चेन्नई : दो दिवसीय चेन्नई यात्रा पर पहुंचे अमित शाह रविवार को दिल्ली के लिए रवाना हो गए. उन्होंने एआईएडीएमके के साथ गठबंधन को पुख्ता कर दिया. हालांकि, इस दौरान जिसकी सबसे अधिक चर्चा थी, वह संभव नहीं हो सका. शाह और रजनीकांत की मुलाकात नहीं हो सकी. शाह डीएमके के बागी नेता एमके अलागिरी से भी मिलना चाहते थे, लेकिन दोनों की मुलाकात नहीं हो सकी.
अमित शाह ने आरएसएस के प्रमुख चिंतक और रजनीकांत के शुभेच्छुओं में से एक ए. गुरुमूर्ति से चार घंटे तक लंबी बातचीत की. दरअसल, कुछ दिनों पहले गुरुमूर्ति ने रजनीकांत से मुलाकात की थी. लिहाजा, इस चर्चा को बल मिला कि शाह रजनीकांत से भी मिल सकते हैं.
एक दिन पहले ही डीएमके के बागी नेता एमके अलागिरी के करीबियों में से एक केपी रामालिंगम ने भाजपा का दामन थाम लिया. पार्टी की सदस्यता ग्रहण करने के बाद उन्होंने कहा कि वे अलागिरी को भी भाजपा ज्वाइन करवाने का प्रयास करेंगे. रामालिंगम ने शाह से अलग से मुलाकात भी की.
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चेन्नई विश्वविद्यालय के प्रोफेसर थिरुनावुकारासु ने कहा कि शाह का चेन्नई विजिट पूरी तरह से सफल नहीं रहा. भाजपा जानती है कि वह तमिलनाडु में एक भी सीट नहीं जीत सकती है. इसलिए उसने एआईएडीएमके से गठबंधन किया है, ताकि वह इसके जरिए अपनी उपस्थिति दर्ज करा सके. इस अर्थ में देखें तो शाह सफल रहे हैं, लेकिन पार्टी एआईएडीएमके को छोड़ अन्य दलों को साधने में नाकाम रही. जैसे पीएमके, डीएमडीके और टीएमएनसी. भाजपा का एकमात्र प्रयास एआईएडीएमके के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी फैक्टर को कम करना है. इसी उद्देश्य से भाजपा रजनीकांत, एमएनएम और अन्य पार्टियों को साधने में लगी है. कम से कम इस यात्रा में तो शाह को बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल नहीं हुई.