लोकरंग के मंच पर विविध लोक संस्कृतियों के रंग
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जयपुर के जवाहर कला केन्द्र में ‘लोकरंग‘ के 7वें दिन राजस्थान के सुप्रसिद्ध लंगा-मांगणियार जनजाति के बाल कलाकारों ने उस्ताद गाजी खान के निर्देशन में शानदार प्रस्तुतियां दी. अपनी प्रस्तुतियों से बाल कलाकारों ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया. इस कार्यक्रम में गोवा के देखणी नृत्य के माध्यम से लोक कथा को पेश किया गया. इसके बाद ओडिशा से आए पुरुष लोक नर्तकों ने स्त्रीवेश में गोटीपुआ नृत्य पेश किया. भगवान जगन्नाथ मंदिर में किया जाने वाले इस नृत्यनाट्य का दार्शनिक पक्ष के अनुरूप कृष्ण ही एकमात्र पुरुष हैं और शेष सभी भक्तजन गोपियां हैं. इसके बाद अगला रंग जमाते हुए मध्यप्रदेश के बुंदेलखण्ड से आए लोक कलाकारों ने नदीम राईन के निर्देशन में प्रसिद्ध एवं पारम्परिक ‘बधाई‘ लोकनृत्य की रंगबिरंगी प्रस्तुति दी. किसी परिवार में बच्चे के जन्म होने पर घर के सभी सदस्य शीतला माता के समक्ष यह लोकनृत्य अत्यंत हर्षोल्लास के साथ करते हैं. महिला एवं पुरुष नर्तकों ने पारम्परिक वेशभूषा में ‘जन्म लिया रघुरैया अवध में बाजे बधईया‘ गीत पर मार्शल आर्ट की प्रस्तुति देते हुए यह नृत्य पेश किया.
वहीं थाली में दीपक और हाथ में अग्निचक्र का संचालन करते हुए नर्तकों ने खूब तालियां बटोरी. यह प्रस्तुति ढोलक, नगडिया, लोटा, ढपला, रमतूला, बांसुरी के रोचक संगीत के साथ पेश की गई.