उदयपुर. प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत चुनावी मोड में नजर आ रहे हैं. गहलोत पिछले 3 दिनों से मेवाड़ के दौरे पर हैं. तीन दिन में गहलोत ने मेवाड़ की 5 जिलों में महंगाई राहत शिविर के बहाने कई सभाएं और संवाद कार्यक्रम भी किए हैं. सत्ता के गलियारों में मुख्यमंत्री गहलोत के मेवाड़ के जिलों में लगातार प्रवास को लेकर कई तरह की सियासी चर्चाएं हैं. राजनीतिक पंडितों का मानना है कि 2018 की विधानसभा चुनाव की कसर को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पूरा करना चाहते हैं.
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महंगाई राहत शिविर को लेकर की सभाः सीएम गहलोत 3 मई को उदयपुर के दौरे पर आए थे. जहां उदयपुर के कोटडा और झाडोल में महंगाई राहत शिविर को लेकर उन्होंने सभा की. इसके साथ ही अपने जन्मदिन के अवसर पर आदिवासी परिवार में जाकर भोजन किया. आदिवासियों के बीच जाकर एक सियासी संदेश भी दिया. ग्रामीण क्षेत्र में दौरे के बाद सीएम गहलोत ने उदयपुर शहर विधानसभा सीट पर टाउन हॉल में आयोजित महंगाई राहत शिविर में भाग लिया. इसके बाद एक सभा को भी उन्होंने संबोधित किया. इतना ही नहीं मुख्यमंत्री गहलोत ने अलग-अलग जिलों से आई छात्राओं से भी संवाद कार्यक्रम किया.
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गहलोत ने बच्चों से समस्याओं के बारे में पूछाः इस कार्यक्रम में देखने को मिला कि मुख्यमंत्री गहलोत छात्राओं से बार-बार पूछ रहे थे उन्हें किस तरह की समस्याएं हैं. ऐसे में बच्चों ने अपने गांव में स्कूल और शिक्षकों की कमी बताई. यह बात जब सामने आई तो मुख्यमंत्री गहलोत ने हाथों-हाथ उन्हें पूरा करने की घोषणा कर दी. सीएम गहलोत बच्चों के बीच साफ मैसेज देना चाहते थे कि उनकी सरकार में जनता का कोई काम नहीं अटकेगा. यही वजह है कि मुख्यमंत्री गहलोत ने अपनी सभा के माध्यम से भी कहा विधायक और मंत्री मांगते-मांगते थक जाएगा मैं देता हुआ नहीं थकूंगा.
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सीएम ने हर सभा में किया अपनी योजनाओं का जिक्रः सीएम गहलोत ने मेवाड़ के सभी जिलों में सभाओं के दौरान अपनी सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं का जिक्र किया. इसके साथ ही सीएम गहलोत ने यह भी बताने की कोशिश करी कि उनके कार्यकाल में पिछले वर्षों की तुलना में क्या कुछ काम हुआ. इसके अलावा महंगाई को लेकर केंद्र सरकार पर हमला करने के साथ अपनी सरकार का सॉफ्ट रवैया दिखाने की भी कोशिश की गई. उन्होंने जनता को भलीभांति इसका एहसास कराने की कोशिश की कि महंगाई से राहत दिलाने के लिए गहलोत सरकार क्या काम कर रही है. खासकर के सीएम गहलोत ने महंगाई राहत शिविर को लेकर अधिकारियों से फीडबैक लेने के साथ जनता इसके फायदे भी बताएं.
मेवाड़ के इन पांच जिलों का तूफानी दौराः मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने तीन दिवसीय दौरे पर उदयपुर, डूंगरपुर,बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद के ग्रामीण इलाकों में दौरा कर कई जनसभाएं और संवाद कार्यक्रम किए. इस दौरान मुख्यमंत्री गहलोत एक तरीके से चुनावी मोड में नजर आ रहे थे. मुख्यमंत्री गहलोत अपने सभी सभाओं में अपनी सरकार की योजनाओं को एक मॉडल स्क्रीन के रूप में पेश करना चाहते हैं. हालांकि मुख्यमंत्री के दौरे को लेकर राजनीति के जानकारों का कहना है कि 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी भाजपा के मुकाबले अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई थी. भले ही कांग्रेस पार्टी ने राज्य में सरकार बना ली हो, लेकिन भाजपा के मुकाबले मेवाड़ में उसकी विधानसभा में सीटें कम थी.
मेवाड़ पर है अशोक गहलोत का फोकसः सीएम अशोक गहलोत भली-भांति जानते हैं कि राजस्थान में सत्ता का रास्ता मेवाड़ से होकर गुजरता है. हालांकि 2018 के विधानसभा चुनाव में यह मिथक टुटता जरूर नजर आया था. मेवाड़ वागड़ में मुख्यमंत्री गहलोत अपनी सियासी जमीन को मजबूत करने के साथ आगामी विधानसभा चुनाव फतेह करना चाहते हैं. ऐसे में वह गांव-गांव कस्बे कस्बे जाकर अपनी योजनाओं का पुरजोर तरीके से प्रचार प्रसार करने में जुटे हुए हैं.
यह रहा मेवाड़ में अब तक का चुनाव इतिहासः 2008 में परिसीमन के बाद उदयपुर संभाग की विधानसभा सीटें घटकर 28 हो गईं. इससे पहले ये 30 थीं. बात करें 1998 से लेकर 2018 के बीच हुए चुनावों की तो तस्वीर कुछ ऐसी बनती है. सन 1998 में कुल सीटें 30 थीं, तब कांग्रेस को 23, भाजपा को 4 और अन्य के खाते में 3 गईं. सन 2003 में कुल विधानसभा सीट 30 ही थीं. उसमें से कांग्रेस को 7, भाजपा को 21 और अन्य को दो मिलीं. सन 2008 कुल सीटें सिमट कर 28 पर आ गईं. इनमें कांग्रेस को 20, भाजपा को 6 और अन्य को 2 सीटें हासिल हुईं. सन 2013 में कुल सीट 28 थीं. यहां कांग्रेस को 2, भाजपा को 25 और अन्य के खाते में 1 गई. पिछले विधानसभा यानी 2018 में कुल 28 सीटें थीं. इसमें कांग्रेस को 10, भाजपा को 15 और अन्य को 3 मिलीं.