षिक सम्मेलन

नए जे-20 लड़ाकू विमान (जिन्हें जे-20 बी कहा जाता है) में रूस का सैटर्न एएल-31 इंजन लगा है. उम्मीद है कि अगले दो वर्षों में यह चीन के अपने बनाए गए विमान इंजन डब्ल्यूएस-10 तैहांग की जगह लेंगे. फिलहाल नए जे-20 लड़ाकू विमान रूस के इंजन से ही उड़ान भरेंगे. माना जाता है कि पीएलएएएफ के बेड़े में 30 चेंगदू जे-20 लड़ाकू विमान हैं. जे -20 लड़ाकू विमान किसी भी वायुसेना में शामिल होने वाला केवल तीसरा विमान है, जिसमें रडार से बचे रहने की क्षमता है. एफ-22 ए और एफ -35 संयुक्त रूप से हमला करने वाले दो ऐसे लड़ाकू विमान हैं जो अमेरिकी सेना के पास हैं.

जाहिर तौर पर चीन को चेतावनी देने के लिए हिंद महासागर के सैन डियागो एयरबेस पर तीन बी-2 लड़ाकू विमानों की तैनाती के बाद चीन ने यह कदम उठाया है. अमेरिका और चीन के बीच बनी युद्ध की स्थिति आक्रामक रुख अख्तियार करती जा रही है. एशिया- प्रशांत क्षेत्र के जापान में अमेरिका के एफ-35 और दक्षिण कोरिया में एफ 22 विमानों की तैनाती के साथ अन्य विमानों का जमावड़ा देखा जा रहा है.

अपुष्ट खबरों में कहा गया है कि इसकी संभावना है कि बी-22 लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल अमेरिका भारत और अपने अन्य सहयोगी देशों की सहायता के लिए एलएसी के पास हवाई अभियानों और पारस्परिक अभ्यास के लिए कर सकता है. चीन के खिलाफ एक चष्तुकोण बनाने की भी बात चल रही है, जिसमें भारत के साथ अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया शामिल हों.

Last Updated : Aug 18, 2020, 5:22 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.