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बाबरी मस्जिद विध्वंस के 29 साल...और कुछ इस तरह बदल गई देश की चुनावी राजनीति - बाबरी मस्जिद विध्वंस के 29 साल

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में छह दिसंबर 1992 राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद परिसर में विवादित ढांचा गिराया गया था. इस घटना के 10 दिन बाद ही जांच पड़ताल के लिए भारत सरकार ने लिब्रहान आयोग का गठन किया. भारतीय राजनीति के इतिहास में इस घटना को 'टर्निंग प्वाइंट' माना जाता है.

बाबरी मस्जिद विध्वंस के 29 साल
बाबरी मस्जिद विध्वंस के 29 साल
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Published : Dec 5, 2021, 9:49 PM IST

Updated : Dec 6, 2021, 10:31 AM IST

हैदराबाद : अयोध्या में बीते पांच अगस्त को राम मंदिर का भूमि पूजन किया गया. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू हुआ है लेकिन इसके पीछे की इतिहास ऐसा बना कि भारतीय राजनीति की दशा-दिशा पूरी तरह से बदल गई.

6 दिसंबर 1992 का दिन सिर्फ उत्तर प्रदेश के लिए ही नहीं बल्कि देश-दुनिया के लिए भी महत्वपूर्ण बन क्योंकि इस दिन कुछ ऐसा हुआ जिसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी. 6 दिसंबर 1992 को विवादि बाबरी मस्जिद के ढांचे को कारसेवकों की उग्र भीड़ ने जमींदोज कर दिया. फिर जो हुआ, वह इतिहास के पन्नों में दर्ज है और लोग इसकी व्याख्या अपने-अपने हिसाब से करते हैं.

भारत सरकार ने 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस की जांच पड़ताल के लिए लिब्रहान आयोग का गठन किया. जिसका कार्यकाल लगभग 17 साल लंबा चला. इसके अध्यक्ष भारतीय सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश मनमोहन सिंह लिब्रहान को बनाया गया.

केंद्र सरकार ने इस आयोग को अपनी रिपोर्ट पेश करने के लिए तीन महिनों का समय दिया गया था, लेकिन इसका कार्यकाल 48 बार बढ़ाया गया. जिसके साथ ही यह सबसे लंबे समय तक चलने वाला जांच आयोग बन गया. मार्च 2009 में जांच आयोग को तीन महीने का और अतिरिक्त समय दिया गया था लेकिन यह मुकदमा आज भी जारी है.

इसके बाद से हर वर्ष 6 दिसंबर को हिंदू समुदाय शौर्य दिवस तो मुस्लिम समुदाय यौमे गम मनाते हैं. हालांकि राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला रामलला के पक्ष में आ चुका है और अब अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण भी शुरू हो चुका है. इसके बावजूद इस 6 तारीख को सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त रखी जाती है.

सुरक्षा की चाक-चौबंद व्यवस्था

धार्मिक नगरी अयोध्या में विवादित ढांचे के गिराए जाने की 29वीं बरसी के मौके पर अयोध्या में सुरक्षा के व्यापक प्रबंध रहेंगे. हालांकि बीते 2 सालों से पूर्व में आयोजित परंपरागत कार्यक्रम शांति व्यवस्था के दृष्टिगत आयोजित नहीं किए जा रहे हैं. इसके बावजूद इस दिन की संवेदनशीलता को देखते हुए अयोध्या में सुरक्षा के कड़े इंतजाम रहेंगे.

विवादित ढांचे के ध्वंस की बरसी की पूर्व संध्या पर एसएसपी शैलेश पांडेय के नेतृत्व में अयोध्या में चेकिंग अभियान भी चलाया गया. प्रवेश की सभी मार्गों पर वाहनों की चेकिंग की जा रही है. 6 दिसंबर के मौके पर अयोध्या में प्रवेश करने वाले सभी बाहरी व्यक्तियों के आधार कार्ड और पहचान पत्र की जांच की जाएगी. जिला प्रशासन ने दोनों समुदाय से अपील की है कि इस दिन के मौके पर शांति व्यवस्था को बहाल रखने में जिला प्रशासन का सहयोग करें.

यह भी पढ़ें- सीएम योगी बोले- यूपी में अब गुंडा और माफिया को जवाब देती है पुलिस की गोली

अयोध्या की सुरक्षा को लेकर एसएसपी शैलेश पांडे ने कहा कि अयोध्या में श्रद्धालुओं का आगमन बढ़ा है. ऐसे में पहले से ही अयोध्या की सुरक्षा व्यापक स्तर पर की गई है. पुलिस प्रशासन की व्यवस्था दो चीजों पर होती है. एक तो सुरक्षा से कोई समझौता नहीं, दूसरा सुरक्षा के लिए सुरक्षा बलों को डेप्लॉयमेंट किया गया है. जिसमें सिविल पुलिस पीएसी अन्य सुरक्षा एजेंसियां लगाई गई हैं. सुरक्षा में इंटेलिजेंस को भी लगाया गया है ताकि ऐसी कोई बात हो तो जानकारी मिल सके.

हैदराबाद : अयोध्या में बीते पांच अगस्त को राम मंदिर का भूमि पूजन किया गया. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू हुआ है लेकिन इसके पीछे की इतिहास ऐसा बना कि भारतीय राजनीति की दशा-दिशा पूरी तरह से बदल गई.

6 दिसंबर 1992 का दिन सिर्फ उत्तर प्रदेश के लिए ही नहीं बल्कि देश-दुनिया के लिए भी महत्वपूर्ण बन क्योंकि इस दिन कुछ ऐसा हुआ जिसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी. 6 दिसंबर 1992 को विवादि बाबरी मस्जिद के ढांचे को कारसेवकों की उग्र भीड़ ने जमींदोज कर दिया. फिर जो हुआ, वह इतिहास के पन्नों में दर्ज है और लोग इसकी व्याख्या अपने-अपने हिसाब से करते हैं.

भारत सरकार ने 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस की जांच पड़ताल के लिए लिब्रहान आयोग का गठन किया. जिसका कार्यकाल लगभग 17 साल लंबा चला. इसके अध्यक्ष भारतीय सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश मनमोहन सिंह लिब्रहान को बनाया गया.

केंद्र सरकार ने इस आयोग को अपनी रिपोर्ट पेश करने के लिए तीन महिनों का समय दिया गया था, लेकिन इसका कार्यकाल 48 बार बढ़ाया गया. जिसके साथ ही यह सबसे लंबे समय तक चलने वाला जांच आयोग बन गया. मार्च 2009 में जांच आयोग को तीन महीने का और अतिरिक्त समय दिया गया था लेकिन यह मुकदमा आज भी जारी है.

इसके बाद से हर वर्ष 6 दिसंबर को हिंदू समुदाय शौर्य दिवस तो मुस्लिम समुदाय यौमे गम मनाते हैं. हालांकि राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला रामलला के पक्ष में आ चुका है और अब अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण भी शुरू हो चुका है. इसके बावजूद इस 6 तारीख को सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त रखी जाती है.

सुरक्षा की चाक-चौबंद व्यवस्था

धार्मिक नगरी अयोध्या में विवादित ढांचे के गिराए जाने की 29वीं बरसी के मौके पर अयोध्या में सुरक्षा के व्यापक प्रबंध रहेंगे. हालांकि बीते 2 सालों से पूर्व में आयोजित परंपरागत कार्यक्रम शांति व्यवस्था के दृष्टिगत आयोजित नहीं किए जा रहे हैं. इसके बावजूद इस दिन की संवेदनशीलता को देखते हुए अयोध्या में सुरक्षा के कड़े इंतजाम रहेंगे.

विवादित ढांचे के ध्वंस की बरसी की पूर्व संध्या पर एसएसपी शैलेश पांडेय के नेतृत्व में अयोध्या में चेकिंग अभियान भी चलाया गया. प्रवेश की सभी मार्गों पर वाहनों की चेकिंग की जा रही है. 6 दिसंबर के मौके पर अयोध्या में प्रवेश करने वाले सभी बाहरी व्यक्तियों के आधार कार्ड और पहचान पत्र की जांच की जाएगी. जिला प्रशासन ने दोनों समुदाय से अपील की है कि इस दिन के मौके पर शांति व्यवस्था को बहाल रखने में जिला प्रशासन का सहयोग करें.

यह भी पढ़ें- सीएम योगी बोले- यूपी में अब गुंडा और माफिया को जवाब देती है पुलिस की गोली

अयोध्या की सुरक्षा को लेकर एसएसपी शैलेश पांडे ने कहा कि अयोध्या में श्रद्धालुओं का आगमन बढ़ा है. ऐसे में पहले से ही अयोध्या की सुरक्षा व्यापक स्तर पर की गई है. पुलिस प्रशासन की व्यवस्था दो चीजों पर होती है. एक तो सुरक्षा से कोई समझौता नहीं, दूसरा सुरक्षा के लिए सुरक्षा बलों को डेप्लॉयमेंट किया गया है. जिसमें सिविल पुलिस पीएसी अन्य सुरक्षा एजेंसियां लगाई गई हैं. सुरक्षा में इंटेलिजेंस को भी लगाया गया है ताकि ऐसी कोई बात हो तो जानकारी मिल सके.

Last Updated : Dec 6, 2021, 10:31 AM IST
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