ETV Bharat / bharat

भुखमरी से बेहाल है अफगानिस्तान, पेट भरने के लिए लोग बेच रहे हैं अपनी किडनी

तालिबान का शासन शुरू होने के साथ ही अफगानिस्तान की हालत चौपट हो गई है. अंतरराष्ट्रीय सहायता बंद होने के कारण अफगानी रोटी, दवा और कपड़ों की कमी से जूझ रहे हैं. बच्चे भुखमरी का शिकार हो रहे हैं. मीडिया रिपोर्टस के अनुसार, अफगानिस्तान के कई इलाकों में परिवार का पेट भरने के लिए लोग अपनी किडनी ब्लैक मार्केट में बेच रहे हैं.

Afghans sell kidneys
Afghans sell kidneys
author img

By

Published : Jan 29, 2022, 10:34 AM IST

काबुल : तालिबान शासन में अफगानी भूख और गरीबी से जूझ रहे हैं. कुछ दिन पहले खबर आई थी कि भूख से बेहाल लोगों ने बच्चों को बेचना शुरू कर दिया था. अब लोग भूख मिटाने के लिए किडनी बेच रहे हैं. टोलो न्यूज के मुताबिक, अफगानिस्तान में अंग बेचना या अंगों की तस्करी अवैध है, इसके बाद भी वहां अंगों की कालाबाजारी हो रही है.

मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि भुखमरी का सामना कर रहे हेरात प्रांत में कुछ लोगों को अपने परिवार का पेट पालने के लिए अपनी किडनी बेचने के लिए मजबूर किया जा रहा है. वहां के इंजिल जिले में भीषण गरीबी के बीच जीवित रहने के लिए कुछ लोगों ने अपनी किडनी ब्लैक मार्केट में बेच दी. रिपोर्ट के अनुसार, किडनी बेचने वालों में कम उम्र के युवक और महिलाएं भी शामिल हैं.

वहां रहने वाले एक शख्स ने बताया कि अगर कोई उनके बच्चों को खिलाने के लिए पैसे दे रहा है तो उन्हें किडनी देने में कोई दिक्कत नहीं है. वह जानते हैं कि अंग बेचना अवैध है. मगर उनका कहना है कि देश में महंगाई अधिक है. इस हालात में उनके पास जीवित रहने के लिए और कोई विकल्प नहीं है

पिछले साल अगस्त में तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता संभाली थी, इसके बाद से वहां रहने वालों के बुरे दिन शुरू हो गए. तालिबान समावेशी सरकार और मानवाधिकार को लागू करने की शर्त को पूरा नहीं कर सका, इस कारण उसे अंतरराष्ट्रीय मदद नहीं मिल रही है. विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और यूएस फेडरल रिजर्व के अंतरराष्ट्रीय फंड तक अफगानिस्तान की पहुंच खत्म हो गई है. अब अफगानिस्तान में बेरोजगारी, गरीबी और भूख खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है.

अफगानिस्तान में भुखमरी के संकट को देखते हुए विश्व के कई नेताओं और मानव अधिकार संगठनों ने बड़े संकट की चेतावनी दी है. ब्रिटेन के विदेश सचिव लिज़ ट्रस ने कहा कि हम अफगानिस्तान को इस स्थिति से बाहर लाने के लिए बहुत मेहनत कर रहे हैं. उनकी मदद के लिए कई तरह के उपाय किए जा रहे हैं. इसके अलावा अफगानिस्तान को अतिरिक्त मानवीय सहायता भी दे रहे हैं. उन्होंने अफगानिस्तान में किडनी बेचने की खबरों को चिंताजनक बताया. कई अर्थशास्त्रियों का मानना है कि अफगानिस्तान से प्रतिबंधों को हटाने और देश की अरबों डॉलर की संपत्ति को विश्व बैंकों से मुक्त करने से वहां के लोगों के जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है. अर्थशास्त्री अब्दुल नासिर रेश्तियाल ने कहा कि अफगानिस्तान में महंगाई में तेजी से बढ़ोतरी हुई है और समाज के सबसे कमजोर वर्गों को अधिक नुकसान हो रहा है.

बता दें भारत अफगानिस्तान को लगातार मानवीय सहायता के तहत लगातार आवश्यक जीवन रक्षक दवा, खाद्यान्न और वैक्सीन की खेप भेज रहा है. जनवरी की शुरुआत में दो टन जीवन रक्षक दवाओं (life saving drugs) की तीसरी खेप भेजी गई थी. विदेश मंत्रालय (Foreign Ministry) के बयान के अनुसार यह खेप काबुल स्थित इंदिरा गांधी अस्पताल को सौंपी गई. इससे पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन के माध्यम से अफगानिस्तान को कोविड टीके की 5 लाख खुराक और 1.6 टन चिकित्सा सहायता दी गई थी. अब पाकिस्तान के रास्ते अफगानिस्तान को 50 हजार टन गेहूं की आपूर्ति की जाएगी.

पढ़ें : मनुष्यों के लिए NeoCov के संभावित खतरे को जानने के लिए अभी और अध्ययन की जरूरत : WHO

काबुल : तालिबान शासन में अफगानी भूख और गरीबी से जूझ रहे हैं. कुछ दिन पहले खबर आई थी कि भूख से बेहाल लोगों ने बच्चों को बेचना शुरू कर दिया था. अब लोग भूख मिटाने के लिए किडनी बेच रहे हैं. टोलो न्यूज के मुताबिक, अफगानिस्तान में अंग बेचना या अंगों की तस्करी अवैध है, इसके बाद भी वहां अंगों की कालाबाजारी हो रही है.

मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि भुखमरी का सामना कर रहे हेरात प्रांत में कुछ लोगों को अपने परिवार का पेट पालने के लिए अपनी किडनी बेचने के लिए मजबूर किया जा रहा है. वहां के इंजिल जिले में भीषण गरीबी के बीच जीवित रहने के लिए कुछ लोगों ने अपनी किडनी ब्लैक मार्केट में बेच दी. रिपोर्ट के अनुसार, किडनी बेचने वालों में कम उम्र के युवक और महिलाएं भी शामिल हैं.

वहां रहने वाले एक शख्स ने बताया कि अगर कोई उनके बच्चों को खिलाने के लिए पैसे दे रहा है तो उन्हें किडनी देने में कोई दिक्कत नहीं है. वह जानते हैं कि अंग बेचना अवैध है. मगर उनका कहना है कि देश में महंगाई अधिक है. इस हालात में उनके पास जीवित रहने के लिए और कोई विकल्प नहीं है

पिछले साल अगस्त में तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता संभाली थी, इसके बाद से वहां रहने वालों के बुरे दिन शुरू हो गए. तालिबान समावेशी सरकार और मानवाधिकार को लागू करने की शर्त को पूरा नहीं कर सका, इस कारण उसे अंतरराष्ट्रीय मदद नहीं मिल रही है. विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और यूएस फेडरल रिजर्व के अंतरराष्ट्रीय फंड तक अफगानिस्तान की पहुंच खत्म हो गई है. अब अफगानिस्तान में बेरोजगारी, गरीबी और भूख खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है.

अफगानिस्तान में भुखमरी के संकट को देखते हुए विश्व के कई नेताओं और मानव अधिकार संगठनों ने बड़े संकट की चेतावनी दी है. ब्रिटेन के विदेश सचिव लिज़ ट्रस ने कहा कि हम अफगानिस्तान को इस स्थिति से बाहर लाने के लिए बहुत मेहनत कर रहे हैं. उनकी मदद के लिए कई तरह के उपाय किए जा रहे हैं. इसके अलावा अफगानिस्तान को अतिरिक्त मानवीय सहायता भी दे रहे हैं. उन्होंने अफगानिस्तान में किडनी बेचने की खबरों को चिंताजनक बताया. कई अर्थशास्त्रियों का मानना है कि अफगानिस्तान से प्रतिबंधों को हटाने और देश की अरबों डॉलर की संपत्ति को विश्व बैंकों से मुक्त करने से वहां के लोगों के जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है. अर्थशास्त्री अब्दुल नासिर रेश्तियाल ने कहा कि अफगानिस्तान में महंगाई में तेजी से बढ़ोतरी हुई है और समाज के सबसे कमजोर वर्गों को अधिक नुकसान हो रहा है.

बता दें भारत अफगानिस्तान को लगातार मानवीय सहायता के तहत लगातार आवश्यक जीवन रक्षक दवा, खाद्यान्न और वैक्सीन की खेप भेज रहा है. जनवरी की शुरुआत में दो टन जीवन रक्षक दवाओं (life saving drugs) की तीसरी खेप भेजी गई थी. विदेश मंत्रालय (Foreign Ministry) के बयान के अनुसार यह खेप काबुल स्थित इंदिरा गांधी अस्पताल को सौंपी गई. इससे पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन के माध्यम से अफगानिस्तान को कोविड टीके की 5 लाख खुराक और 1.6 टन चिकित्सा सहायता दी गई थी. अब पाकिस्तान के रास्ते अफगानिस्तान को 50 हजार टन गेहूं की आपूर्ति की जाएगी.

पढ़ें : मनुष्यों के लिए NeoCov के संभावित खतरे को जानने के लिए अभी और अध्ययन की जरूरत : WHO

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.