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कारगिल विजय दिवस: ऑपरेशन विजय को 20 साल पूरे

देश विजय दिवस पर अपने वीर जवानों की शहादत और उनके अदम्य साहस को याद कर रहा है. कारगिल युद्ध में भारत की सेना पाकिस्तान के दांत खट्टे करते हुए उसे वापस खदेड़ दिया था. इस युद्ध जो कारगिल संघर्ष के नाम से भी जाना जाता है, भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में मई के महीने में कश्मीर के कारगिल से प्रारंभ हुआ था. यह युद्ध पूरे दो महीने तक चली थी और अंत में जीत भारतीय सेना की हुई थी.

कारगिल दिवस के 20 साल
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Published : Jul 25, 2019, 10:30 PM IST

नई दिल्ली: 26 जुलाई भारत के वीर योद्धाओं की वीरता की गाथा का ऐसा उदाहरण है जिसे विश्व हमेशा याद रखेगा. भारत के वीर जवानों ने अपनी अदम्य साहस का परिचय देते हुए दुश्मन को देश के बाहर खदेड़कर भारत की सीमाओं को सुरक्षित किया था.

कारगिल की विजय गाथा.

तारीख 03 मई 1999, जगह जुब्बार हाइट......कुछ चरवाहों की नजर पाकिस्तानी सैनिकों पर पड़ी. ये घुसपैठिए थे, जो रहने की जगह बना रहे थे......चरवाहों ने ये खबर भारतीय सेना तक पहुंचाई.....फौरन कार्रवाई का फैसला लिया गया. तीन पंजाब रेजीमेंट से 2 पैट्रोलिंग की टीमें भेजी गईं. यहां से शुरू होती है कहानी करगिल महा युद्ध की.........

जब भी हम कारगिल की बात करते हैं तब हम पाकिस्तान की करारी हार का जिक्र करते हैं. भारत प्रत्येक वर्ष 26 जुलाई को विजय दिवस मनाता है. हम इस दिन उन वीर योद्धाओं को याद करते हैं जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा के लिए शहीद हो गए. हम उन योद्धाओं को याद करते हैं जिन्होंने पाकिस्तान के छक्के छुड़ा दिए.

भारत ने अपनी सीमा की रक्षा करने के लिए दुश्मन के हजारों सैनिकों को मौत की नींद सुला दिया. हमने भी अपने कई वीर जांबाजों को खोया.

हिमालय के ऊंची चोटियों पर दुश्मनों ने घुसपैठ की थी. हमारी सेना उससे लोहा ले रही थी. दुश्मनों ऊंचाई से हमारी सेना पर निशाना साध रहे थे, लेकिन मजाल की हमारी सेना पीछे हट जाए. भारतीय सेना ने दुश्मनों के दांत को खट्टे करते हुए पाकिस्तानी सैनिकों को पीछे धकेलने पर मजबूर कर दिया.

आपको यह बताते हुए चले कि पाकिस्तान ने साल 1999 में धोखे से कारगिल की चोटियों पर कब्जा कर लिया था.

लेकिन हमारे देश के वीर जांबाजों ने धोखेबाज घुसपैठियों को न सिर्फ खदेड़ा बल्कि पूरी दुनिया के सामने उसे बेनकाब भी कर दिया.

कारगिल युद्ध के सुत्रधार

कारगिल युद्ध के मुख्य सुत्रधारों में से जनरल परवेज मुशर्रफ, जनरल अजीत, जनरल महमूद और ब्रिगेडियर जावेद हसन शामिल थे. ये ही चारों थे जिन्होंने कारगिल का पूरा प्लान बनाया था.
मुशर्रफ उस वक्त पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष थे. यहां जेहाद के नांम पर आतंकियों के भारतीय सीमा पर भेजकर आतंक फैलाने का काम दिया जाता था.

यह प्लानिंग काफी समय से चल रहा था. जनवरी 1999 तक प्लान आगे बढ़ने लगा और यहीं से शुरू हुआ पाकिस्तान का ऑपरेशन कारगिल.

पाकिस्तान ने शुरूआत में करीब 200 लोगों को कारगिल भेजा था. इनका मकसद था भारत के 12-13 पोस्ट पर कब्जा करना. कारगिल पहुंचकर घुसपैठियों ने कारगिल और द्रास सेक्टर में भारत की 140 से ज्यादा पोस्ट पर कब्जा कर लिया.

भारत को कुछ चरवाहों की बदौलत पाकिस्तान की साजिशों की जानकारी मिली. भारत को मालूम नहीं था कि ये आतंकी हैं या पाकिस्तानी सैनिक. वे लोग चोटियों पर बने पोस्ट से गोलियां चलानी शुरू कर दी थी.
भारतीय सैनिकों को खुफिया जानकारी से यह बात मालूम हो चुका था कि ये आतंकी नहीं पाकिस्तानी सैनिक हैं.

भारतीय सैनिकों का खून खौल रहा था. यहां पाकिस्तान ने भारत की पीठ पर छूरा घोंपने की कोशिश की थी. इसके बाद भारत ने ऑपरेशन विजय चलाकर पाकिस्तानी सैनिकों को धूल चटा दी और उनके सारे मंसूबों पर पानी फेर दिया.

पढ़ें: लोकसभा में पास हुआ ट्रिपल तलाक बिल, 303 सांसदों का समर्थन

20 साल पहले दो महीनों तक लंबे चले युद्ध में भारत के वीर सैनिकों ने 16,500 फीट ऊंची बेहद दुर्गम बर्फीली पहाड़ियों में विपरीत परिस्थितियों और जबरदस्त गोली बारी में अपने अदम्य साहस और पराक्रम से दुश्मनों को मौत के घाट उतारा और कारगिल को आजाद करा भारत का तिरंगा फहराया.

नई दिल्ली: 26 जुलाई भारत के वीर योद्धाओं की वीरता की गाथा का ऐसा उदाहरण है जिसे विश्व हमेशा याद रखेगा. भारत के वीर जवानों ने अपनी अदम्य साहस का परिचय देते हुए दुश्मन को देश के बाहर खदेड़कर भारत की सीमाओं को सुरक्षित किया था.

कारगिल की विजय गाथा.

तारीख 03 मई 1999, जगह जुब्बार हाइट......कुछ चरवाहों की नजर पाकिस्तानी सैनिकों पर पड़ी. ये घुसपैठिए थे, जो रहने की जगह बना रहे थे......चरवाहों ने ये खबर भारतीय सेना तक पहुंचाई.....फौरन कार्रवाई का फैसला लिया गया. तीन पंजाब रेजीमेंट से 2 पैट्रोलिंग की टीमें भेजी गईं. यहां से शुरू होती है कहानी करगिल महा युद्ध की.........

जब भी हम कारगिल की बात करते हैं तब हम पाकिस्तान की करारी हार का जिक्र करते हैं. भारत प्रत्येक वर्ष 26 जुलाई को विजय दिवस मनाता है. हम इस दिन उन वीर योद्धाओं को याद करते हैं जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा के लिए शहीद हो गए. हम उन योद्धाओं को याद करते हैं जिन्होंने पाकिस्तान के छक्के छुड़ा दिए.

भारत ने अपनी सीमा की रक्षा करने के लिए दुश्मन के हजारों सैनिकों को मौत की नींद सुला दिया. हमने भी अपने कई वीर जांबाजों को खोया.

हिमालय के ऊंची चोटियों पर दुश्मनों ने घुसपैठ की थी. हमारी सेना उससे लोहा ले रही थी. दुश्मनों ऊंचाई से हमारी सेना पर निशाना साध रहे थे, लेकिन मजाल की हमारी सेना पीछे हट जाए. भारतीय सेना ने दुश्मनों के दांत को खट्टे करते हुए पाकिस्तानी सैनिकों को पीछे धकेलने पर मजबूर कर दिया.

आपको यह बताते हुए चले कि पाकिस्तान ने साल 1999 में धोखे से कारगिल की चोटियों पर कब्जा कर लिया था.

लेकिन हमारे देश के वीर जांबाजों ने धोखेबाज घुसपैठियों को न सिर्फ खदेड़ा बल्कि पूरी दुनिया के सामने उसे बेनकाब भी कर दिया.

कारगिल युद्ध के सुत्रधार

कारगिल युद्ध के मुख्य सुत्रधारों में से जनरल परवेज मुशर्रफ, जनरल अजीत, जनरल महमूद और ब्रिगेडियर जावेद हसन शामिल थे. ये ही चारों थे जिन्होंने कारगिल का पूरा प्लान बनाया था.
मुशर्रफ उस वक्त पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष थे. यहां जेहाद के नांम पर आतंकियों के भारतीय सीमा पर भेजकर आतंक फैलाने का काम दिया जाता था.

यह प्लानिंग काफी समय से चल रहा था. जनवरी 1999 तक प्लान आगे बढ़ने लगा और यहीं से शुरू हुआ पाकिस्तान का ऑपरेशन कारगिल.

पाकिस्तान ने शुरूआत में करीब 200 लोगों को कारगिल भेजा था. इनका मकसद था भारत के 12-13 पोस्ट पर कब्जा करना. कारगिल पहुंचकर घुसपैठियों ने कारगिल और द्रास सेक्टर में भारत की 140 से ज्यादा पोस्ट पर कब्जा कर लिया.

भारत को कुछ चरवाहों की बदौलत पाकिस्तान की साजिशों की जानकारी मिली. भारत को मालूम नहीं था कि ये आतंकी हैं या पाकिस्तानी सैनिक. वे लोग चोटियों पर बने पोस्ट से गोलियां चलानी शुरू कर दी थी.
भारतीय सैनिकों को खुफिया जानकारी से यह बात मालूम हो चुका था कि ये आतंकी नहीं पाकिस्तानी सैनिक हैं.

भारतीय सैनिकों का खून खौल रहा था. यहां पाकिस्तान ने भारत की पीठ पर छूरा घोंपने की कोशिश की थी. इसके बाद भारत ने ऑपरेशन विजय चलाकर पाकिस्तानी सैनिकों को धूल चटा दी और उनके सारे मंसूबों पर पानी फेर दिया.

पढ़ें: लोकसभा में पास हुआ ट्रिपल तलाक बिल, 303 सांसदों का समर्थन

20 साल पहले दो महीनों तक लंबे चले युद्ध में भारत के वीर सैनिकों ने 16,500 फीट ऊंची बेहद दुर्गम बर्फीली पहाड़ियों में विपरीत परिस्थितियों और जबरदस्त गोली बारी में अपने अदम्य साहस और पराक्रम से दुश्मनों को मौत के घाट उतारा और कारगिल को आजाद करा भारत का तिरंगा फहराया.

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