नई दिल्ली : हमारे धार्मिक पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह की शुक्ल पक्ष की आखिरी तिथि को पूर्णिमा का पर्व (Purnima 2023) मनाया जाता है. इस तिथि के बाद से माह बदल जाता है. हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार जिस दिन पूरा चन्द्रमा दिखायी देता है, उस दिन पूर्णिमा मनायी जाती है. पूर्णिमा को पूर्णमासी व पौर्णिमी, पुरणमासी जैसे नामों से भी संबोधित करते हैं. पूर्णिमा को लेकर यह कहा जाता है कि यह बहुतायत एवं समृद्वि का प्रतीक है.
हिन्दू कैलेंडर में प्रत्येक पूर्णिमा का अपना अलग महत्व है. इसलिए बारह महीनों में प्रत्येक पूर्णिमा पर अवसर पर कुछ खास तरह के पर्व व त्योहार मनाये जाते हैं. पूर्णिमा के दिन हमें आकाश में पूरा चन्द्रमा दिखाई देता है, जो अंधेरे को खत्म करने और उजाले का प्रतीक माना जाता है. इस दिन विशेष रूप से भगवान सत्यनारायण का व्रत व कथा पूजन करने की परंपरा है. ऐसा माना जाता है कि हमारे कई सारे देवी-देवताओं ने इस पवित्र दिन ही मानव अवतार लिया था.
अबकी बार गुरु पूर्णिमा 2023 का पर्व 3 जुलाई 2023 को मनाया जाएगा. इस दिन अगर आप पूजा पाठ कर रहे हैं या गुरू की दीक्षा ले रहे हैं तो इस समय का ध्यान रखिए. यह समय पंचांग के हिसाब से काफी शुभ व लाभकारी माना जा रहा है.
- स्नान मुहूर्त - सुबह 04.07 - सुबह 04.47
- अमृत (सर्वोत्तम) - सुबह 05.27 - सुबह 07.12
- शुभ (उत्तम )- सुबह 08.56 - सुबह 10.41
इस प्रकार 3 जुलाई 2023 को आप अपने गुरु के पास जाकर उनकी आराधना करने के साथ साथ अगर दीक्षा लेने की योजना बना रहे हैं तो इस समय का ध्यान रख सकते हैं. इस समय के बीच किया गया कार्य अपेक्षाकृत अधिक सफल माना जा रहा है.
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