उदयपुर. दक्षिणी राजस्थान का एमबी अस्पताल कुपोषण बीमारी के खिलाफ एक मॉडल बनकर उभरा है. अब तक यहां हजारों बच्चे कुपोषण से मुक्त हुए हैं. एमबी हॉस्पिटल के तहत बाल चिकित्सालय में कुपोषण का इलाज किया जा रहा है. बीते 5 सालों में यहां 6 हजार बच्चों को कुपोषण मुक्त कराया. यहां एमटीसी वार्ड, माल नूट्रिशियन वार्ड इन बच्चों को नया जीवन दे रहा है. इस वार्ड में बच्चों के लिए कार्टून लगाए गए हैं. साथ ही बच्चों को खेलने के लिए खिलौने और झूले व्यवस्था की गई है. बच्चों को अच्छी डाइट दी जाती है. वहीं, हर 2 घंटे में बच्चों की मॉनिटरिंग के साथ अभिभावकों की काउंसलिंग होती है.
एमबी हॉस्पिटल कैसे बना मॉडल : बाल चिकित्सालय में राजस्थान के अलावा मध्य प्रदेश से भी कुपोषित बच्चे इलाज के लिए आते हैं. एमबी हॉस्पिटल के अधीक्षक आरएल सुमन ने बताया कि दक्षिणी राजस्थान के ट्राइबल एरिया को ध्यान में रखते हुए ये सेंटर विकसित किया गया था. यहां पर हर साल 1,000 से ज्यादा बच्चे इलाज कराने के लिए आते हैं. बच्चे का इलाज फ्री में किया जाता है. जांच के साथ उनकी दवाइयां और खाने के लिए विशेष तरह की डाइट उपलब्ध करवाया जाता है. उन्होंने कहा कि बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए पूरे वार्ड में माहौल तैयार किया गया है, जिससे कुपोषित बच्चे की रिकवरी के साथ उसका शारीरिक विकास हो सके. वार्ड में नर्सिंग स्टाफ के साथ चिकित्सक अलग-अलग पारियों में दिनभर मौजूद रहते हैं. साथ ही बच्चों के लिए एलईडी टीवी लगाया गया जिसमें दिन भर कार्टून चलाए जाते हैं.
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कुपोषित बच्चों के लिए विशेष डाइट: नर्सिंग ऑफिसर शबनम बानो ने बताया कि हमारे वार्ड में कुपोषित और गंभीर कुपोषित बच्चे इलाज कराने के लिए भर्ती होते हैं. कई बच्चों की लंबाई और उम्र के अनुसार उनका वजन कम होता है. कुछ बच्चों की शारीरिक वृद्धि नहीं हो पाती है. इन बच्चों को 15 से 20 दिन तक वार्ड में रखा जाता है. उन्होंने कहा कि यहां आने वाले बच्चों को विशेष तरह की डाइट दी जाती है. हर 2 घंटे में उन्हें भोजन देने के साथ फल फ्रूट किए जाते हैं. साथ ही बच्चों को स्पेशल डाइट में खिचड़ी, दलिया, हलवा, चूरमा, लापसी, मक्की की राबड़ी, सत्तू का हलवा, चावल की खीर, सूजी का हलवा के साथ नाश्ते में पोहे दिए जाते हैं.
शबनम बानो ने कहा कि बच्चों के माताओं को समझाया जाता है कि किस तरह से बच्चे का घर पर ध्यान रखना है. कुपोषित बच्चे का इलाज होने के बाद 2 महीने तक अस्पताल लगातार उसका फीडबैक लेता है. भिंडर इलाके की रहने वाली राजेश्वरी ने बताया कि उनकी पोती को कुपोषण के कारण गर्दन में काफी परेशानी हो रही थी. एमबी अस्पताल बाल चिकित्सालय में दिखाने के बाद वह धीर-धीरे ठीक हो रही है.