नई दिल्ली: केंद्र सरकार की एक बड़ी जीत के रूप में सोमवार को जम्मू-कश्मीर पुर्नगठन विधेयक 2019 राज्यसभा में पारित हो गया. जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लिए जाने और अनुच्छेद 370 को खत्म किए जाने को लेकर सरकार ने राज्यसभा में प्रस्ताव पेश किया, जिसे वह पास कराने में कामयाब रही.
इस विधेयक में प्रदेश को दो केंद्र शासित राज्यों में बांटा गया है. जम्मू-कश्मीर विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश होगा, जबकि लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी. राज्यसभा में 61 मत इसके विपक्ष में पड़े वहीं 125 मत इसके पक्ष में पड़े हैं. वहीं लोकसभा ने सोमवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2019 पेश किए जाने के लिए लाए गए प्रस्ताव को पारित कर दिया. लोकसभा में ध्वनिमत से प्रस्ताव को स्वीकार किया गया.
राज्यसभा में ही जम्मू एवं कश्मीर आरक्षण (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2019 को पास कराया गया. राज्य में उच्च जाति के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गो को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रस्ताव इसमें शामिल है.
इस पहले सदन की कार्यवाही के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि वक्त आ गया है कि अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया जाए, क्योंकि यही सभी परेशानियों की जड़ है.
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इससे पहले गृहमंत्री ने राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक पेश किया जिस पर चर्चा होने के बाद विधेयक को मंजूरी दे दी गई थी.
शाह द्वारा पेश प्रस्ताव के अनुसार, 'भारत के राष्ट्रपति ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 3 के प्रावधानों के तहत जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2019 इस सदन का विचार जानने को भेजा है, क्योंकि भारत के राष्ट्रपति की 19 दिसंबर 2018 की अधिघोषणा के अनुसार, इस सदन के पास जम्मू-कश्मीर राज्य की विधायी शक्ति प्राप्त है.'
गृहमंत्री ने विपक्ष को भरोसा दिलाया कि वह विधेयक पर उनके सवालों का जवाब देंगे और मंगलवार को सदन में विधेयक पेश होने पर बहस में हिस्सा लेंगे.
विपक्ष ने प्रस्ताव पर आपत्ति जताई और शाह से जवाब मांगा. लोकसभा में शोर-शराबे के बीच विधेयक पर प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया.
उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 के रहते लोकतंत्र कभी फल-फूल नहीं सकता. उन्होंने कहा कि पिछले दो दशकों में राज्य में लगभग 41 हजार लोग मारे गए हैं. गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि वक्त आ गया है कि अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया जाए, क्योंकि यही सभी परेशानियों की जड़ है.
बता दें, कश्मीर में कर्फ्यू लगा हुआ है और संचार सेवाएं पूरी तरह बंद हैं. संचार सेवाएं बंद होने से कश्मीर के अधिकांश लोग अपने भविष्य के फैसले से अवगत नहीं हो पाए हैं.
कश्मीर में पिछले 10 दिनों से तनावपूर्ण स्थिति है, क्योंकि केंद्र सरकार ने अर्धसैनिक बलों के हजारों जवानों को तैनात कर दिया है, जबकि इनकी तैनाती के संबंध में कुछ भी स्पष्ट तौर पर नहीं बताया गया था.