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custodial torture : पुलिसकर्मियों के खिलाफ FIR करने के आदेश पर रोक

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Published : Jan 2, 2022, 7:26 AM IST

दिल्ली की एक अदालत ने गिरफ्तार व्यक्ति को हिरासत में कथित तौर पर प्रताड़ित करने, उसके परिवार के सदस्यों के साथ छेड़छाड़ को लेकर पुलिसकर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश पर रोक लगा दी है. पढ़ें पूरी खबर...

custodial torture
हिरासत में प्रताड़ना

नई दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने डकैती के एक मामले में गिरफ्तार एक व्यक्ति को हिरासत में कथित तौर पर प्रताड़ित करने, उसके परिवार के सदस्यों के साथ छेड़छाड़ को लेकर पुलिस के कई कर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश पर रोक लगा दी है.

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राजेश मलिक ने तीन पुलिस कांस्टेबलों की पुनरीक्षण याचिका पर 22 दिसंबर के संबंधित आदेश पर रोक लगा दी। इन पुलिसकर्मियों ने याचिका में दावा किया कि लूट के आरोपी प्रिंस गिल को उसके बयान को लेकर भरोसेमंद नहीं कहा जा सकता क्योंकि उसके खिलाफ 13 आपराधिक मामले लंबित हैं.

अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट बबरू भान ने पिछले महीने रोहिणी जिले के डीसीपी को एसएचओ निरीक्षक अरविंद कुमार, उपनिरीक्षक निमेश, सहायक उप निरीक्षक नीरज राणा, कांस्टेबल सनी, अरुण और विनीत और बेगमपुर थाने के अन्य संबंधित अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने का निर्देश दिया था.

उन्होंने कहा था कि पुलिस हिरासत में गिल को लगी चोटें उसे काबू में करने के बाद सुनियोजित हमले का परिणाम प्रतीत होती हैं.

आदेश पर रोक लगाते हुए, एएसजे मलिक ने कहा, दलीलों पर विचार करते हुए, वर्तमान पुनरीक्षण याचिका का नोटिस प्रतिवादियों को जारी किया जाए. इस बीच, 22 दिसंबर के आदेश पर रोक लगायी जाती है.

पढ़ें :- AIMIM कार्यकर्ता व उसके 2 बेटों पर दुष्कर्म का आरोप, कोर्ट ने कहा- हलफनामा दाखिल करें

पुलिस ने गिल को गिरफ्तार किया था और उसके आवास से 92,000 रुपये नकद के साथ ही दिसंबर में कथित डकैती के दौरान इस्तेमाल की गई बाइक, हेलमेट और नकली नंबर प्लेट बरामद की गई थी.

हालांकि हिरासत में प्रताड़ना की कथित घटना तब सामने आयी जब गिल को गिरफ्तारी के बाद न्यायाधीश के समक्ष पेश किया गया. न्यायाधीश ने तब बेगमपुर पुलिस थाने के अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू करने का आदेश दिया, जब उन्होंने गिल के शरीर पर चोट के निशान और कई खरोंच देखीं.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने डकैती के एक मामले में गिरफ्तार एक व्यक्ति को हिरासत में कथित तौर पर प्रताड़ित करने, उसके परिवार के सदस्यों के साथ छेड़छाड़ को लेकर पुलिस के कई कर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश पर रोक लगा दी है.

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राजेश मलिक ने तीन पुलिस कांस्टेबलों की पुनरीक्षण याचिका पर 22 दिसंबर के संबंधित आदेश पर रोक लगा दी। इन पुलिसकर्मियों ने याचिका में दावा किया कि लूट के आरोपी प्रिंस गिल को उसके बयान को लेकर भरोसेमंद नहीं कहा जा सकता क्योंकि उसके खिलाफ 13 आपराधिक मामले लंबित हैं.

अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट बबरू भान ने पिछले महीने रोहिणी जिले के डीसीपी को एसएचओ निरीक्षक अरविंद कुमार, उपनिरीक्षक निमेश, सहायक उप निरीक्षक नीरज राणा, कांस्टेबल सनी, अरुण और विनीत और बेगमपुर थाने के अन्य संबंधित अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने का निर्देश दिया था.

उन्होंने कहा था कि पुलिस हिरासत में गिल को लगी चोटें उसे काबू में करने के बाद सुनियोजित हमले का परिणाम प्रतीत होती हैं.

आदेश पर रोक लगाते हुए, एएसजे मलिक ने कहा, दलीलों पर विचार करते हुए, वर्तमान पुनरीक्षण याचिका का नोटिस प्रतिवादियों को जारी किया जाए. इस बीच, 22 दिसंबर के आदेश पर रोक लगायी जाती है.

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पुलिस ने गिल को गिरफ्तार किया था और उसके आवास से 92,000 रुपये नकद के साथ ही दिसंबर में कथित डकैती के दौरान इस्तेमाल की गई बाइक, हेलमेट और नकली नंबर प्लेट बरामद की गई थी.

हालांकि हिरासत में प्रताड़ना की कथित घटना तब सामने आयी जब गिल को गिरफ्तारी के बाद न्यायाधीश के समक्ष पेश किया गया. न्यायाधीश ने तब बेगमपुर पुलिस थाने के अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू करने का आदेश दिया, जब उन्होंने गिल के शरीर पर चोट के निशान और कई खरोंच देखीं.

(पीटीआई-भाषा)

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