चित्तौड़गढ़. उदयपुर के रुचिका कोठारी हत्याकांड में न्यायालय ने गुरुवार को अपना फैसला सुनाया. उसे उम्रकैद और 50000 रुपए के जुर्माने से दंडित किया गया. इस मामले में उदयपुर के वकीलों द्वारा आरोपी की पैरवी करने से इनकार कर दिया गया था. उसके बाद हाईकोर्ट के निर्देश पर इस जघन्य हत्याकांड की फाइल चित्तौड़गढ़ जिला एवं सत्र न्यायालय को ट्रांसफर की गई.
दरअसल, यह मामला 1 दिसंबर, 2016 का है. सुखेर थाना अंतर्गत आर्बिट प्लाजा में रहने वाली रुचिका कोठारी की अज्ञात बदमाश ने चाकू से गोदकर हत्या कर दी गई थी. उस दौरान उसका पति काम पर गया हुआ था. जबकि बच्चे स्कूल गए हुए थे. उसी का फायदा उठाकर बदमाश दुष्कर्म की नियत से फ्लैट में घुस गया. इस दौरान रुचिका ने हत्यारे का सामना भी किया, लेकिन उसने चाकू से गोदकर उसे मौत के घाट उतार दिया. उसी दिन मृतका के पिता दुलीचंद ने सूखेर पुलिस थाने में अपने दामाद के खिलाफ रिपोर्ट दी.
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अगले ही दिन आर्बिट प्लाजा में ही रहने वाले पड़ोसी 22 वर्षीय दिव्य पुत्र अरविंद कोठारी ने सूखेर थाने में रुचिका की हत्या का गुनाह कबूल करते हुए आत्मसमर्पण कर दिया. पब्लिक प्रॉसिक्यूटर सुरेश चंद्र शर्मा ने बताया कि जघण्य हत्याकांड के विरोध स्वरूप उदयपुर के वकीलों द्वारा आरोपी की पैरवी करने से इनकार कर दिया गया. इसे लेकर हाईकोर्ट द्वारा फाइल उदयपुर से चित्तौड़गढ़ जिला एवं सत्र न्यायालय को ट्रांसफर कर दी गई.
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अभियोजन की ओर से मामले की सुनवाई के दौरान 35 गवाह पेश किए गए. वहीं कई दस्तावेज प्रदर्शित किए गए. आरोपी की निशानदेही से चाकू भी बरामद हो गया. फॉरेंसिक लैब की जांच भी दिव्या कोठारी के खिलाफ आई. पीठासीन अधिकारी ओमी पुरोहित ने दोनों ही पक्षों की सुनवाई के बाद आज अपने निर्णय में आरोपी को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत आजीवन कारावास और 50000 रुपए का जुर्माना सुनाया.