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Basant Panchami 2023 : 25 या 26 जनवरी, कब है सरस्वती पूजा, जानें मुहूर्त - बसंत पंचमी पर पीले रंग को क्यों माना जाता है शुभ

इस बार सरस्वती पूजा कब होगी ? पूजा 25 जनवरी को है या 26 जनवरी को. पूजा का मुहूर्त कब है ? क्या पहले भी 26 जनवरी को सरस्वती पूजा होती रही है. क्या कोई संयोग है कि प्रत्येक 19 साल के बाद सरस्वती पूजा 26 जनवरी को मनाया जाता है? इन सारे सवालों का जवाब जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर.

Basant Panchami 2023
प्रतिकात्मक तस्वीर
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Published : Jan 20, 2023, 6:22 AM IST

नई दिल्ली : माता सरस्वती को ज्ञान, कला और विज्ञान की देवी माना जाता है. हम हर साल वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा धूम-धाम से करते हैं. माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को वसंत पंचमी मनाया जाता है. इस दिन को श्रीपंचमी भी कहा जाता है.

इस बार 19 साल बाद 26 जनवरी को सरस्वती पूजा मनाया जाएगा. इससे पहले साल 2004 में यह संयोग बैठा था. पंडितों का कहना है कि 2004 से पहले 1985 और उससे भी पहले 1966 में 26 जनवरी के दिन ही सरस्वती पूजन हुआ था. यानी आप यह कह सकते हैं कि प्रत्येक 19 साल बाद सरस्वती पूजन का दिन 26 जनवरी को पड़ता है. जाहिर है, इस दिन पहले हम गणतंत्र दिवस मनाएंगे, उसके बाद सरस्वती पूजा होगी.

पढ़ें: Daily Love Rashifal : अनजान से न करें दोस्ती, प्रभावित हो सकती है लव लाइफ

वसंत पंचमी का मुहूर्त सुबह सात बजकर 12 मिनट से दोपहर 12 बजकर 34 मिनट तक है. यानी पूजा मुहूर्त 5 घंटे 21 मिनट तक रहेगा. हालांकि, पंचांग के अनुसार माघ शुक्ल पंचमी तिथि 25 जनवरी को दोपहर 12 बजकर 33 मिनट से ही शुरू हो रही है. क्या है पूजा-विधि - आप सफेद या पीला वस्त्र पहनकर पूजा कर सकते हैं. मां सरस्वती को पीला फूल चढ़ाया जाता है. पूजा के लिए गंगा जल जरूर रखें. साथ में अक्षत,चंदन, रोली, धूप, दीप भी अर्पित करें. मिठाई का भोग लगाकर आप मां सरस्वती की वंदना करें.

मां सरस्वती ज्ञान की देवी मानी जाती हैं. हिंदू आस्था में मान्यता है कि पठन-पाठन की शुरुआत अगर वसंत पंचमी के दिन से की जाए, तो उस व्यक्ति को अच्छी सफलता मिलती है. यही कारण है कि आज भी लोग अपने बच्चों को पहली बार इसी दिन लिखने की शुरुआत करवाते हैं. यानी बच्चा पहली बार स्लेट या कॉपी पर लिखता है, वह भी मां सरस्वती की पूजा अर्चना के बाद, उनकी तस्वीर के सामने. सिर्फ पढ़ाई लिखाई ही नहीं, आप चाहें तो किसी भी नए कार्यों की शुरुआत वसंत पंचमी के दिन कर सकते हैं. यह मुहूर्त बहुत ही उत्तम माना जाता है.

पढ़ें: Aaj Ka Rashifal 20 January : कैसा बीतेगा आज का दिन, जानिए अपना आज का राशिफल

बसंत पंचमी पर क्यों पहने जाते हैं पीले वस्त्र : धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता सरस्वती का प्रिय रंग पीला है और पीला रंग जीवन में पॉजिटिविटी, नई किरणों और नई ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है. यही वजह है कि बसंत पंचमी पर पीले रंग के वस्त्र को पहनना शुभ माना जाता है. इसके अलावा मां सरस्वती की पूजा के दौरान बूंदी के लड्डू या बेसन के लड्डू से भोग लगाने पर मां प्रसन्न होती हैं. मां सरस्वती को प्रसंन्न करने के लिए पीले फूल भी चढ़ाए जाते हैं और उनके लिए पीले रंग का आसन भी बिछाया जाता है.

नई दिल्ली : माता सरस्वती को ज्ञान, कला और विज्ञान की देवी माना जाता है. हम हर साल वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा धूम-धाम से करते हैं. माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को वसंत पंचमी मनाया जाता है. इस दिन को श्रीपंचमी भी कहा जाता है.

इस बार 19 साल बाद 26 जनवरी को सरस्वती पूजा मनाया जाएगा. इससे पहले साल 2004 में यह संयोग बैठा था. पंडितों का कहना है कि 2004 से पहले 1985 और उससे भी पहले 1966 में 26 जनवरी के दिन ही सरस्वती पूजन हुआ था. यानी आप यह कह सकते हैं कि प्रत्येक 19 साल बाद सरस्वती पूजन का दिन 26 जनवरी को पड़ता है. जाहिर है, इस दिन पहले हम गणतंत्र दिवस मनाएंगे, उसके बाद सरस्वती पूजा होगी.

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वसंत पंचमी का मुहूर्त सुबह सात बजकर 12 मिनट से दोपहर 12 बजकर 34 मिनट तक है. यानी पूजा मुहूर्त 5 घंटे 21 मिनट तक रहेगा. हालांकि, पंचांग के अनुसार माघ शुक्ल पंचमी तिथि 25 जनवरी को दोपहर 12 बजकर 33 मिनट से ही शुरू हो रही है. क्या है पूजा-विधि - आप सफेद या पीला वस्त्र पहनकर पूजा कर सकते हैं. मां सरस्वती को पीला फूल चढ़ाया जाता है. पूजा के लिए गंगा जल जरूर रखें. साथ में अक्षत,चंदन, रोली, धूप, दीप भी अर्पित करें. मिठाई का भोग लगाकर आप मां सरस्वती की वंदना करें.

मां सरस्वती ज्ञान की देवी मानी जाती हैं. हिंदू आस्था में मान्यता है कि पठन-पाठन की शुरुआत अगर वसंत पंचमी के दिन से की जाए, तो उस व्यक्ति को अच्छी सफलता मिलती है. यही कारण है कि आज भी लोग अपने बच्चों को पहली बार इसी दिन लिखने की शुरुआत करवाते हैं. यानी बच्चा पहली बार स्लेट या कॉपी पर लिखता है, वह भी मां सरस्वती की पूजा अर्चना के बाद, उनकी तस्वीर के सामने. सिर्फ पढ़ाई लिखाई ही नहीं, आप चाहें तो किसी भी नए कार्यों की शुरुआत वसंत पंचमी के दिन कर सकते हैं. यह मुहूर्त बहुत ही उत्तम माना जाता है.

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बसंत पंचमी पर क्यों पहने जाते हैं पीले वस्त्र : धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता सरस्वती का प्रिय रंग पीला है और पीला रंग जीवन में पॉजिटिविटी, नई किरणों और नई ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है. यही वजह है कि बसंत पंचमी पर पीले रंग के वस्त्र को पहनना शुभ माना जाता है. इसके अलावा मां सरस्वती की पूजा के दौरान बूंदी के लड्डू या बेसन के लड्डू से भोग लगाने पर मां प्रसन्न होती हैं. मां सरस्वती को प्रसंन्न करने के लिए पीले फूल भी चढ़ाए जाते हैं और उनके लिए पीले रंग का आसन भी बिछाया जाता है.

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