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पाकिस्तानी सेना के छक्के छुड़ाने वाले टैंक टी-55 का राज्यपाल ने किया अनावरण

राज्यपाल कलराज मिश्र ने भारतीय सेना के टैंक टी-55 का उदयपुर में शनिवार को अनावरण किया. इस टैंक ने भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तानी सेना के छक्के छुड़ा दिए थे.

Governor unveiled Tank T55 in Udaipur
पाकिस्तानी सेना के छक्के छुड़ाने वाले टैंक टी-55 का राज्यपाल ने किया अनावरण
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Published : May 6, 2023, 11:16 PM IST

टैंक टी-55 के अनावरण पर किया वीरों को याद

उदयपुर. राज्यपाल कलराज मिश्र शनिवार को प्रताप स्मारक, मोती मगरी में भारतीय सेना की ओर से उपहार में प्रदत्त युद्धक टैंक टी-55 का अनावरण किया. उन्होंने अपने संबोधन में प्रताप स्मारक की स्थापना के महत्व एवं यहां टी-55 टैंक को यहां लाने पर अपने विचार प्रस्तुत किए. उन्होंने इस दौरान टी-55 की विशेषताओं का भी जिक्र किया. उन्होंने कार्यक्रम में भगत सिंह, सुखदेव एवं राजगुरु के परिजनों का सम्मान भी किया.

मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के सदस्य और समिति अध्यक्ष डॉ लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने कहा कि मेवाड़ के वीर-वीरांगनाओं के साथ-साथ यहां के पशुओं ने भी अपनी मातृभूमि के स्वाभिमान के लिए बलिदान दिए हैं. हाथी रामप्रसाद और घोड़ा चेतक इसका प्रमाण हैं. ये उस समय किसी युद्ध टैंक से कम नहीं थे, जिन्होंने स्वामी भक्ति के साथ-साथ विदेशी आक्रांताओं और उनकी विशाल सेनाओं को धूल चटाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी. मेवाड़ ने कहा कि भारत माता के वीर सपूत शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के परिजनों को सम्मानित कर मेवाड़ गौरवान्वित महसूस कर रहा है. युद्ध टैंक टी-55 हमारी सेना के अदम्य शौर्य से हमारे भावी पीढ़ी को रूबरू करवाता रहेगा.

पढ़ेंः 1971 के भारत-पाक युद्ध का 'योद्धा' टी-55 पहुंचा बाड़मेर, वार म्यूजियम की बढ़ाएगा शान

गौरवशाली गाथा का प्रतीक है टैंक टी-55ः टी-55 टैंक युद्ध में हमारी सेना के अविस्मरणीय पराक्रम और गौरवशाली गाथा का प्रतीक है. रूस में निर्मित टी-55 टैंक का पाकिस्तान की सेना के खिलाफ 1971 के युद्ध में उपयोग किया गया था. 1971 के युद्ध में पाकिस्तान को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था. टैंक टी-55 पाकिस्‍तान सैनिकों के लिए दहशत की वजह बन गए थे. सीमा पर इसकी दहाड़ सुनकर पाकिस्‍तानी सैनिक कांप उठते थे. यह टैंक साल 1968 में सेना में शामिल हुआ और 2011 तक सेवा देता रहा.

पढ़ेंः Special: तैनात हुआ टैंक टी-55, बढ़ाएगा जालोर व भीनमाल की शोभा

टैंक टी-55 की खासियतः टैंक टी-55 ने 1967 के अरब-इजराइल युद्ध और 1970 के जॉर्डन के गृह युद्ध तथा 1973 के योम किप्पूर युद्ध में भी पूरी दुनिया के समक्ष अपनी ताकत का लोहा मनवा दिया था. कुछ टैंक टी-55 की 1991 में ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म और 21वीं सदी में ऑपरेशन इराकी फ्रीडम के दौरान कार्रवाई देखी जा चुकी है. कुछ देशों में टैंक टी-55 और इसी तरह के टैंक अभी भी सक्रिय सेवा में मौजूद हैं. 580 एचपी इंजन से लैस टैंक टी-55 रूसी टैंक है. यह टैंक 37 टन वजनी होने के बावजूद तेज गति से चलने वाला बख्तरबंद लड़ाकू वाहन है. इस टैंक में 4 सदस्यों का दल तैनात किया जाता है, जो इस टैंक की मदद से 105 एमएम की राइफल से भी लैस होकर तमाम बाधाएं पार करते जाते हैं. (प्रेस नोट)

टैंक टी-55 के अनावरण पर किया वीरों को याद

उदयपुर. राज्यपाल कलराज मिश्र शनिवार को प्रताप स्मारक, मोती मगरी में भारतीय सेना की ओर से उपहार में प्रदत्त युद्धक टैंक टी-55 का अनावरण किया. उन्होंने अपने संबोधन में प्रताप स्मारक की स्थापना के महत्व एवं यहां टी-55 टैंक को यहां लाने पर अपने विचार प्रस्तुत किए. उन्होंने इस दौरान टी-55 की विशेषताओं का भी जिक्र किया. उन्होंने कार्यक्रम में भगत सिंह, सुखदेव एवं राजगुरु के परिजनों का सम्मान भी किया.

मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के सदस्य और समिति अध्यक्ष डॉ लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने कहा कि मेवाड़ के वीर-वीरांगनाओं के साथ-साथ यहां के पशुओं ने भी अपनी मातृभूमि के स्वाभिमान के लिए बलिदान दिए हैं. हाथी रामप्रसाद और घोड़ा चेतक इसका प्रमाण हैं. ये उस समय किसी युद्ध टैंक से कम नहीं थे, जिन्होंने स्वामी भक्ति के साथ-साथ विदेशी आक्रांताओं और उनकी विशाल सेनाओं को धूल चटाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी. मेवाड़ ने कहा कि भारत माता के वीर सपूत शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के परिजनों को सम्मानित कर मेवाड़ गौरवान्वित महसूस कर रहा है. युद्ध टैंक टी-55 हमारी सेना के अदम्य शौर्य से हमारे भावी पीढ़ी को रूबरू करवाता रहेगा.

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गौरवशाली गाथा का प्रतीक है टैंक टी-55ः टी-55 टैंक युद्ध में हमारी सेना के अविस्मरणीय पराक्रम और गौरवशाली गाथा का प्रतीक है. रूस में निर्मित टी-55 टैंक का पाकिस्तान की सेना के खिलाफ 1971 के युद्ध में उपयोग किया गया था. 1971 के युद्ध में पाकिस्तान को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था. टैंक टी-55 पाकिस्‍तान सैनिकों के लिए दहशत की वजह बन गए थे. सीमा पर इसकी दहाड़ सुनकर पाकिस्‍तानी सैनिक कांप उठते थे. यह टैंक साल 1968 में सेना में शामिल हुआ और 2011 तक सेवा देता रहा.

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टैंक टी-55 की खासियतः टैंक टी-55 ने 1967 के अरब-इजराइल युद्ध और 1970 के जॉर्डन के गृह युद्ध तथा 1973 के योम किप्पूर युद्ध में भी पूरी दुनिया के समक्ष अपनी ताकत का लोहा मनवा दिया था. कुछ टैंक टी-55 की 1991 में ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म और 21वीं सदी में ऑपरेशन इराकी फ्रीडम के दौरान कार्रवाई देखी जा चुकी है. कुछ देशों में टैंक टी-55 और इसी तरह के टैंक अभी भी सक्रिय सेवा में मौजूद हैं. 580 एचपी इंजन से लैस टैंक टी-55 रूसी टैंक है. यह टैंक 37 टन वजनी होने के बावजूद तेज गति से चलने वाला बख्तरबंद लड़ाकू वाहन है. इस टैंक में 4 सदस्यों का दल तैनात किया जाता है, जो इस टैंक की मदद से 105 एमएम की राइफल से भी लैस होकर तमाम बाधाएं पार करते जाते हैं. (प्रेस नोट)

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