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Special : राजस्थान में बन रहा पहला Butterfly Park, 80 प्रजातियों को देख सकेंगे सैलानी - 100 प्रजातियों से अधिक पौधे

राजस्थान का पहला बटरफ्लाई पार्क (Udaipur Butterfly Park) उदयपुर में बन रहा है. यहां पर्यटक अलग-अलग प्रजातियों की रंग-बिरंगी तितलियां देख सकेंगे. इस पार्क को लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है, आप भी जानिए.

Udaipur Butterfly Park
उदयपुर में बन रहा प्रदेश का पहला बटरफ्लाई पार्क
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Published : Jan 27, 2023, 7:45 PM IST

संभागीय वन संरक्षक आरके जैन ने क्या कहा...

उदयपुर. झीलों की नगरी उदयपुर में देश-दुनिया से आने वाले सैलानी अब अलग-अलग प्रजातियों की रंग-बिरंगी तितलियां देख सकेंगे. इसके लिए उदयपुर वन विभाग और यूआईटी की ओर से राजस्थान का पहला बटरफ्लाई पार्क जोन विकसित किया जा रहा है, जिसका काम तेज गति से चल रहा है. फरवरी या मार्च में इस पार्क का काम पूरा होने के बाद इसे आम लोगों के लिए खोल दिया जाएगा. बटरफ्लाई पार्क में करीब 80 प्रजातियों की तितलियों को पर्यटक निहार सकेंगे. इसका निर्माण उदयपुर जिला मुख्यालय से करीब 12 किलोमीटर दूर अंबेरी स्थित बायोडायवर्सिटी पार्क में किया जा रहा है.

80 प्रजातियों की रंग-बिरंगी तितलियां : पर्यटक इस बटरफ्लाई पार्क में राजस्थान में पाई जाने वाली करीब 80 प्रजातियों की अलग-अलग तितलियों को देख सकेंगे. इन तितलियों के लिए वन विभाग ने विशेष फूलों के पौधे भी लगाए हैं. वहीं, तितलियों के भोजन के लिए अलग-अलग क्यारी में गाजर, मूली, धनिया, मेथी, शकरकंद, एलोवेरा और कई पौधे भी लगाए गए हैं. बायोडायवर्सिटी पार्क में 2 हेक्टेयर क्षेत्र में यह पार्क बन रहा है. इसके अलावा पार्क में मोसंबी, नारंगी, नींबू, पंजाबी नींबू, रातरानी ड्राफ्ट, मधुमालती, कीपर, मुरया, रातरानी छोटी, रफीश, गीत कीपर सहित 100 प्रजातियों से अधिक पौधे लगाए गए हैं, जिस पर तितलियां बैठ सकेंगी.

पढ़ें : Sariska National Park Alwar: सिरोही के भालू बढ़ाएंगे सरिस्का में रौनक, पुनर्वास के लिए हरी झंडी का इंतजार

मेवाड़ में पाई जाने वाली तितलियों को देख सकेंगे पर्यटक : संभागीय वन संरक्षक आरके जैन ने बताया कि फरवरी के अंतिम सप्ताह तक इसका काम पूरा हो जाएगा. वहीं, आगामी दिनों में पर्यटकों के लिए इसे खोल दिया जाएगा. इसके लिए लगातार वन विभाग के अधिकारी काम करने में जुटे हुए हैं. उन्होंने बताया कि पार्क में मेवाड़ में पाए जाने वाली तितलियों के लिए प्राकृतिक आवास की तैयारी की जा रही है. करीब 50 लाख रुपये की लागत से यह पूरा काम किया जा रहा है. चीरवा इलाके में पुरोहितों का तालाब, बायोडायवर्सिटी पार्क होने के साथ ही इस नए पार्क के बनने से पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी होगी.

बटरफ्लाई पार्क बनाने का उद्देश्य : वन संरक्षक अधिकारी ने बताया कि पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ ही लोगों को बटरफ्लाई के बारे में जानकारी देने के उद्देश्य से इस पार्क का निर्माण किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि तितलियां पूरे इकोसिस्टम के लिए एक चेन का काम करती हैं. इस पार्क में उन प्रजातियों के पौधे लगाए गए हैं, जिन पर बड़ी संख्या में तितलियां बैठना पसंद करती हैं. संभाग में तितलियों की लगभग 100 प्रजातियां पाई जाती हैं. यहां वर्तमान में तितलियों की करीब 80 प्रजातियां हैं, जिनका संरक्षण अब बटरफ्लाई पार्क के माध्यम से किया जाएगा. आरके जैन ने बताया कि यह राजस्थान का पहला बटरफ्लाई पार्क होगा, जिसमें वन सुरक्षा समिति अंबेरी का भी अहम योगदान है.

तितलियों के जीवन के होतें हैं इतने चरण : वन संरक्षक अधिकारी आरके जैन के अनुसार तितलियों के जीवन में 4 चरण संपन्न होते हैं. अंडा से शुरू होकर लार्वा और प्यूपा से वयस्क तक का. बटरफ्लाई पार्क और इनके प्रजाति की संख्या क्षेत्र के पर्यावरण के स्वास्थ्य का प्रतीक है. पौधों की संख्या और उपज बढ़ती है. उनके संरक्षण के लिए स्थानीय वनस्पति और वनों की सुरक्षा अति आवश्यक है. इसको ध्यान में रखते हुए इस स्थान का चयन किया गया है.

संभागीय वन संरक्षक आरके जैन ने क्या कहा...

उदयपुर. झीलों की नगरी उदयपुर में देश-दुनिया से आने वाले सैलानी अब अलग-अलग प्रजातियों की रंग-बिरंगी तितलियां देख सकेंगे. इसके लिए उदयपुर वन विभाग और यूआईटी की ओर से राजस्थान का पहला बटरफ्लाई पार्क जोन विकसित किया जा रहा है, जिसका काम तेज गति से चल रहा है. फरवरी या मार्च में इस पार्क का काम पूरा होने के बाद इसे आम लोगों के लिए खोल दिया जाएगा. बटरफ्लाई पार्क में करीब 80 प्रजातियों की तितलियों को पर्यटक निहार सकेंगे. इसका निर्माण उदयपुर जिला मुख्यालय से करीब 12 किलोमीटर दूर अंबेरी स्थित बायोडायवर्सिटी पार्क में किया जा रहा है.

80 प्रजातियों की रंग-बिरंगी तितलियां : पर्यटक इस बटरफ्लाई पार्क में राजस्थान में पाई जाने वाली करीब 80 प्रजातियों की अलग-अलग तितलियों को देख सकेंगे. इन तितलियों के लिए वन विभाग ने विशेष फूलों के पौधे भी लगाए हैं. वहीं, तितलियों के भोजन के लिए अलग-अलग क्यारी में गाजर, मूली, धनिया, मेथी, शकरकंद, एलोवेरा और कई पौधे भी लगाए गए हैं. बायोडायवर्सिटी पार्क में 2 हेक्टेयर क्षेत्र में यह पार्क बन रहा है. इसके अलावा पार्क में मोसंबी, नारंगी, नींबू, पंजाबी नींबू, रातरानी ड्राफ्ट, मधुमालती, कीपर, मुरया, रातरानी छोटी, रफीश, गीत कीपर सहित 100 प्रजातियों से अधिक पौधे लगाए गए हैं, जिस पर तितलियां बैठ सकेंगी.

पढ़ें : Sariska National Park Alwar: सिरोही के भालू बढ़ाएंगे सरिस्का में रौनक, पुनर्वास के लिए हरी झंडी का इंतजार

मेवाड़ में पाई जाने वाली तितलियों को देख सकेंगे पर्यटक : संभागीय वन संरक्षक आरके जैन ने बताया कि फरवरी के अंतिम सप्ताह तक इसका काम पूरा हो जाएगा. वहीं, आगामी दिनों में पर्यटकों के लिए इसे खोल दिया जाएगा. इसके लिए लगातार वन विभाग के अधिकारी काम करने में जुटे हुए हैं. उन्होंने बताया कि पार्क में मेवाड़ में पाए जाने वाली तितलियों के लिए प्राकृतिक आवास की तैयारी की जा रही है. करीब 50 लाख रुपये की लागत से यह पूरा काम किया जा रहा है. चीरवा इलाके में पुरोहितों का तालाब, बायोडायवर्सिटी पार्क होने के साथ ही इस नए पार्क के बनने से पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी होगी.

बटरफ्लाई पार्क बनाने का उद्देश्य : वन संरक्षक अधिकारी ने बताया कि पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ ही लोगों को बटरफ्लाई के बारे में जानकारी देने के उद्देश्य से इस पार्क का निर्माण किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि तितलियां पूरे इकोसिस्टम के लिए एक चेन का काम करती हैं. इस पार्क में उन प्रजातियों के पौधे लगाए गए हैं, जिन पर बड़ी संख्या में तितलियां बैठना पसंद करती हैं. संभाग में तितलियों की लगभग 100 प्रजातियां पाई जाती हैं. यहां वर्तमान में तितलियों की करीब 80 प्रजातियां हैं, जिनका संरक्षण अब बटरफ्लाई पार्क के माध्यम से किया जाएगा. आरके जैन ने बताया कि यह राजस्थान का पहला बटरफ्लाई पार्क होगा, जिसमें वन सुरक्षा समिति अंबेरी का भी अहम योगदान है.

तितलियों के जीवन के होतें हैं इतने चरण : वन संरक्षक अधिकारी आरके जैन के अनुसार तितलियों के जीवन में 4 चरण संपन्न होते हैं. अंडा से शुरू होकर लार्वा और प्यूपा से वयस्क तक का. बटरफ्लाई पार्क और इनके प्रजाति की संख्या क्षेत्र के पर्यावरण के स्वास्थ्य का प्रतीक है. पौधों की संख्या और उपज बढ़ती है. उनके संरक्षण के लिए स्थानीय वनस्पति और वनों की सुरक्षा अति आवश्यक है. इसको ध्यान में रखते हुए इस स्थान का चयन किया गया है.

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