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रामजन्म भूमि पर आतंकी हमला करने की साजिश में शामिल चार आतंकियों को मिली जमानत - हाईकोर्ट से आतंकियों को मिली जमानत

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अयोध्या में रामजन्म भूमि पर आतंकी हमला करने की साजिश में शामिल चार आतंकियों को जमानत दे दी. ये सभी 18 साल से प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल में बंद हैं.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 20, 2023, 7:00 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रामजन्म भूमि पर आतंकी हमला करने की साजिश करने वाले चार आतंकियों की जमानत मंजूर कर ली है. इन चारों को अधीनस्थ न्यायालय ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी. ये सभी अभियुक्त प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल में पिछले 18 वर्ष से अधिक समय से बंद हैं. सजा के खिलाफ दाखिल अपील पर इन्होंने जमानत के लिए अर्जी दी थी, जिस पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति सैयद आफताब हुसैन रिजवी की खंडपीठ ने चारों अभियुक्तों को अपील लंबित रहने के दौरान जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट से चार आतंकियों को जमानत मिली
इलाहाबाद हाईकोर्ट से चार आतंकियों को जमानत मिली

आतंकवादी हमले में शामिल शकील अहमद, मोहम्मद नसीम, आसिफ इकबाल और डॉक्टर इरफान ने अधीनस्थ न्यायालय द्वारा सुनाई गई सजा के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील की थी. इस पर जमानत अर्जी भी दाखिल की गई थी. अभियुक्तों की ओर से कहा गया कि रामजन्म भूमि स्थल पर हुए हमले में मारे गए आतंकवादियों के पास से बरामद मोबाइल हैंडसेट के आधार पर उनको अभियुक्त बनाया गया है. हैंडसेट की बरामदगी साबित नहीं की गई है, न ही घटना की प्राथमिकी में किसी मोबाइल हैंडसेट के बरामद होने का जिक्र है. न ही पंचायतनामा रिपोर्ट में मोबाइल हैंडसेट की बरामदगी का जिक्र किया गया है. घटना में कुल 29 साक्षी पेश किए गए, जिनमें से सिर्फ तीन गवाहों ने मोबाइल हैंडसेट बरामद होने की बात कही. जबकि, पंचनामा में अन्य सभी बरामद सामानों का ब्योरा दिया गया है. यह भी बहस की गई कि चारों आरोपियों में से किसी का भी कोई आपराधिक इतिहास नहीं है.

जमानत का विरोध करते हुए अपर महाधिवक्ता पीसी श्रीवास्तव ने कहा कि मारे गए आतंकवादी के पास बरामद मोबाइल से कई सिम कार्ड उपयोग किए गए थे, जिनका संबंध आरोपियों से है. उनकी सीमा पार बैठे लोगों से बात होती थी. अभियुक्तों ने अपना जुर्म स्वीकार किया है. अपर महाधिवक्ता का कहना था कि अपील की पेपर बुक तैयार है. जमानत पर विचार करने के बजाय अपील निस्तारित की जाए.

हाईकोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का निर्देश है कि अपील लंबित रहते यदि जमानात अर्जी दाखिल की जाती है तो उसे चार सप्ताह में बेंच के समक्ष लिस्ट किया जाय. आरोपी 18 वर्षों से अधिक समय से जेल में बंद हैं. इस स्तर पर मोबाइल बरामदगी के साक्ष्य पर विचार नहीं किया जा रहा है. इस पर अपील की सुनवाई के समय विचार होगा. कोर्ट ने चारों अभियुक्तों की जमानत मंजूर करते हुए कहा कि सभी अभियुक्त अपने इलाके के थाने में हर सप्ताह हाजिरी देंगे. देश से बाहर नहीं जाएंगे और पासपोर्ट जमा करेंगे.

पांच जुलाई 2005 को सुबह नौ बजे एक मार्शल जीप पर सवार पांच आतंकियों ने रामजन्म भूमि पर हमला किया था. जैन मंदिर के सामने जीप में विस्फोट कर दिया. उसके बाद आतंकी गोलीबारी करने लगे. सुरक्षाबलों ने पांचों आतंकियों को मार गिराया. घटना में एक आम नागरिक भी मारा गया था. मारे गए एक आतंकी की जेब से एक कंपनी का मोबाइल हैंडसेट बरामद हुआ. इसकी कॉल डिटेल के आधार पर अन्य अभियुक्तों की पहचान हुई. जांच में सामने आया कि हमले में शामिल आतंकियों के तार पाकिस्तान से जुड़े थे.

यह भी पढ़ें: सीनियर आईएएस आलोक कुमार भ्रष्टाचार के आरोपों से बरी, लोकायुक्त ने दी क्लीन चिट

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रामजन्म भूमि पर आतंकी हमला करने की साजिश करने वाले चार आतंकियों की जमानत मंजूर कर ली है. इन चारों को अधीनस्थ न्यायालय ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी. ये सभी अभियुक्त प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल में पिछले 18 वर्ष से अधिक समय से बंद हैं. सजा के खिलाफ दाखिल अपील पर इन्होंने जमानत के लिए अर्जी दी थी, जिस पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति सैयद आफताब हुसैन रिजवी की खंडपीठ ने चारों अभियुक्तों को अपील लंबित रहने के दौरान जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट से चार आतंकियों को जमानत मिली
इलाहाबाद हाईकोर्ट से चार आतंकियों को जमानत मिली

आतंकवादी हमले में शामिल शकील अहमद, मोहम्मद नसीम, आसिफ इकबाल और डॉक्टर इरफान ने अधीनस्थ न्यायालय द्वारा सुनाई गई सजा के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील की थी. इस पर जमानत अर्जी भी दाखिल की गई थी. अभियुक्तों की ओर से कहा गया कि रामजन्म भूमि स्थल पर हुए हमले में मारे गए आतंकवादियों के पास से बरामद मोबाइल हैंडसेट के आधार पर उनको अभियुक्त बनाया गया है. हैंडसेट की बरामदगी साबित नहीं की गई है, न ही घटना की प्राथमिकी में किसी मोबाइल हैंडसेट के बरामद होने का जिक्र है. न ही पंचायतनामा रिपोर्ट में मोबाइल हैंडसेट की बरामदगी का जिक्र किया गया है. घटना में कुल 29 साक्षी पेश किए गए, जिनमें से सिर्फ तीन गवाहों ने मोबाइल हैंडसेट बरामद होने की बात कही. जबकि, पंचनामा में अन्य सभी बरामद सामानों का ब्योरा दिया गया है. यह भी बहस की गई कि चारों आरोपियों में से किसी का भी कोई आपराधिक इतिहास नहीं है.

जमानत का विरोध करते हुए अपर महाधिवक्ता पीसी श्रीवास्तव ने कहा कि मारे गए आतंकवादी के पास बरामद मोबाइल से कई सिम कार्ड उपयोग किए गए थे, जिनका संबंध आरोपियों से है. उनकी सीमा पार बैठे लोगों से बात होती थी. अभियुक्तों ने अपना जुर्म स्वीकार किया है. अपर महाधिवक्ता का कहना था कि अपील की पेपर बुक तैयार है. जमानत पर विचार करने के बजाय अपील निस्तारित की जाए.

हाईकोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का निर्देश है कि अपील लंबित रहते यदि जमानात अर्जी दाखिल की जाती है तो उसे चार सप्ताह में बेंच के समक्ष लिस्ट किया जाय. आरोपी 18 वर्षों से अधिक समय से जेल में बंद हैं. इस स्तर पर मोबाइल बरामदगी के साक्ष्य पर विचार नहीं किया जा रहा है. इस पर अपील की सुनवाई के समय विचार होगा. कोर्ट ने चारों अभियुक्तों की जमानत मंजूर करते हुए कहा कि सभी अभियुक्त अपने इलाके के थाने में हर सप्ताह हाजिरी देंगे. देश से बाहर नहीं जाएंगे और पासपोर्ट जमा करेंगे.

पांच जुलाई 2005 को सुबह नौ बजे एक मार्शल जीप पर सवार पांच आतंकियों ने रामजन्म भूमि पर हमला किया था. जैन मंदिर के सामने जीप में विस्फोट कर दिया. उसके बाद आतंकी गोलीबारी करने लगे. सुरक्षाबलों ने पांचों आतंकियों को मार गिराया. घटना में एक आम नागरिक भी मारा गया था. मारे गए एक आतंकी की जेब से एक कंपनी का मोबाइल हैंडसेट बरामद हुआ. इसकी कॉल डिटेल के आधार पर अन्य अभियुक्तों की पहचान हुई. जांच में सामने आया कि हमले में शामिल आतंकियों के तार पाकिस्तान से जुड़े थे.

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