उदयपुर. इस बार मानसून में बारिश नहीं होने पर शहरवासियों के लिए पीने के पानी की भी समस्या खड़ी हो जाएगी. यह कोई और नहीं जलदाय विभाग के अधिकारियों द्वारा कहा जा रहा है. जलदाय विभाग के उदयपुर के पेयजल का मुख्य स्रोत माने जाने वाली झीलों को सूखने की कगार पर बताया है.
बता दें कि शहर में पेयजल सप्लाई का प्रमुख स्त्रोत शहर की झीलें हैं. लेकिन पिछले साल हुई कम बारिश के चलते शहर की सभी झीलें सूखने की कगार पर पहुंच गई है और इनमें लगभग 2 महीने का ही पानी बचा है. ऐसे में अगर इस साल भी बारिश नहीं हुई तो उदयपुर की जनता को पीने का पानी उपलब्ध कराना भी मुश्किल हो जाएगा.
उदयपुर जलदाय विभाग के मुख्य अभियंता सोहन लाल सालवी का कहना है कि उदयपुर में देवास और मानसी वाकल सूखने की कगार पर पहुंच गए है. जिनसे शहर की प्रमुख झीलों को भरने के साथ ही पेयजल सप्लाई हो रही थी. ऐसे में सिर्फ जयसमंद और बड़ी झील से पानी की सप्लाई की जा रही है लेकिन यह पानी ज्यादा वक्त तक काम नहीं आ पाएगा. सिर्फ 2 महीने का पानी बचा है ऐसे में अगर बारिश नहीं हुई तो पीने के पानी की भी समस्या खड़ी हो जाएगी.
मुख्य अभियंता ने बताया कि इन झीलों के साथ ही अन्य स्थानों से भी पेयजल सप्लाई के लिए पानी लिया जा रहा है लेकिन वहां भी कुछ ही वक्त का पानी बचा है. ऐसे में आने वाले वक्त में पेयजल सप्लाई की पूरी निर्भरता बारिश पर टिकी है. वहीं उदयपुर के ग्रामीण और पहाड़ी इलाकों में पेयजल समस्या से निपटने के लिए जलदाय विभाग टैंकरों से पानी सप्लाई कर रहा है. जलदाय विभाग के अधिकारियों का कहना है कि लगभग 600 टैंकर से ग्रामीण इलाकों में पानी की सप्लाई की जा रही है. यह पानी ग्राउंड वाटर है जो बोरिंग के जरिए निकाला जाता है और ग्रामीण इलाकों में भेजा जा रहा है.
कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि उदयपुर समेत आसपास के इलाकों में पिछले साल हुई कम बारिश का असर इस बार पेयजल समस्या के रूप में निकल कर सामने आया है. अगर इस साल उदयपुर में जमकर बारिश नहीं हुई और उदयपुर की झीलों में पानी नहीं आया तो उदयपुर के लिए आने वाले वक्त में अपनी प्यास बुझाना मुश्किल हो जाएगा.