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चोरों ने स्कूटर, बाइक से चुराया 2.60 लाख किग्रा चावल, CBI ने दर्ज की एफआईआर

FCI के कुछ अधिकारियों और एक निजी कंपनी पर चोरी करने का आरोप है. आरोप है कि इन्होंने स्कूटर, बाइक का इस्तेमाल कर 2.60 लाख किलोग्राम चावल चुराए हैं. जानें कैसे दिया चोरी को अंजाम...

सीबीआई ने प्राथमिकी दर्ज की
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Published : Aug 12, 2019, 8:59 PM IST

Updated : Sep 26, 2019, 7:23 PM IST

नई दिल्ली: चोरी की आश्चर्यजनक घटना में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के कुछ अधिकारियों और एक निजी कंपनी ने स्कूटरों और मोटरसाइकिलों का इस्तेमाल कर लगभग 85 लाख रुपये मूल्य के 2.60 लाख किलोग्राम से ज्यादा चावल की कथित तौर पर चोरी कर ली है.

इतना ही नहीं इन लोगों ने आंखों में धूल झोंकने के लिए कहा कि चावल की खेप ट्रकों में भेजी गई, लेकिन इन्होंने जो पंजीकरण नंबर दिए थे, वे स्कूटर और मोटरसाइकिल के निकले.

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने जांच अपने हाथों में ले ली है और एफसीआई से मिली शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज कर ली है.

यह आरोप लगाया गया है कि सात मार्च 2016 से 22 मार्च 2016 के बीच असम के सल्चप्रा रेल टर्मिनल से 9,191 क्विंटल (9,19,100 किलोग्राम) चावल निजी ट्रांसपोर्टर जेनिथ एंटरप्राइजेज के 57 ट्रकों के जरिए मणिपुर के कोइरेंगेई भेजा गया.

दो महीने बाद खेप 275.5 किलोमीटर की दूरी तय कर अपने स्थान पर पहुंची, जबकि इतनी दूरी तय करने में लगभग नौ घंटे ही लगते हैं. जांच-पड़ताल में पता चला कि 16 वाहनों के जरिए भेजे गए 2601.63 क्विंटल (2,60,163 किलोग्राम) चावल की खेप के मामले में गबन किया गया जिसकी कीमत 84.98 लाख रुपये थी.

चावलों की यह खेप कोइरेंगेई डिपो नहीं पहुंची, लेकिन कागजों में यह पहुंची हुई दिखा दी गई. ट्रांसपोर्टर ने शपथपत्र में कहा कि विलंब ट्रकों में खराबी की वजह से हुआ जिसकी वजह से खेप दूसरे ट्रकों में चढ़ानी पड़ी.

पढ़ें: असम सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन कर रही है : APCC

आगे की जांच में पता चला कि खराब ट्रकों के जो पंजीकरण नंबर दिए गए थे, वे ट्रकों के नहीं, बल्कि एलएमएल और होंडा एक्टिवा स्कूटरों, मोटरसाइकिलों, पानी के टैंकरों, बस, मारुति वैन, कारों और काल्पनिक वाहनों (जिनका कोई पंजीकरण था ही नहीं) के थे.

पंजीकरण नंबरों के रिकॉर्ड से पता चला कि लापता चावलों की 16,300 किलोग्राम और 10,000 किलोग्राम की खेप स्कूटरों के जरिए भेजी गईं और चुराए गए 16,300 किलोग्राम चावल की एक अन्य खेप एक मोटरसाइकिल के जरिए भेजी गई.

प्राथमिकी का ब्योरा देते हुए एक अधिकारी ने कहा, 'उक्त 2601.63 क्विंटल चावल कोइरेंगेई नहीं भेजा गया और इसका गबन किया गया, यह बात इस तथ्य से भी साबित होती है कि रिकॉर्ड में दर्ज वाहन नंबर, और खेप भेजने में शामिल उक्त 16 सड़क परिवहन परमिटों वाले वाहनों ने लींगांगपोक्पी पुलिस नाके और कीथेलमान्बी पुलिस नाका क्षेत्र में प्रवेश किया ही नहीं.

प्राथमिकी में कहा गया है कि सल्चप्रा स्थित एफसीआई शाखा के अधिकारियों आशीष कुमार पॉल और रजनीश कुमार ने चावल लोड किए बिना ही फर्जीवाड़ा कर ये 16 परमिट जारी कर दिए तथा ट्रांसपोर्टर जेनिथ एंटरप्राइजेज के प्रतिनिधि एल जॉनसन ने इन परमिटों पर फर्जी हस्ताक्षर किए.

पढ़ें-अयोध्या विवाद: SC में मंगलवार को होगी पांचवें दिन सुनवाई

इसमें कहा गया है कि ट्रांसपोर्टर कंपनी के सोइबम सुरजीत ने ट्रकों के खराब होने और चावल दूसरे वाहनों में चढ़ाने के बारे में फर्जी हलफनामे पेश किए. अधिकारियों ने कहा कि कोइरेंगेई में पदस्थ अधिकारियों ने कथित तौर पर रसीद संबंधी फर्जी प्रविष्टियां कीं. ट्रांसपोर्ट कंपनी ने भी 16 ट्रकों के फर्जी बिल तैयार किए.

नई दिल्ली: चोरी की आश्चर्यजनक घटना में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के कुछ अधिकारियों और एक निजी कंपनी ने स्कूटरों और मोटरसाइकिलों का इस्तेमाल कर लगभग 85 लाख रुपये मूल्य के 2.60 लाख किलोग्राम से ज्यादा चावल की कथित तौर पर चोरी कर ली है.

इतना ही नहीं इन लोगों ने आंखों में धूल झोंकने के लिए कहा कि चावल की खेप ट्रकों में भेजी गई, लेकिन इन्होंने जो पंजीकरण नंबर दिए थे, वे स्कूटर और मोटरसाइकिल के निकले.

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने जांच अपने हाथों में ले ली है और एफसीआई से मिली शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज कर ली है.

यह आरोप लगाया गया है कि सात मार्च 2016 से 22 मार्च 2016 के बीच असम के सल्चप्रा रेल टर्मिनल से 9,191 क्विंटल (9,19,100 किलोग्राम) चावल निजी ट्रांसपोर्टर जेनिथ एंटरप्राइजेज के 57 ट्रकों के जरिए मणिपुर के कोइरेंगेई भेजा गया.

दो महीने बाद खेप 275.5 किलोमीटर की दूरी तय कर अपने स्थान पर पहुंची, जबकि इतनी दूरी तय करने में लगभग नौ घंटे ही लगते हैं. जांच-पड़ताल में पता चला कि 16 वाहनों के जरिए भेजे गए 2601.63 क्विंटल (2,60,163 किलोग्राम) चावल की खेप के मामले में गबन किया गया जिसकी कीमत 84.98 लाख रुपये थी.

चावलों की यह खेप कोइरेंगेई डिपो नहीं पहुंची, लेकिन कागजों में यह पहुंची हुई दिखा दी गई. ट्रांसपोर्टर ने शपथपत्र में कहा कि विलंब ट्रकों में खराबी की वजह से हुआ जिसकी वजह से खेप दूसरे ट्रकों में चढ़ानी पड़ी.

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आगे की जांच में पता चला कि खराब ट्रकों के जो पंजीकरण नंबर दिए गए थे, वे ट्रकों के नहीं, बल्कि एलएमएल और होंडा एक्टिवा स्कूटरों, मोटरसाइकिलों, पानी के टैंकरों, बस, मारुति वैन, कारों और काल्पनिक वाहनों (जिनका कोई पंजीकरण था ही नहीं) के थे.

पंजीकरण नंबरों के रिकॉर्ड से पता चला कि लापता चावलों की 16,300 किलोग्राम और 10,000 किलोग्राम की खेप स्कूटरों के जरिए भेजी गईं और चुराए गए 16,300 किलोग्राम चावल की एक अन्य खेप एक मोटरसाइकिल के जरिए भेजी गई.

प्राथमिकी का ब्योरा देते हुए एक अधिकारी ने कहा, 'उक्त 2601.63 क्विंटल चावल कोइरेंगेई नहीं भेजा गया और इसका गबन किया गया, यह बात इस तथ्य से भी साबित होती है कि रिकॉर्ड में दर्ज वाहन नंबर, और खेप भेजने में शामिल उक्त 16 सड़क परिवहन परमिटों वाले वाहनों ने लींगांगपोक्पी पुलिस नाके और कीथेलमान्बी पुलिस नाका क्षेत्र में प्रवेश किया ही नहीं.

प्राथमिकी में कहा गया है कि सल्चप्रा स्थित एफसीआई शाखा के अधिकारियों आशीष कुमार पॉल और रजनीश कुमार ने चावल लोड किए बिना ही फर्जीवाड़ा कर ये 16 परमिट जारी कर दिए तथा ट्रांसपोर्टर जेनिथ एंटरप्राइजेज के प्रतिनिधि एल जॉनसन ने इन परमिटों पर फर्जी हस्ताक्षर किए.

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इसमें कहा गया है कि ट्रांसपोर्टर कंपनी के सोइबम सुरजीत ने ट्रकों के खराब होने और चावल दूसरे वाहनों में चढ़ाने के बारे में फर्जी हलफनामे पेश किए. अधिकारियों ने कहा कि कोइरेंगेई में पदस्थ अधिकारियों ने कथित तौर पर रसीद संबंधी फर्जी प्रविष्टियां कीं. ट्रांसपोर्ट कंपनी ने भी 16 ट्रकों के फर्जी बिल तैयार किए.

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CBI-RICE-SCOOTERS
2.60 lakh kg rice stolen using scooters, bikes; CBI files FIR
         New Delhi, Aug 12 (PTI) Can a motorcycle be used to transport over 16,000 kilograms of rice?
          As bizarre as it may sound, some officials of the FCI and a private company allegedly stole over 2.60 lakh kilogram rice worth about Rs 85 lakh by falsely showing that the consignment was transported in trucks by submitting license numbers of scooters and motorcycles.
          The CBI has taken over the investigation into the matter and registered an FIR on a complaint from the Food Corporation of India (FCI).
          It was alleged that a total of 9,191 quintals (9,19,100 kg) of rice were dispatched from Salchapra rail terminal in Assam for Koirengei in Manipur between March 7, 2016 to March 22, 2016 on 57 trucks of a private transporter, Zenith Enterprises. Each truck was given a road movement permit.
          The consignment reached the destination after two months, having covered a distance of 275.5 km, which approximately takes nine hours.
          Verification showed that 2601.63 quintals (2,60,163 kg) of rice worth Rs 84.98 lakh being transported by 16 vehicles had been misappropriated.
          This rice was not delivered at Koirengei depot but was shown in records as having been received, the FIR alleged.
          The transporter on affidavit said the delay was due to breakdown of trucks which required transhipment of the food grains through other trucks.
          It further surfaced that license numbers of transhipment vehicles, replacing trucks which had allegedly broken down, were not trucks but LML and Honda Activa scooters, motorcycles, water tankers, bus, Maruti van, cars and ghost vehicles whose numbers had not been even registered by the Road Transport Offices concerned.
         The license numbers records showed that two tranches of 16,300 kg and 10,000 kg of missing rice were transported by scooters and another tranche of 16,300 kg of stolen rice was transported by a motorcycle, they said.
         "Non-transportation of the aforesaid 2601.63 quintals of rice to Koirengei and its misappropriation is further substantiated by the fact that the vehicle numbers mentioned in records, including the vehicles used in transhipment in respect of aforesaid 16 road movement permits, were not entered in the enroute Leingangpokpi police check-post and Keithelmanbi police check post," an official said giving details of the FIR.
         It is alleged that officials of FCI at Salchapra, Ashish Kumar Paul and Rajnish Kumar Gupta, had fraudulently issued these 16 permits without loading the rice, and L Johson, a representative of the transporter Zenith Enterprises, had falsely signed these permits, the FIR said.
         It said Soibam Surjit Singh of the transporter company had allegedly submitted false affidavits regarding the breakdown of trucks en route and transhipment by other vehicles.
         False entries of receipt were allegedly made by officials at Koirengei, they said adding that the transport company also raised fake bills of 16 trucks, they said. PTI ABS
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Last Updated : Sep 26, 2019, 7:23 PM IST
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