उदयपुर. बदलते दौर में मोबाइल जीवन का एक बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा हो गया है. ऐसे में छोटे-छोटे बच्चे भी मोबाइल के प्रति लगातार आदी होते जा रहे हैं. बड़ी संख्या में बच्चे तो मोबाइल में दिनभर गेम खेलने में लगे रहते हैं. मोबाइल के प्रति बच्चों की लत उनके लिए खतरनाक भी साबित हो रही है. झीलों की नगरी उदयपुर में एक सुखद तस्वीर देखने को मिल रही है. जहां बच्चे इस गर्मी की छुट्टियों में मोबाइल से दूर रहकर आध्यात्मिकता की ओर आगे बढ़ रहे हैं. दरअसल झीलों की नगरी उदयपुर में महावीर स्वाध्याय एवं साधना समिति,अम्बामाता में 11 दिवसीय राष्ट्रीय संस्कार शिविर चल रहा है. जहां देश भर के अलग-अलग राज्यों से 500 बच्चे आए हुए हैं.
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4 राज्यों के बच्चे शिविर में ले रहे हैं भागः इन दिनों स्कूलों में गर्मी छुट्टियां होने के कारण स्कूलों में सन्नाटा पसरा हुआ है. झीलों की नगरी उदयपुर में एक ऐसी पाठशाला का आयोजन किया जा रहा है. जिसमें देश भर के 500 बच्चे मोबाइल से दूर रहकर ज्ञान अर्जित कर रहे हैं. उदयपुर के अंबामाता इलाके में स्थित महावीर स्वाध्याय एवं साधना समिति जहां 4 राज्यों से 500 बच्चे आए हुए हैं. जिसमें खासकर सूरत, अहमदाबाद, मध्य प्रदेश और गुजरात के अलावा महाराष्ट्र और राजस्थान के भी कई जिलों से बच्चे आए हुए हैं.
निशुल्क शिविर का आयोजनः समिति के अध्यक्ष प्रकाश कोठारी ने बताया कि बच्चों के लिए 11 दिवसीय नि:शुल्क आवसीय शिविर का आयोजन किया जा रहा है. जिसमें देशभर के 4 राज्यों के करीब 500 से ज्यादा बच्चे शामिल हो रहे हैं. उन्होंने बताया कि हर साल यह शिविर अलग-अलग राज्यों में आयोजित किया जाता है. इस बार राजस्थान में झीलों की नगरी उदयपुर में इस शिविर का आयोजन किया गया है. खास बात यह है कि इन बच्चों का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन होता है. इसके साथ ही इन बच्चों के रहने खाने और आने जाने का किराया भी संस्था की ओर से ही दिया जाता है. यहां सभी बच्चे एक परिवार की तरह एक छत के नीचे रहते हैं. जिनका प्रातः से लेकर शाम तक का शेड्यूल भी बनाया गया है. उसी के तहत बच्चे अपनी दिनभर की क्रियाएं करते हैं.
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6 साल से लेकर 9 साल के बच्चे ले रहे भागः संस्था के शिक्षकों ने बताया कि यहां बच्चों के लिए 11 दिन का शिविर रखा गया है.जहां बच्चों को सुबह योगाभ्यास, प्राणायाम, प्रार्थना, अल्पाहार, प्रथम कालांश, प्रवचन, द्वितीय कालांश, तृतीय कालांश, भोजन एवं विश्राम, चतुर्थ कालांश, अल्पाहार, सामुहिक कक्षा, प्रतियोगिता, सायं काल भोजन, प्रतिक्रमण, ज्ञान चर्चा, रात्रि विश्राम होता है. इसके साथ ही बच्चों को धार्मिक शिक्षा के साथ व्यवहारिक ज्ञान और मानसिक व शारीरिक एक्टिविटी भी कराई जाती है.
बच्चे ले रहे हैं बढ़-चढ़कर रुचिः इस शिविर में अलग-अलग राज्यों से आए बच्चों से जब ईटीवी भारत में बातचीत की तो उन्होंने बताया कि गर्मी की छुट्टियों में शिविर उनको बहुत कुछ सीखने को मिला. कुछ बच्चों का कहना था कि वह स्कूल से आने के बाद मोबाइल के बिना नहीं रह सकते थे, लेकिन इस शिविर में आने के बाद मोबाइल से दूरी होने के कारण मोबाइल की लत से छुटकारा मिला, तो वहीं सोशल मीडिया से दूर ये बच्चे इन शिविरों और संस्कारों के जरिए अपनी जड़ों से जोड़ रहे हैं.
शिविर में क्या कुछ सीखने को मिलाः सूरत की रहने वाली मासूम एक बच्ची ने शिविर को लेकर जानकारी साझा की. सुबह 6 बजे योग के साथ पाठशाला शुरू होती है. इसमें आसन प्राणायाम करवाने के साथ इनके लाभ बताते हैं. फिर प्रार्थना, अल्पाहार, संस्कार कक्षा, गुरु प्रवचन, मध्याह्न भोजन के बाद शाम 6 बजे तक 4 अलग अलग कक्षाएं होती हैं. इस शिविर में बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है. खासकर मोबाइल और सोशल मीडिया से भी काफी दूर रहकर जीवन के इन क्रियाओं के बारे में भी जानकारी मिल रही है.