श्रीनगर : जम्मू कश्मीर के पुलिस महानिरीक्षक विजय कुमार ने गुरुवार को कहा कि वह दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले में सेना द्वारा तीन व्यक्तियों की हत्या से संबंधित सभी विवरणों की जांच कर रहे हैं.
कुमार ने कथित शोपियां फर्जी मुठभेड़ के संबंध में एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, 'कुछ दिनों पहले राजौरी परिवारों द्वारा एक गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी और तब से हम तकनीकी मोड के माध्यम से मामले के सभी विवरणों की जांच करने की कोशिश कर रहे हैं.'
उन्होंने आगे कहा कि शोपियां गोलीकांड के दौरान मारे गए तीनों व्यक्तियों के डीएनए नमूनों को तथ्यों का पता लगाने के लिए केंद्रीय प्रयोगशाला भेजा जाएगा. इस बीच, शोपियां के एक डीएसपी रैंक के अधिकारी के नेतृत्व में एक टीम को कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के लिए राजौरी भेजा गया है.
श्रीनगर के एसके स्टेडियम में 15 अगस्त से पहले होने वाली फुल ड्रेस रिहर्सल के मौके पर पत्रकारों से बात करते हुए कुमार ने कहा कि असल में हम दो महत्वपूर्ण दृषिटिकोणों की जांच कर रहे हैं.
पहला यह कि मारे गए तीनों लोगों का डीएनए सैंपल का मिलान किया जा रहा है और दूसरा यह कि क्या यह तीनों (राजौरी से) उग्रवादियों के संपर्क में थे.
गौरतलब है कि रविवार को लापता मजदूरों के परिजनों ने राजौरी जिले के पीरी पुलिस पोस्ट में एफआईआर दर्ज कराई थी.
यह बात तीनों लोगों के लापता होने के 21 दिन बाद सामने आई है.
पढ़ें - 'शोपियां हत्याकांड की जांच स्वतंत्र अदालतों में हो'
परिजनों ने पुलिस को लिखी अपनी शिकायत में उल्लेख किया है कि उन्होंने पिछली बार 17 जुलाई को उनसे बात की थी. उसके बाद उनसे किसी की कोई संपर्क नहीं हो सका.
एफआईआर के मुताबिक, साबिर हुसैन के बेटे इम्तियाज अहमद, बागा खान के बेटे और मोहम्मद यूसुफ के बेटे अबरार अहमद 15 जुलाई को कश्मीर में काम खोजने के लिए अपने घर से चले गए थे, लेकिन 17 जुलाई से परिवारों का इनसे कोई संपर्क नहीं हुआ. यह सभी राजौरी की पीरी तहसील के निवासी हैं.
बता दें कि 18 जुलाई 2020 को भारतीय सेना ने कहा कि दक्षिण कश्मीर में शोपियां की ऊंचाई वाले इलाकों में तीन आतंकवादी मार गिराए गए, लेकिन इसके बारे में कोई और जानकारी नहीं दी गई थी. बताया जा रहा है कि मुठभेड़ में मारे गए युवक मजदूर थे.
इससे पहले मामले में एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने इस मामले में स्वतंत्र अदालत की मांग की थी.