वाराणसी: जनवरी 2024 में अयोध्या के राम मंदिर का स्थापना समारोह प्रस्तावित है. इसको लेकर तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं. इस पूरी स्थापना प्रक्रिया में काशी के विद्वानों का महत्वपूर्ण रोल होने वाला है. काशी के विद्वानों में शामिल गणेश्वर शास्त्री द्रव्य ने इस पूरे आयोजन की रूपरेखा तैयार करते हुए पौष शुक्ल पक्ष द्वादशी की तिथि निर्धारित की है.
स्थापना प्रक्रिया के साथ अब प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव का आयोजन भी काशी के विद्वानों के द्वारा पूर्ण किया जाएगा. इसके लिए 17 से लेकर 22 जनवरी तक का समय निर्धारित की गई है. पांच दिन के इस विशेष अनुष्ठान में 17 जनवरी से इसकी शुरुआत वाराणसी के कर्मकांडी विद्वान पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित के सानिध्य में पूर्ण की जाएगी. प्राण प्रतिष्ठा का मुख्य अनुष्ठान 17 से 22 जनवरी तक होगा, जबकि प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव 15 से 24 जनवरी तक पूर्ण की जाएगी.
ईटीवी भारत से खास बातचीत में पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित ने बताया कि कांची के शंकराचार्य काशी में प्रवास कर रहे हैं और उनके सानिध्य में हुई बातचीत में यह निर्णय और विचार विमर्श किया गया है. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर विचार चल रहा है और तारीख निश्चित हो चुकी है. परंतु अभी उसके विषय में सारी प्रक्रिया वार्तालाप के साथ आगे बढ़ाई जा रही है.
अभी सब लोग विचार विमर्श कर रहे हैं कि कितने दिन का और कितने समय का यह अनुष्ठान होगा और कैसे इसे पूर्ण किया जाएगा. तिथि को लेकर पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित ने बताया कि जो हम लोगों की कांची शंकराचार्य के सानिध्य में हुई है वह 5 दिन की हुई है. ये 17 से 22 जनवरी के बीच होगा. काशी के कितने विद्वान सम्मिलित होंगे, इस विषय में भी चर्चा की जा रही है.
प्रारंभिक योजना के तहत 108 ब्राह्मण शामिल होंगे, जिसमें काशी से लगभग 40 और दक्षिण भारत समेत देश के अलग-अलग कई हिस्सों से ब्राह्मणों को आमंत्रित किया जा रहा है. इसके अतिरिक्त राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय पूरी तैयारी को देख रहे हैं. रामलला की प्राणप्रतिष्ठा करने वाले विद्वान दो ग्रुप में रहेंगे. एक वर्ग ज्योतिषीय पक्ष का होगा, जिसका नेतृत्व काशी के प्रख्यात ज्योतिषाचार्य गणेश्वर शास्त्री ग्रहण करेंगे. दूसरा वर्ग कर्मकांडी विद्वानों का होगा, जिसका नेतृत्व काशी से ही पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित और उनके सानिध्य में रहने वाले लोग करेंगे.
पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित ने बताया कि कहां से कितने विद्वान आएंगे इस पर भी चर्चा हो रही है और योजना बनाई जा रही है. यह अनुष्ठान 5 दिन तक चलता है, जिसमें जो भी संस्कार भगवान की मूर्ति स्थापना के लिए हैं वह सभी पूर्ण किए जाएंगे. जैसे जलाधिवास, अन्नाधिवास, सैयाधिवास, पुष्पाधिवास. यह सब प्रक्रियाएं उन चार दिनों में परिपूर्ण की जाएगी.
पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित ने बताया कि मुझे काशी में मिलने के लिए कांची कोटी मठ में शंकराचार्य के सामने चंपत राय और गोविंद देवगिरी के सानिध्य में सारी बातचीत संपन्न हुई है और इस पर चर्चा की जा रही है. उन लोगों ने निर्णय किया था कि 17 से 22 जनवरी तक अनुष्ठान पूर्ण किए जाएंगे. 24 जनवरी की बात नहीं हुई है और जो मुख्य आयोजन स्थापना का होना है वह 22 जनवरी को ही होना है.
पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित ने बताया कि अनुष्ठान जितना दिन चाहे उतने दिन का हो सकता है. एक महीने तक अनुष्ठान चल सकता है. लेकिन, एक दिन में यह प्रक्रिया पूर्ण हो यह संभव नहीं है. तीन या पांच दिन कम से कम यह अनुष्ठान चलना चाहिए. 7 दिन 11 दिन के अनुष्ठान भी होते हैं. लेकिन, जो हम लोगों के बीच चर्चा हुई है, वह 5 दिन की हुई है.
फिलहाल पौष शुक्ल द्वादशी तिथि में 22 जनवरी को यह अनुष्ठान पूर्ण होगा. 17 जनवरी से इसकी शुरुआत हो जाएगी. मुहूर्त पर पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित ने ने बताया कि ज्योतिषियों और धर्म शास्त्रों के द्वारा मुहूर्त दिया गया है. उस पर पूर्ण विचार करके ही निर्धारित तिथि को दिया गया है. यह सभी के लिए अनुकूल है जिसके लिए यह तिथि दी गई है.
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