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बारिश की आस में जलदाय विभाग, सूखने की कगार पर उदयपुर की प्रमुख झीलें - rajasthan

उदयपुर के जलदाय विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस बार यदि मानसून में अच्छी बारिश नहीं होती है तो यह उदयपुर के लिए पेयजल समस्या बढ़ा सकती है. पिछले मानसून में अच्छी बारिश नहीं होने के चलते शहर के जलस्रोत का मुख्य साधन माने जानी वाली झीले अब सूखने की कगार पर है.

बारिश की आस में जलदाय विभाग
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Published : Jul 6, 2019, 4:44 PM IST

उदयपुर. इस बार मानसून में बारिश नहीं होने पर शहरवासियों के लिए पीने के पानी की भी समस्या खड़ी हो जाएगी. यह कोई और नहीं जलदाय विभाग के अधिकारियों द्वारा कहा जा रहा है. जलदाय विभाग के उदयपुर के पेयजल का मुख्य स्रोत माने जाने वाली झीलों को सूखने की कगार पर बताया है.

बता दें कि शहर में पेयजल सप्लाई का प्रमुख स्त्रोत शहर की झीलें हैं. लेकिन पिछले साल हुई कम बारिश के चलते शहर की सभी झीलें सूखने की कगार पर पहुंच गई है और इनमें लगभग 2 महीने का ही पानी बचा है. ऐसे में अगर इस साल भी बारिश नहीं हुई तो उदयपुर की जनता को पीने का पानी उपलब्ध कराना भी मुश्किल हो जाएगा.

बारिश की आस में जलदाय विभाग

उदयपुर जलदाय विभाग के मुख्य अभियंता सोहन लाल सालवी का कहना है कि उदयपुर में देवास और मानसी वाकल सूखने की कगार पर पहुंच गए है. जिनसे शहर की प्रमुख झीलों को भरने के साथ ही पेयजल सप्लाई हो रही थी. ऐसे में सिर्फ जयसमंद और बड़ी झील से पानी की सप्लाई की जा रही है लेकिन यह पानी ज्यादा वक्त तक काम नहीं आ पाएगा. सिर्फ 2 महीने का पानी बचा है ऐसे में अगर बारिश नहीं हुई तो पीने के पानी की भी समस्या खड़ी हो जाएगी.

मुख्य अभियंता ने बताया कि इन झीलों के साथ ही अन्य स्थानों से भी पेयजल सप्लाई के लिए पानी लिया जा रहा है लेकिन वहां भी कुछ ही वक्त का पानी बचा है. ऐसे में आने वाले वक्त में पेयजल सप्लाई की पूरी निर्भरता बारिश पर टिकी है. वहीं उदयपुर के ग्रामीण और पहाड़ी इलाकों में पेयजल समस्या से निपटने के लिए जलदाय विभाग टैंकरों से पानी सप्लाई कर रहा है. जलदाय विभाग के अधिकारियों का कहना है कि लगभग 600 टैंकर से ग्रामीण इलाकों में पानी की सप्लाई की जा रही है. यह पानी ग्राउंड वाटर है जो बोरिंग के जरिए निकाला जाता है और ग्रामीण इलाकों में भेजा जा रहा है.

कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि उदयपुर समेत आसपास के इलाकों में पिछले साल हुई कम बारिश का असर इस बार पेयजल समस्या के रूप में निकल कर सामने आया है. अगर इस साल उदयपुर में जमकर बारिश नहीं हुई और उदयपुर की झीलों में पानी नहीं आया तो उदयपुर के लिए आने वाले वक्त में अपनी प्यास बुझाना मुश्किल हो जाएगा.

उदयपुर. इस बार मानसून में बारिश नहीं होने पर शहरवासियों के लिए पीने के पानी की भी समस्या खड़ी हो जाएगी. यह कोई और नहीं जलदाय विभाग के अधिकारियों द्वारा कहा जा रहा है. जलदाय विभाग के उदयपुर के पेयजल का मुख्य स्रोत माने जाने वाली झीलों को सूखने की कगार पर बताया है.

बता दें कि शहर में पेयजल सप्लाई का प्रमुख स्त्रोत शहर की झीलें हैं. लेकिन पिछले साल हुई कम बारिश के चलते शहर की सभी झीलें सूखने की कगार पर पहुंच गई है और इनमें लगभग 2 महीने का ही पानी बचा है. ऐसे में अगर इस साल भी बारिश नहीं हुई तो उदयपुर की जनता को पीने का पानी उपलब्ध कराना भी मुश्किल हो जाएगा.

बारिश की आस में जलदाय विभाग

उदयपुर जलदाय विभाग के मुख्य अभियंता सोहन लाल सालवी का कहना है कि उदयपुर में देवास और मानसी वाकल सूखने की कगार पर पहुंच गए है. जिनसे शहर की प्रमुख झीलों को भरने के साथ ही पेयजल सप्लाई हो रही थी. ऐसे में सिर्फ जयसमंद और बड़ी झील से पानी की सप्लाई की जा रही है लेकिन यह पानी ज्यादा वक्त तक काम नहीं आ पाएगा. सिर्फ 2 महीने का पानी बचा है ऐसे में अगर बारिश नहीं हुई तो पीने के पानी की भी समस्या खड़ी हो जाएगी.

मुख्य अभियंता ने बताया कि इन झीलों के साथ ही अन्य स्थानों से भी पेयजल सप्लाई के लिए पानी लिया जा रहा है लेकिन वहां भी कुछ ही वक्त का पानी बचा है. ऐसे में आने वाले वक्त में पेयजल सप्लाई की पूरी निर्भरता बारिश पर टिकी है. वहीं उदयपुर के ग्रामीण और पहाड़ी इलाकों में पेयजल समस्या से निपटने के लिए जलदाय विभाग टैंकरों से पानी सप्लाई कर रहा है. जलदाय विभाग के अधिकारियों का कहना है कि लगभग 600 टैंकर से ग्रामीण इलाकों में पानी की सप्लाई की जा रही है. यह पानी ग्राउंड वाटर है जो बोरिंग के जरिए निकाला जाता है और ग्रामीण इलाकों में भेजा जा रहा है.

कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि उदयपुर समेत आसपास के इलाकों में पिछले साल हुई कम बारिश का असर इस बार पेयजल समस्या के रूप में निकल कर सामने आया है. अगर इस साल उदयपुर में जमकर बारिश नहीं हुई और उदयपुर की झीलों में पानी नहीं आया तो उदयपुर के लिए आने वाले वक्त में अपनी प्यास बुझाना मुश्किल हो जाएगा.

Intro:उदयपुर में अगर इस मानसून में बारिश नहीं हुई तो शहर वासियों के लिए पीने के पानी की भी समस्या खड़ी हो जाएगी यह हम नहीं कह रहे बल्कि यह कहना है जलदाय विभाग के अधिकारियों का बता दें कि शहर में पेयजल सप्लाई का प्रमुख स्त्रोत शहर की झीलें हैं लेकिन पिछले साल हुई कम बारिश के चलते शहर की सभी झीलें सूखने की कगार पर पहुंच गई हैं और इनमें लगभग 2 महीने का ही पानी बचा है ऐसे में अगर इस साल भी बारिश नहीं हुई तो उदयपुर की जनता को पीने का पानी उपलब्ध कराना भी मुश्किल हो जाएगा


Body:अगर इस साल उदयपुर में इंद्रदेव मेहरबान नहीं हुए तो शहर वासियों के लिए पीने का पानी भी उपलब्ध नहीं हो पायेगा जी हां यह बात हम नहीं कह रहे बल्कि यह कहना है जलदाय विभाग के अधिकारियों का उदयपुर जलदाय विभाग के मुख्य अभियंता सोहन लाल सालवी का कहना है कि उदयपुर में देवास और मानसी वाकल सूखने की कगार पर पहुंच गए हैं जिनसे शहर की प्रमुख झीलों को भरने के साथ ही पेयजल सप्लाई हो रही थी ऐसे में सिर्फ जयसमंद और बड़ी झील से पानी की सप्लाई की जा रही है लेकिन यह पानी ज्यादा वक्त का नहीं सिर्फ 2 महीने का पानी बचा है ऐसे में अगर बारिश नहीं हुई तो पीने के पानी की भी समस्या खड़ी हो जाएगी
मुख्य अभियंता ने बताया कि इन झीलों के साथ ही अन्य स्थानों से भी पेयजल सप्लाई के लिए पानी लिया जा रहा है लेकिन वहां भी कुछ ही वक्त का पानी बचा है ऐसे में आने वाले वक्त में पेयजल सप्लाई की पूरी निर्भरता बारिश पर टिकी है
वही उदयपुर के ग्रामीण और पहाड़ी इलाकों में पेयजल समस्या से निपटने के लिए जलदाय विभाग टैंकरों से पानी सप्लाई कर रहा है जलदाय विभाग के अधिकारियों का कहना है कि लगभग 600 टैंकर से ग्रामीण इलाकों में पानी की सप्लाई की जा रही है यह पानी ग्राउंड वाटर है जो बोरिंग के जरिए निकाला जाता है और ग्रामीण इलाकों में भेजा जा रहा है


Conclusion:कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि उदयपुर समेत आसपास के इलाकों में पिछले साल हुई कम बारिश का असर इस बार पेयजल समस्या के रूप में निकल कर सामने आया है अगर इस साल उदयपुर में जमकर बारिश नहीं हुई और उदयपुर की झीलों में पानी नहीं आया तो उदयपुर के लिए आने वाले वक्त में अपनी प्यास बुझाना मुश्किल हो जाएगा

बाइट - सोहन लाल सालवी ,मुख्य अभियंता जलदाय विभाग उदयपुर
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