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International Museum day 2023: दुनिया की सबसे बड़ी पगड़ी है यहां, 30 किलो है वजन

अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस पर हम आपके लिए उस संग्रहालय की जानकारी लाए हैं, जहां दुनिया की सबसे बड़ी पगड़ी रखी गई है. इसका वजन 30 किलो है.

the largest turban in the world can be seen in Bagor haveli in Udaipur
International Museum day 2023: दुनिया की सबसे बड़ी पगड़ी है यहां, 30 किलो है वजन
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Published : May 18, 2023, 8:43 AM IST

Updated : May 18, 2023, 9:30 AM IST

दुनिया की सबसे बड़ी पगड़ी देखनी है, तो आना होगा यहां

उदयपुर. राजस्थान की आन-बान और स्वाभिमान की धरा पर पगड़ियों का अपना एक विशेष महत्व और इतिहास रहा है. राजस्थान की राजशाही ठाठ-बाट और शानो-शौकत की पूरी दुनिया दीवानी है. यहां आने वाले हर शख्स की ख्वाहिश होती है कि वो धोरों की धरती के इस शाही अंदाज को एक बार खुद के तजुर्बे में जिए. साथ ही अपने सिर पर साफा बांध कर देखे. अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस (18 मई) के अवसर पर आज उदयपुर में एक ऐसी हवेली के बारे में आपको बताएंगे, जहां एक नहीं बल्कि बड़ी संख्या में अलग-अलग समाज के साथ दुनिया की सबसे बड़ी पगड़ी रखी हुई है.

बागोर की हवेली में है दुनिया की सबसे बड़ी पगड़ी: उदयपुर की बागोर हवेली में दुनिया की सबसे बड़ी पगड़ी रखी हुई है. यह अनूठी पगड़ी 30 किलो वजनी, 51 फीट लंबी, 7 इंच मोटी, 11 इंच चौड़ी और ढाई फीट ऊंची है. दुनिया की सबसे बड़ी माने जाने वाली इस पगड़ी को बड़ौदा के कारीगर अवंतीलाल चावला ने 25 दिनों में बनाया था. 30 किलो की इस पगड़ी की परिधि 11 फीट, लम्बाई 157 फीट और ऊँचाई 30 इंच है. बड़ौदा के अवन्ती लाल चावला ने इसमें राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश के किसानों द्वारा पहनी जाने वाली पगड़ी की शैलियों का मिश्रण किया है. आम तौर पर पगड़ी की लंबाई 18 से 30 मीटर होती है और चौड़ाई 8 से 9 इंच. इसी प्रकार साफे की लंबाई 9 से 12 मीटर और चौड़ाई 36 से 45 इंच तक होती है.

पढ़ेंः Rajasthan: देश की सबसे लंबी 8 लेन की टनल, अत्याधुनिक तकनीक से लैस इस सुरंग की 100 साल की गारंटी !

बागोर हवेली संस्कृति, सभ्यता और इतिहास की वह झलक है, जो अपने-आप में मेवाड़ के राज घरानों की एक पूरी गाथा सुनाती है. यहां के शाही दरवाजे, चौक, गलियारे, दरीखाना, कमरे, हर कोने से मेवाड़ी शानो-शौकत की झलक दिखाई देती है. इसके साथ ही कई समाजों की पगड़ियों के साथ प्राचीन समय की प्रक्रिया भी देखने को मिलती हैं. बागोर की हवेली में भारत के कई राज्यों की पारम्परिक पाग-पगड़िया रखी हैं.

पढ़ेंः Special: अपना घर आश्रम की अत्याधुनिक रसोई, 2 घंटे में तैयार हो सकता है 25 हजार लोगों का भोजन

अलग-अलग समाज की पगड़ियां विशेष आकर्षणः बागोर की हवेली के म्यूजियम में दुनिया की सबसे बड़ी पगड़ी के साथ अलग-अलग समाज की पगड़ियां सहेज कर रखी गई हैं. जिससे पगड़ियों की इतिहास और उनकी मान स्वाभिमान की विरासत को आने वाला हर पर्यटक देख सके. पगड़ी को सुरक्षा, सामाजिक व्यवस्था, सौंदर्य बोध, प्रगतिशीलता और वर्ग विशेष की पहचान के रूप में देखा जाता रहा है.

गाइड यूसुफ पठान ने बताया कि इन पगड़ियों को देखने के लिए बड़ी संख्या में टूरिस्ट पहुंचते हैं. समाज के लोगों के द्वारा अलग-अलग पगड़ी पहनी जाती थी. यहां पर सुनार की बगड़ी, गुर्जर की पगड़ी, डांगी-पटेलों की पगड़ी, अमर साई शाही पगड़ियों के साथ भाट, कालबेलिया की पगड़ी भी रखी गई है. इसके साथ ही समाज के प्रतिष्ठित व्यक्ति किस तरह की पगड़िया पहनते थे, उन्हें भी संजोकर रखा गया है. यहां पर 140 से ज्यादा पगड़ियों का कलेक्शन है.

दुनिया की सबसे बड़ी पगड़ी देखनी है, तो आना होगा यहां

उदयपुर. राजस्थान की आन-बान और स्वाभिमान की धरा पर पगड़ियों का अपना एक विशेष महत्व और इतिहास रहा है. राजस्थान की राजशाही ठाठ-बाट और शानो-शौकत की पूरी दुनिया दीवानी है. यहां आने वाले हर शख्स की ख्वाहिश होती है कि वो धोरों की धरती के इस शाही अंदाज को एक बार खुद के तजुर्बे में जिए. साथ ही अपने सिर पर साफा बांध कर देखे. अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस (18 मई) के अवसर पर आज उदयपुर में एक ऐसी हवेली के बारे में आपको बताएंगे, जहां एक नहीं बल्कि बड़ी संख्या में अलग-अलग समाज के साथ दुनिया की सबसे बड़ी पगड़ी रखी हुई है.

बागोर की हवेली में है दुनिया की सबसे बड़ी पगड़ी: उदयपुर की बागोर हवेली में दुनिया की सबसे बड़ी पगड़ी रखी हुई है. यह अनूठी पगड़ी 30 किलो वजनी, 51 फीट लंबी, 7 इंच मोटी, 11 इंच चौड़ी और ढाई फीट ऊंची है. दुनिया की सबसे बड़ी माने जाने वाली इस पगड़ी को बड़ौदा के कारीगर अवंतीलाल चावला ने 25 दिनों में बनाया था. 30 किलो की इस पगड़ी की परिधि 11 फीट, लम्बाई 157 फीट और ऊँचाई 30 इंच है. बड़ौदा के अवन्ती लाल चावला ने इसमें राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश के किसानों द्वारा पहनी जाने वाली पगड़ी की शैलियों का मिश्रण किया है. आम तौर पर पगड़ी की लंबाई 18 से 30 मीटर होती है और चौड़ाई 8 से 9 इंच. इसी प्रकार साफे की लंबाई 9 से 12 मीटर और चौड़ाई 36 से 45 इंच तक होती है.

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बागोर हवेली संस्कृति, सभ्यता और इतिहास की वह झलक है, जो अपने-आप में मेवाड़ के राज घरानों की एक पूरी गाथा सुनाती है. यहां के शाही दरवाजे, चौक, गलियारे, दरीखाना, कमरे, हर कोने से मेवाड़ी शानो-शौकत की झलक दिखाई देती है. इसके साथ ही कई समाजों की पगड़ियों के साथ प्राचीन समय की प्रक्रिया भी देखने को मिलती हैं. बागोर की हवेली में भारत के कई राज्यों की पारम्परिक पाग-पगड़िया रखी हैं.

पढ़ेंः Special: अपना घर आश्रम की अत्याधुनिक रसोई, 2 घंटे में तैयार हो सकता है 25 हजार लोगों का भोजन

अलग-अलग समाज की पगड़ियां विशेष आकर्षणः बागोर की हवेली के म्यूजियम में दुनिया की सबसे बड़ी पगड़ी के साथ अलग-अलग समाज की पगड़ियां सहेज कर रखी गई हैं. जिससे पगड़ियों की इतिहास और उनकी मान स्वाभिमान की विरासत को आने वाला हर पर्यटक देख सके. पगड़ी को सुरक्षा, सामाजिक व्यवस्था, सौंदर्य बोध, प्रगतिशीलता और वर्ग विशेष की पहचान के रूप में देखा जाता रहा है.

गाइड यूसुफ पठान ने बताया कि इन पगड़ियों को देखने के लिए बड़ी संख्या में टूरिस्ट पहुंचते हैं. समाज के लोगों के द्वारा अलग-अलग पगड़ी पहनी जाती थी. यहां पर सुनार की बगड़ी, गुर्जर की पगड़ी, डांगी-पटेलों की पगड़ी, अमर साई शाही पगड़ियों के साथ भाट, कालबेलिया की पगड़ी भी रखी गई है. इसके साथ ही समाज के प्रतिष्ठित व्यक्ति किस तरह की पगड़िया पहनते थे, उन्हें भी संजोकर रखा गया है. यहां पर 140 से ज्यादा पगड़ियों का कलेक्शन है.

Last Updated : May 18, 2023, 9:30 AM IST
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