Patriotic Song on Republic Day: उदयपुर के रोशनलाल ने छेड़े देशभक्ति के 'तरंग', देखिए वीडियो
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उदयपुर. झीलों की नगरी के रोशन लाल भाट ने गीतकार प्रदीप का लिखा और महान गायिका लता मंगेशकर का गाया अमर गीत जल तरंग के माध्यम से प्रस्तुत किया. भाट ने अपनी कला के जरिए सरहद पर प्राण न्योछावर करने वाले सिपाहियों की कुर्बानी याद दिला दी. यहीं नहीं रुके उन्होंने इकबाल का लिखा सारे जहां से अच्छा भी हुनरमंद उंगलियों से बजा कर दिखाया. पिछले 2 दशक से जल तरंग का ये प्रेमी इस कला को जी रहा है. सिरेमिक यानी चीनी मिट्टी के छोटे प्यालों से निकलते देशभक्ति गीत सुनने वालों के कानों में अमृत घोल देते हैं.
2 दशक से बजा रहे जल तरंग- पिछले लगभग 2 दशक से रोशन लाल भाट जल तरंग में रत हैं. राजस्थानी फिल्मों में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं. जल से उठी तरंगों से पैदा होते सुर साधने में बड़ी मेहनत की है. चेहरा खिल जाता है जब दो छोटी छड़ी से देशभक्ति धुन राष्ट्रीय पर्व पर बजाते हैं. जब फिरकी की तरह घुमती स्टिक्स को प्यालों पर बजाते हैं तो माहौल में भी अजब सी खुशनुमा तरंग पैदा कर देते हैं रोशनलाल.स्वर लहरियों में डूबते उतरते रहते हैं फिर भी एक टीस दिल में बाकी है. अपने मन की बात जाहिर करते हैं. कहते हैं जितने सम्मान की ये कला हकदार है उतना हासिल नहीं कर पाई है.
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क्या है जल तरंग : जल तरंग प्राचीन और सरल सा दिखने वाला वाद्य यंत्र है. यंत्र के नाम पर दो स्टिक, कुछ चीनी मिट्टी की 18 से 20 कटोरियां या प्यालियां और उनमें एक लेवल तक भरा पानी मौजूद होता है. कटोरियों पर जब छड़ी पड़ती है तो स्वर लहरियां निकलती हैं. इसे बजाने के लिए सब्र की बहुत आवश्यकता है. बगैर उसके बे ताल होने की गुंजाइश बनी रहती है. विभिन्न राग निकालने के लिए कटोरों में पानी सुर के हिसाब से भरा जाता है. खास बात ये कि इन वाद्य यंत्रों पर आलाप भी बजता है और आहट नाद भी.